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Editorial :- SC के आदेश के बाद भव्य राम मंदिर पर पवार-कांग्रेस की सियासत जारी मोदी विरोध के चलते देश विरोध और अब राम-द्रोह

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21-07-2020

महात्मा गांधी के राममय साधुत्व का फायदा उठाकर पंडित नेहरू ने भारत का विभाजन प्रधानमंत्री बनने की लालसा में स्वीकार किया। पंडित नेहरू से लेकर अभी सोनिया गांधी-राहुल गांधी तक नेहरू गांधी डायनेस्टी ने सत्ता के लिये वोट बैंक पॉलिटिक्स का सहारा लिया।
शाहबानो केस पर सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश था उसे बेअसर राजीव गांधी ने इसलिये कर दिया क्योंकि मुस्लिमों का विरोध हो रहा था। इसी प्रकार से हिन्दू वोट बटोरने के लिये राजीव गाध्ंाी ने रामलला के दरवाजे पर लगे ताले को खुलवाया।
नेहरू घोर हिन्दू विरोधी रहे हैं। उन्होंने स्वयं कहा था कि वे घटनावश हिन्दू परिवार में जन्मे हैं परंतु शिक्षा से अंग्रेज हैं और संस्कृति से मुस्लिम। परंतु हिन्दुओं के वोट प्राप्त करने के लिये उन्होंने अपने सिर पर टोपी विराजमान रखी तथा अपने नाम के आगे पंडित भी रखा रहा।
एनसीपी नेता शरद पवार ने हाल ही में केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि मंदिर निर्माण से कोरोना खत्म हो जाएगा। अभी तो कोरोना से जंग लडऩे की जरुरत है।कांग्रेस ने कहा कि नेहरू सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के लिए नहीं गए थे, मतलब साफ है कि कांग्रेस के मुताबिक धर्मनिरपेक्ष देश के पीएम को मंदिर नहीं जाना चाहिए. मतलब साफ है कि कांग्रेस मानती है कि भूमि पूजन से पीएम सांप्रदायिक हो जाएंगे.
क्रड्डद्व रूड्डठ्ठस्रद्बह्म् हृद्ग2ह्य 11 मई 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। क्कड्डठ्ठस्रद्बह्ल हृद्गद्धह्म्ह्व ने इसका विरोध किया था। पीएम मोदी का 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होने का कार्यक्रम है। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार संजय पांडेय कहते हैं, ‘नेहरू का खत पीएम मोदी के संबंध में अप्रासंगिक है। राम मंदिर का मामला कोर्ट में हल हो गया है। हो सकता है कि बीजेपी इसी क्षण का इंतजार कर रही थी। बीजेपी के मेनिफेस्टो में राम मंदिर का मुद्दा रहा है। ऐसे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री वहां जाते हैं तो कोई हर्ज नहीं है।Ó

नेहरू राम को अयोध्या से बेदखल करना चाहते थे – यहॉं तक कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी रामलला को गर्भगृह से बेदखल करने पर अमादा थे। वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी किताब ‘युद्ध में अयोध्याÓ में विस्तार से इस घटना का ब्यौरा दिया है। नेहरू के मॅंसूबों को केरल के रहने वाले आईसीएस अधिकारी केकेके नायर, जो उस समय फैजाबाद के जिलाधिकारी थे ने विफल कर दिया था।
कांग्रेस ने अपने शासन काल में सौ बार संविधान की पीठ पर छुरा घोपा
भारत के संविधान की प्रस्तावना को केएममुंशी द्वारा भारतीय संविधान की राजनीतिक कुंडली भी कहा जाता है और इसे ठाकुरदास भार्गव द्वारा संविधान की आत्मा माना जाता है। एनए पालकीवाला ने इसे हमारे संविधान की पहचान कहा है। यह इंगित करता है कि संविधान का स्रोत “हम भारत के लोग” हैं।
संविधान की मूल प्रति में अगर आप देखें तो हमारे पास तीन शब्द नहीं हैं। वे समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता हैं। इन शब्दों को 42 वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा हमारे संविधान की आत्मा को हथौड़ा देने के लिए परिभाषित किए बिना डाला गया है । पं. नेहरू द्वारा कला 370 के समावेश के बारे में भी यही कहा जा सकता है।

आश्चर्य इस बात का है कि धर्म निरपेक्ष अर्थात सेक्युलरिज्म शब्द को संविधान में संशोधन कर जोड़ तो दिया गया कांग्रेस शासनकाल में परंतु उसकी परिभाषा जानबुझकर नहीं दी गई। यही कारण है कि कांग्रेस हिन्दुओं के विरूद्ध वोटबैंक पॉलिटिक्स का नाटक खेलकर सेक्युलरिज्म के नाम पर अपनी वोटबैंक पॉलिटिक्स की रोटी सेंकती रही है। इसी प्रकार से दलित शब्द न ही संविधान में है और न ही उसकी व्याख्या है। बावजूद इसका दुरपयोग तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिये कांग्रेस करती रही है और कर रही है। 

