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Jamtara: राजस्थान, हरियाणा और यूपी बॉर्डर के इस इलाके में बनता नया ‘जामताड़ा’… ऐसे बनाते हैं लोगों को निशाना

मथुरा: एक वेब सीरीज है ‘जामतारा: सबका नंबर आएगा’। इसमें झारखंड के जामताड़ा शहर की कहानी दिखाई गई है। देश की फिशिंग राजधानी के तौर पर जाना जाने वाला जामताड़ा अब एक मॉडल के रूप में विकसित हो रहा है। साइबर क्राइम के मामले जुड़ते दिखने को इस मॉडल के रूप में देखा जाता है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति उत्तर प्रदेश के राजस्थान और हरियाणा बॉर्डर से मिलते इलाके में दिख रही है। यूपी के मथुरा, राजस्थान के भरतपुर और हरियाणा के मेवात जिलों को एक कड़ी में जोड़कर देखा जा रहा है। इन तीन जिलों का त्रिकोण तेजी से उभरते ‘नए जामताड़ा’ के रूप में पहचाना जाने लगा है। खुलासा पुलिस की जांच में हुआ है। पिछले कुछ महीनों में साइबर क्राइम और फ्रॉड के करीब 400 मामलों में पुलिस की जांच इन तीनों शहरों तक पहुंची है। नया जामताड़ा ट्रायंगल पुलिस के लिए चुनौती बन रहा है। इस मॉडल की क्रोनोलॉजी जामताड़ा की ही तरह है। बदमाश फर्जी कॉल और मेल के जरिए लोगों को ब्लैकमेल कर रहे हैं। साइबर सेल के एसपी त्रिवेणी सिंह का कहना है कि खेल बहुत बड़ा है। पहले पुरुषों को चिन्हित किया जाता है। फिर पोर्न क्लिप पर उनके फ्रेम को सुपरइंपोज किया जाता है। इसके बाद ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो जाता है।

ऐसे चलता ब्लैकमेलिंग का पूरा खेल
पुलिस अधिकारी का कहना है कि पोर्न क्लिप तैयार करने के बाद फंसाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। वे लक्ष्य को फोन करते हैं और उन्हें 5000 रुपये से 50 हजार रुपये तक की मांग करते हैं। ब्लैकमेलिंग का खेल अश्लील क्लिप को वायरल किए जाने का डर दिखाकर किया जाता है। इनमें से कुछ मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में संपन्न परिवारों के लोगों को फंसाने के लिए फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते हैं। उन्हें अपने झांसे में लेते हैं। लखनऊ के एक व्यवसायी को हाल ही में निशाना बनाया। उनका ‘सेक्सटॉर्शन’ के प्रयास के लिए निशाना बनाया गया।

सोशल मीडिया पर एक महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने के तुरंत बाद उन्हें उसका व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया। 15 सेकंड की कॉल के दौरान उसने उसे मोहक इशारों और शब्दों से फंसा लिया। कुछ ही मिनटों के बाद व्यवसायी को 30 लाख रुपये देने या सोशल मीडिया पर महिला से हुई बातचीत का वीडियो लीक करने की धमकी दी गई। मामला पुलिस में पहुंचा। आरोपियों का पता मेवात का चला। उन्हें गिरफ्तार किया गया।

पिछले साल आए 300 केस
यूपी में पिछले एक साल में करीब 300 लोगों ने सेक्सटॉर्शन की शिकायत साइबर सेल में दर्ज कराई है। इसमें एक सीनियर पीसीएस अधिकारी भी शामिल हैं। ई-कॉमर्स साइटों और ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर डिजिटल लेन-देन करते समय लोगों को ठगे जाने के मामले भी सामने आए हैं, जो साइबर धोखाधड़ी का सबसे आम हैं। साइबर सेल के सीनियर अधिकारी कहते हैं कि जालसाज ओएलएक्स जैसे ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर नजर रखते हैं। वहां लोग अपने उत्पाद बेचते हैं। वे फौजी बनकर फर्जी अकाउंट बनाते हैं और खुद को खरीदार बताते हैं। उत्पाद खरीदते समय वे विक्रेता को एक क्यूआर कोड के माध्यम से ऑनलाइन लेन-देन करने के लिए बरगलाते हैं।

