हिंदी सिनेमा को अपनी कलम के जरिये कई बेहतरीन कहानियां और गीत देने वाले गुलज़ार का मानना है कि वो हमेशा से ही बूढ़े रहे और इस कारण वो कभी भी एक लड़का-लड़की के मिलने और उनके प्यार के फार्मूले की तरफ़ आकर्षित नहीं हुए।
दिल्ली में 13वें हेबिटाट फिल्म फेस्टिवल में ‘कल आज और कल’ परिचर्चा में गुलज़ार ने कहा कि एक बुजुर्ग आदमी हमेशा अपनी चेतना की गहराई में जा कर सोचता है। गुलज़ार को हमेशा बुजुर्गियत ही भाई है। रेखा, नसीरुद्दीन शाह और अनुराधा पटेल स्टारर फिल्म इज़ाजत का उदाहरण देते हुए गुलज़ार कहते हैं “ इस फिल्म को ही देख लीजिए। लगता है मैं हमेशा ही बूढ़ा रहा। लोग इस फिल्म में विवाहित महिला की कहानी देख कर उलझन में थे और फिल्म बॉक्स ऑफ़िस पर लुढ़क गई। लेकिन इससे मेरी सोच में फ़र्क नहीं था। मैंने हमेशा ही मेच्योर आदमी और औरत की कहानी को तवज्जो दी है”। गुलज़ार ने कहा “ अब आंधी को ही ले लीजिए। पहली बार किसी राजनेता (इंदिरा गांधी) के किरदार को फिल्म में उतारा गया, जिसे सुचित्रा सेन ने निभाया था। अगर आप उस फिल्म को ध्यान में देखे तो पाएंगे कि सुचित्रा के किरदार के अलावा उस फिल्म में कोई भी और महिला किरदार नहीं था। मैंने फिल्म की कहानी को ऐसा ही रहा था कि उसी महिला पात्र की कहानी कही जाए”।
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