कांग्रेस समझती है कि कांग्रेस पार्टी का विरोध ही देशद्रोह है, परंतु देश के प्रति जो विद्रोह करेगा वह देशद्रोही नहीं है, वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इसका साक्षात उदाहरण राजस्थान में जो उठापटक चल रही है उससे देखा जा सकता है। सचिन पायलट के विरूद्ध देशद्रोह की धारा इसलिये लगा दी गई की वह कांग्रेस पार्टी के विरूद्ध बगावत किये हैं। यह समझाने के लिये अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत की जो ५ स्टार होटल है उसमें बंधक बनाये गये कांगे्रसी विधायकों को मुगले आजम अर्थात सलीम के विद्रोह की फिल्म दिखाई गई। 

कांग्रेेस की दृष्टि में सचिन पायलट तथा उनके कुछ अन्य साथी विधायकों ने जो अशोक गहलोत के विरूद्ध राय व्यक्त की वह देशद्रोह कहलाया परंतु कांग्रेस पार्टी ने २०१९ के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में यह आश्वासन दिया था कि वह सत्ता में आई तो देशद्रोह के कानून को समाप्त कर देगी। 

जेएनयू में देशद्रोही नारे कश्मीर मांगे आजादी, बस्तर मांगे आजादी, केरल मांगे आजादी, भारत की बर्बादी तक संघर्ष रहेगा जारी आदि नारे लगे थे। उस मामले में कन्हैय्या कुमार, उमर खालिद आदि पर देशद्रोह के मुकदमे कायम हुए। कांग्रेस की दृष्टि में वे सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत है देशद्रोह नहीं। 

अतएव उमा भारती ने शरद पवार को रामद्रोही करार दिया। इसी प्रकार से कांग्रेस को भी रामद्रोही कहा जायेगा। यूपीए शासनकाल में मंत्री रही क्रिस्चियन अंबिका सोनी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम ऐतिहासिक नहीं मिथक है कोरी कल्पनामात्र हैं। राम सेतु को भी ध्वस्त करने की रामद्रोही हरकत कांग्र्रेस ने यूपीए शासनकाल में की थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शपथ पूर्ण : जो राम का नहीं वो किस काम का रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे

 स्ष्ट के आदेश के बाद भव्य राम मंदिर पर पवार-कांग्रेस की सियासत जारी 

राम जन्मभूमि पर स्ष्ट ने 2 याचिका खारिज की, लगाया 1-1 लाख जुर्माना

याचिका को खारिज करने के साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए उन्हें एक महीने के भीतर यह राशि जमा करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनहित के नाम पर ऐसी बेकार याचिकाएँ कैसे दायर नहीं की जा सकती है। वे दंड के भागी हैं। वे दोबारा ऐसी गलती ना करें इसलिए जुर्माना लगाया गया है।

जिस दिन का हिंदुओं को दशकों से इंतजार था वह करीब आ गया है। 5 अगस्त को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन में शिरकत करेंगे। पीएम बनने के बाद यह उनकी पहली अयोध्या यात्रा होगी।

रिपोर्टों के मुताबिक भूमि पूजन के दौरान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास लगभग 40 किलो चॉंदी की श्रीराम शिला समर्पित करेंगे। पीएम मोदी इस शिला का पूजन कर स्थापित करेंगे।

मोदी विरोध के चलते देश विरोध और अब राम-द्रोह  

एनसीपी नेता शरद पवार ने हाल ही में केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि मंदिर निर्माण से कोरोना खत्म हो जाएगा। अभी तो कोरोना से जंग लडऩे की जरुरत है।

शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत  बोले – ‘हम जाते रहे हैं अयोध्या, कोरोना से डॉक्टर लड़ रहे लड़ाईÓ

वैसे मुसलमानों को पीडि़त दिखाने के लिए झूठ का सहारा लेना पवार की पुरानी आदत है। ऐसा उन्होंने 1993 के मुंबई धमाकों के वक्त भी किया था। 12 मार्च 1993 को मुंबई को दहलाने वाले 12 सीरियल बम धमाके हुए। लेकिन पवार ने 13वें धमाके की कहानी गढ़ी। बताया कि एक धमाका मस्जिद बंदर में भी हुआ था। चूँकि इन धमाकों में हिन्दू बहुल इलाकों को निशाना बनाया गया था, जबकि वहां ब्लास्ट हुआ ही नहीं था।

कांग्रेस ने कहा कि नेहरू सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के लिए नहीं गए थे, मतलब साफ है कि कांग्रेस के मुताबिक धर्मनिरपेक्ष देश के पीएम को मंदिर नहीं जाना चाहिए. मतलब साफ है कि कांग्रेस मानती है कि भूमि पूजन से पीएम सांप्रदायिक हो जाएंगे.

