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रेलवे की भूमि पर अवैध कब्जा,

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हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कब्जे के मामले के बीच हाथरस शहर में भी रेलवे की जमीनों पर अवैध कब्जे की चर्चाएं सिर उठाने लगी हैं। शहर में रेलवे की काफी जमीन पर अवैध कब्जे हैं। इन जमीनों पर पक्के मकान बन गए हैं और बस्तियां बस गई हैं। एक बार रेलवे ने अवैध कब्जे हटाने के लिए चिह्नांकन भी कराया, लेकिन यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

आजादी के तीन दशक बाद तक हाथरस की पहचान बड़े औद्योगिक शहर के रूप में थी। यहां तीन बड़ी कॉटन मिलें थीं। कई बड़े दाल मिलें भी थीं। प्रोत्साहन की कमी और सरकारी उपेक्षा की मार से तीनों बड़ी कॉटन मिल बंद हो गईं और दाल मिलों की संख्या भी कम हो गई। एक जमाना था, जब इन मिलों के अंदर तक रेल की पटरियों का जाल बिछा था और मालगाड़ियों में मिलों के अंदर से ही माल लादा और उतारा जाता था।

जब यह मिलें बंद हुईं, तो रेलवे की माल बोगियों का परिचालन भी बंद हो गया। रेलवे की पटरियां उखड़ गईं और इन पर कब्जे हो गए। इन जगहों पर लोगों ने अपने आवास बना लिए। अब शायद रेलवे के लिए भी यह पता करना बेहद मुश्किल होगा कि किन जगहों से उसकी पटरियां निकलती थीं और कहां-कहां तक उसकी जमीन हैं।

छह साल पहले कराया था चिह्नांकन
करीब छह साल पहले रेलवे प्रशासन ने भूमि का चिह्नांकन कराया। तरफरा रोड के निकट कुछ मकानों पर निशान लगाए और वहां रेलवे पुलिस बल भी कब्जा हटवाने गया, लेकिन विरोध के चलते रेलवे की टीम लौट आई। रेलवे प्रशासन ने चिंताहरण मंदिर के निकट एक स्थान पर जमीन पर चिह्नांकन भी किया, लेकिन इसके बाद आज तक किसी ने इस जमीन को कब्जा मुक्त कराने की सुधि नहीं ली। कब्जाधारी बड़े इत्मीनान से रेलवे की जमीनों पर मकान बनाकर रह रहे हैं और रेलवे प्रशासन खामोश है।

रेलवे की भूमि पर है गांधी पार्क, नहीं हुआ सौंदर्यीकरण
शहर के मधुगढ़ी में जो गांधी पार्क है, वहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी है। यह भी रेलवे की भूमि है। कई बार नगर पालिका की ओर से इस पर सौंदर्यीकरण कराने के प्रयास किए गए, लेकिन यही बात सामने आई कि यह तो रेलवे भी भूमि है। रेलवे ने भी इस पार्क का सौंदर्यीकरण नहीं कराया। ऐसे में पार्क बदहाल हालत में है। खुले आसमान के नीच बापू की प्रतिमा खड़ी है।

जल्द होगी कार्रवाई
रेलवे की भूमि पर जिन लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, उन पर जल्द कार्रवाई होगी। संबंधित अधिकारियों से वार्ता भी की जाएगी, ताकि अतिक्रमण को हटाया जाए। -राजेद्र सिंह, पीआरओ, डीआरएम रेलवे इज्जतनगर

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कब्जे के मामले के बीच हाथरस शहर में भी रेलवे की जमीनों पर अवैध कब्जे की चर्चाएं सिर उठाने लगी हैं। शहर में रेलवे की काफी जमीन पर अवैध कब्जे हैं। इन जमीनों पर पक्के मकान बन गए हैं और बस्तियां बस गई हैं। एक बार रेलवे ने अवैध कब्जे हटाने के लिए चिह्नांकन भी कराया, लेकिन यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

आजादी के तीन दशक बाद तक हाथरस की पहचान बड़े औद्योगिक शहर के रूप में थी। यहां तीन बड़ी कॉटन मिलें थीं। कई बड़े दाल मिलें भी थीं। प्रोत्साहन की कमी और सरकारी उपेक्षा की मार से तीनों बड़ी कॉटन मिल बंद हो गईं और दाल मिलों की संख्या भी कम हो गई। एक जमाना था, जब इन मिलों के अंदर तक रेल की पटरियों का जाल बिछा था और मालगाड़ियों में मिलों के अंदर से ही माल लादा और उतारा जाता था।

जब यह मिलें बंद हुईं, तो रेलवे की माल बोगियों का परिचालन भी बंद हो गया। रेलवे की पटरियां उखड़ गईं और इन पर कब्जे हो गए। इन जगहों पर लोगों ने अपने आवास बना लिए। अब शायद रेलवे के लिए भी यह पता करना बेहद मुश्किल होगा कि किन जगहों से उसकी पटरियां निकलती थीं और कहां-कहां तक उसकी जमीन हैं।

छह साल पहले कराया था चिह्नांकन

करीब छह साल पहले रेलवे प्रशासन ने भूमि का चिह्नांकन कराया। तरफरा रोड के निकट कुछ मकानों पर निशान लगाए और वहां रेलवे पुलिस बल भी कब्जा हटवाने गया, लेकिन विरोध के चलते रेलवे की टीम लौट आई। रेलवे प्रशासन ने चिंताहरण मंदिर के निकट एक स्थान पर जमीन पर चिह्नांकन भी किया, लेकिन इसके बाद आज तक किसी ने इस जमीन को कब्जा मुक्त कराने की सुधि नहीं ली। कब्जाधारी बड़े इत्मीनान से रेलवे की जमीनों पर मकान बनाकर रह रहे हैं और रेलवे प्रशासन खामोश है।

रेलवे की भूमि पर है गांधी पार्क, नहीं हुआ सौंदर्यीकरण

शहर के मधुगढ़ी में जो गांधी पार्क है, वहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी है। यह भी रेलवे की भूमि है। कई बार नगर पालिका की ओर से इस पर सौंदर्यीकरण कराने के प्रयास किए गए, लेकिन यही बात सामने आई कि यह तो रेलवे भी भूमि है। रेलवे ने भी इस पार्क का सौंदर्यीकरण नहीं कराया। ऐसे में पार्क बदहाल हालत में है। खुले आसमान के नीच बापू की प्रतिमा खड़ी है।

जल्द होगी कार्रवाई

रेलवे की भूमि पर जिन लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, उन पर जल्द कार्रवाई होगी। संबंधित अधिकारियों से वार्ता भी की जाएगी, ताकि अतिक्रमण को हटाया जाए। -राजेद्र सिंह, पीआरओ, डीआरएम रेलवे इज्जतनगर

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