लखनऊ और नोएडा से लंबे समय तक जुड़े रहे विवेक रंजन राय का कहना है कि ई-कॉमर्स साइटों के माध्यम से छेड़खानी और धोखाधड़ी में विशेष कौशल की जरूरत होती है। ‘जामताड़ा’ मॉडल में आरोपी फिशिंग के जरिए लोगों को एक बार ठगते हैं। लेकिन, इस फ्रॉड में शामिल होने के लिए तकनीक की समझ जरूरी है। ये लोग लंबे समय तक ब्लैकमेलिंग के लक्ष्य के साथ शिकार को फंसाते हैं।

मोबाइल एप्लीकेशन का भी करते हैं प्रयोग
विवेक रंजन राय कहते हैं कि ऐसे मामलों में अपराधी अपने लक्ष्य को फंसाने के लिए या तो उन्हें लुभाने के लिए लिंक का प्रयोग करते हैं। वीडियो कॉलिंग का भी उपयोग करते हैं। इसके लिए मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करते हैं। अगर कोई टारगेट उनका नंबर ब्लॉक कर देता है, तो वे उस व्यक्ति से संपर्क करने के लिए दूसरे सिम का उपयोग करते हैं। तीसरे और अंतिम फेज में वे एक पुलिसकर्मी का रूप धारण कर लेते हैं। टारगेट को धमकाते हैं। स्कैमर्स अपना होमवर्क ऑनलाइन विज्ञापनों को स्कैन करके करते हैं। वे खुद को सेना या अर्धसैनिक बलों के कर्मियों के रूप में पेश करके लोगों का विश्वास जीतते हैं। वे एक नकली बैज नंबर, बटालियन का नाम, पोस्टिंग की जगह, सेना की वर्दी में अपनी तस्वीर और पहचान पत्र भी देते हैं।इन्हें बनाते हैं निशाना
मथुरा और भरतपुर के स्कैमर आमतौर पर उन लोगों को निशाना बनाते हैं, जो सेकेंड हैंड मोटरसाइकिल, कार, गैजेट्स और दैनिक उपयोग की अन्य चीजों की बिक्री या खरीद के लिए विज्ञापन पोस्ट करते हैं। हाल ही में एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर से 5 लाख रुपए की ठगी की गई थी। उसने एक महीने पुराना डबल डोर रेफ्रिजरेटर 50 हजार रुपये में बिक्री के लिए रखा था। असली दिखने के लिए स्कैमर ने एक आर्मी मैन के रूप में पेश किया। पीड़ित के खाते में 100 रुपये जमा किए। फिर उसने सीमा के पास तैनात होने के कारण धन हस्तांतरित करने में असमर्थता जताई। रिटायर्ड मैनेजर से उसने भेजे गए क्यूआर कोड को स्कैन करने को कहा। कोड स्कैन करने पर पूर्व बैंकर को 5 लाख रुपये का नुकसान हुआ।ट्राई जंक्शन नेटवर्क के कारण परेशानी
स्पेशल टास्क फोर्स के एडिशनल एसपी विशाल विक्रम सिंह का कहना है कि राज्य की सीमाओं के पास फोन को ट्रेस करना मुश्किल होता है। इसका कारण यह है कि यूपी, हरियाणा और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में अलग-अलग राज्यों के टेलीकॉम नेटवर्क दिखते हैं। बदमाशों को उनके टावर लोकेशन से ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है। एएसपी कहते हैं कि ट्राई-जंक्शन मोबाइल नेटवर्क का एक ‘ब्लैक स्पॉट’ बनाता है, जो इन अपराधियों को कवर देता है। इसका कारण डिवाइस के सटीक स्थान को ट्रैक करना मुश्किल होना है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ये लोग नॉर्थ-ईस्ट से मोबाइल सिम मंगाते हैं। इसके जरिए कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को चकमा देने में वे कामयाब होते हैं। ब्लैकमेलिंग का पैसा ये लोग मल्टीपल पेमेंट गेटवे और ई-वॉलेट के जरिए लेते हैं। इससे उन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।