दुबई के ओपेरा हाउस में प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मंदिर का शिलान्यास किया

स्ह्वठ्ठ, 11 स्नद्गड्ढ 2018:  पीएम मोदी ने रखी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी के पहले हिन्दू मंदिर की आधारशिला, कहा- भारत बदल रहा है

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भले इस दिन की राह खोली हो, लेकिन यह एक झटके में मुमकिन नहीं हुआ। इस दिन के लिए कई बलिदान हुए। कइयों ने अपनी पूरी जिंदगी झोंक दी। ये सब उस वक्त हुआ जब आजाद भारत में भी सत्ताधारी दल अयोध्या आंदोलन को कुचल देना चाहते थे।

 30साल पुराना अयोध्या का वो गोलीकांड, जिससे मुलायम बन गए ‘मुल्लाÓ

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर मांग उठने लगी है. जबकि 28 साल पहले मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे, कारसेवक अयोध्या में बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ते चले जा रहे थे. पुलिस ने हनुमान गढ़ी के पास कारसेवकों पर गोलियां चलाई गईं थीं.

अयोध्या में गोली चलवाना मजबूरी थी : मुलायम

 समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि उन्हें अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में 30 अक्टूबर और दो नवम्बर 1990 को अयोध्या में मजबूरन गोली चलवानी पड़ी थी।

लखनऊ. आज से 26 साल पहले अयोध्या के विवादित राम मंदिर बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को बचाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने गोली चलवाने का आदेश दिया था। तब देश अराजकता की आग में जल उठा था, लेकिन घटना के इतने समय बाद भी मुलायम सिंह यादव अपने उस फैसले को जायज मानते हैं। उनका कहना है कि तब देश की एकता के लिए विवादित ठांचे को बचाने के लिए गोली चलवाना जायज था। भले ही इस घटना में तब और जानें चली जातीं। मुलायम सिंह यादव शनिवार को यहां एक कार्यक्रम में इस घटना पर बोल रहे थे।

उमा भारती ने शरद पवार को रामद्रोही करार दिया, कहा- भगवान राम के खिलाफ है बयान

सीहोर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती ने राम मंदिर पर दिये गये बयान के लिये राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार को ”रामद्रोहीÓÓ करार दिया है। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तीन या पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर के भूमि पूजन के लिये अयोध्या में आमंत्रित किया है। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पवार के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उमा भारती ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री वह व्यक्ति हैं जो चार घंटे से अधिक नहीं सोते हैं। उन्होंने कहा, ”वह (मोदी) 24 घंटे काम करते हैं। उन्होंने आज तक कभी छुट्टी नहीं ली। मुझे उनका स्वभाव मालूम है, वह हवाई जहाज में भी आने-जाने के समय फाइल का काम करते जायेंगे। अगर प्रधानमंत्री, भगवान राम को दो घंटे का समय देते हैं और दो-तीन घंटे के लिये अयोध्या जाते हैं तो इसमें ऐसी कौन सी अर्थव्यवस्था कैसे बिगड़ जायेगी।ÓÓ भारती ने कहा, ”मैं मानती हूं कि पवार का यह बयान प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नहीं है बल्कि यह भगवान राम के खिलाफ है।ÓÓ

दादा ने बनाया था सोमनाथ मंदिर अब बेटा व पोता करेंगे अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण

 सोमपुरा परिवार ही करेगा राम मंदिर का निर्मा

शनिवार को ट्रस्ट की बैठक के बाद चंपत राय ने कहा कि सोमपुरा परिवार ही राम मंदिर का निर्माण करेगा, सोमनाथ मंदिर को भी इन लोगों ने ही बनाया है. उन्होंने कहा कि चंद्रकांत सोमपुरा के बनाये मॉडल में कुछ बदलाव किया गया है. प्रस्तावित मंदिर 161 फीट ऊंचा होगा और इसमें अब तीन के बजाय पांच शिखर बनाये जायेंगे. मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने गुरुवार को अयोध्या का दौरा किया था. उनके साथ कई जाने-माने इंजीनियरों का एक दल अयोध्या पहुंचा, जो निर्माण स्थल का जायजा ले रहा है. प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल तैयार करनेवाले वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे निखिल सोमपुरा भी अयोध्या में ही हैं. गुजरात से नाता रखने वाला सोमपुरा परिवार ने ही सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया था. चंद्रकांत के दादा ने ही गुजरात में सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया था. सोमपुरा परिवार पीढिय़ों से मंदिर निर्माण के काम में ही लगा हुआ है.

