भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की सर्वश्रेष्ठ कविताओं में से एक, “भारत ज़मीन का टुकड़ा नहीं” भारत को केवल एक भूमि के टुकड़े के रूप में नहीं देखता बल्कि इसे एक पूर्ण राष्ट्र के रूप में व्यक्त करता है। यह कविता देशभक्ति की बेहतरीन अभिव्यक्ति देती है। व्यक्त करते हुए यह राष्ट्र के प्रति सम्पूर्ण जीवन के समर्पण का भाव व्यक्त करता है।
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
वह एक जीवित राष्ट्रीय व्यक्ति हैं।
हिमालय सिर है, कश्मीर ताज है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल पर्वत हैं।
‘कन्याकुमारी इसके पैर हैं, सागर इसके पैर धोता है।
यह चंदन की भूमि है, अभिनंदन की भूमि है,
यह बलिदान की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
उसका कंकड़ है शंकर,
इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
हम इसके लिए जीएंगे
इसके लिए जान दे देंगे।
-अटल बिहारी वाजपेयी
3 मार्च, 2020- बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का नाम लिए बगैर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को ‘भारत माता की जय’ कहने से भी बदबू आती है. आजादी के समय इस कांग्रेस में कुछ लोग वंदे मातरम गाने के खिलाफ थे। अब उन्हें ‘भारत माता की जय’ बोलने में भी दिक्कत हो रही है।
गौरतलब है कि 22 फरवरी 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि राष्ट्रवाद और भारत माता की जय के नारों का गलत इस्तेमाल हो रहा है. यह नारा गलत तरीके से “भारत की उग्र और विशुद्ध रूप से भावनात्मक छवि” पेश करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो लाखों नागरिकों को अलग-थलग कर देता है।
गौरतलब है कि 26 जनवरी, 2020 को न्यूयॉर्क, शिकागो, ह्यूस्टन, अटलांटा और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास और वाशिंगटन में भारतीय दूतावास में प्रदर्शनकारियों ने “भारत माता की जय” और “हिंदू, मुस्लिम, सिख ”नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में। ईसाईयों ने आपस में भाई-बंधु के नारे लगाए।
नरसंहार रोकने के लिए हाल ही में गठित गठबंधन ने लगभग 30 अमेरिकी शहरों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। इसमें इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC), इक्वैलिटी लैब्स, ब्लैक लाइव्स मैटर (BLM), ज्यूइश वॉयस फॉर पीस (JVP) और हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (HFHR) जैसे संगठन शामिल हैं। 1962 के युद्ध को लेकर संसद में काफी बहस हुई थी। उन दिनों अक्साई चिन को चीन के कब्जे में लेने को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया था। जवाहरलाल नेहरू ने संसद में बयान दिया था कि अक्साई चिन में घास का तिनका भी नहीं उगता, यह बंजर इलाका है. खचाखच भरी संसद में महावीर त्यागी ने नेहरू को अपना गंजा सिर दिखाते हुए कहा- यहां भी कुछ नहीं उगता, तो मैं इसे कटवा दूं या किसी और को दे दूं। सोचिए अपने ही कैबिनेट सदस्य महावीर त्यागी का जवाब सुनकर नेहरू का क्या होता?
नेहरू जी को भी भारत माता शब्द से एलर्जी थी लेकिन महात्मा गांधी से नहीं।
1936 में शिव प्रसाद गुप्ता ने बनारस में भारत माता का मंदिर बनवाया। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था।
पंडित नेहरू कहा करते थे कि भारत का मतलब जमीन का वह टुकड़ा- अगर आप भारत माता की जय का नारा लगाते हैं तो आप हमारे प्राकृतिक संसाधनों की जय-जयकार कर रहे हैं।
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