11 मई 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। पीएम मोदी का 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होने का कार्यक्रम है। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार संजय पांडेय कहते हैं, ‘नेहरू का खत पीएम मोदी के संबंध में अप्रासंगिक है। राम मंदिर का मामला कोर्ट में हल हो गया है। हो सकता है कि बीजेपी इसी क्षण का इंतजार कर रही थी। बीजेपी के मेनिफेस्टो में राम मंदिर का मुद्दा रहा है। ऐसे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री वहां जाते हैं तो कोई हर्ज नहीं है।Ó

मई 1951 में केएम मुंशी ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को नवनिर्मित सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन के लिए बुलावा भेजा था। उस वक्त पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक खत लिखा। इस खत में उन्होंने राजेंद्र प्रसाद से अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए कहा। उन्होंने खत में लिखा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और इसके कई निहितार्थ लगाए जा सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार साकेत गोखले ने ट्वीट में लिखा, ‘इस पर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि वह राष्ट्रपति हैं और जिस भी आयोजन में उन्हें जाने में खुशी होती है, वहां वह जाएंगे। इस पर नेहरू ने उन्हें याद दिलाया कि वह मंत्रि परिषद की सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं।Ó

गोखले ट्वीट में लिखते हैं कि नेहरू ने एक सेक्युलर देश के राष्ट्रपति के रूप में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के कदम पर नाखुशी जताई। गोखले ने ट्वीट किया, ‘2 मई 1951 को पंडित नेहरू ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को खत लिखा और कहा कि सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन कार्यक्रम सरकारी नहीं है और भारत सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। हमें कोई भी ऐसी चीज नहीं करनी चाहिए जो एक सेक्युलर स्टेट के हमारे रास्ते में आड़े आए। यही हमारे संविधान का आधार है। इसलिए देश के सेक्युलर कैरेक्टर को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज से सरकार अपने को दूर करती है।Ó

गोखले ने लिखा कि इसके बावजूद 11 मई 1951 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। तत्कालीन नेहरू सरकार ने इस आयोजन से दूरी बनाकर रखी और कहा कि राष्ट्रपति अपने निजी विचार से हमारी सलाह के बावजूद वहां गए। 

नेहरू राम को अयोध्या से बेदखल करना चाहते थे

यहॉं तक कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी रामलला को गर्भगृह से बेदखल करने पर अमादा थे। वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी किताब ‘युद्ध में अयोध्याÓ में विस्तार से इस घटना का ब्यौरा दिया है। नेहरू के मॅंसूबों को केरल के रहने वाले आईसीएस अधिकारी केकेके नायर, जो उस समय फैजाबाद के जिलाधिकारी थे ने विफल कर दिया था।

विहिप ने पवार की टिप्पणी को समझ के परे बताया, कहा- राम मंदिर का मुद्दा ठंडे बस्ते में नहीं रह सकता

किताब में दावा, ‘उप्र में नहीं पाक में है भगवान राम की अयोध्याÓ

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक वरिष्ठ पदाधिकारी अब्दुल रहीम कुरैशीका दावा है कि रामजन्मभूमि विवाद अंग्रेजों की देन है और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म जहां आज अयोध्या है, वहां नहीं हुआ था। 

कांग्रेस ने अपने शासन काल में सौ बार संविधान की पीठ पर छुरा घोपा

राम का अपमान करने वाले के समर्थन में राहुल गांधी का नेशनल हेराल्ड

मोदी से नफरत करते-करते राहुल गांधी द्वारा सेना का अपमान, चुनाव आयोग पर अविश्वास, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना तथा अन्य स्वतंत्र संवैधानिक संस्थाओं के विरूद्ध विद्रोह  करते-करते भारत से भी नफरत करने लगे हैं चोर मचाए शोर…

 कांग्रेस ने अपने शासनकाल में सौ बार डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर द्वारा तैय्यार किये गये भारत के संविधान की पीठ पर छुरा घोपा है अर्थात उसमें काट-छांट और संशोधन किये हैं। 

अभी कांगे्रस वेंटिलेशन पर है। सत्ता के बाहर है। उसे 101 संशोधन करने की उसी प्रकार से तड़पन हो रही है जिस प्रकार से कंस….?

ओरिजनल संविधान में राम और कृष्ण के चित्र थे। उन्हें कांग्रेस के शासन में हटाया गया। संविधान के निर्माता भीमराव रामजी आम्बेडकर ने अपने दस्तखत किये थे। उस दस्तखत में भी काट -छांट की गई और उनके नाम से राम नाम हटा दिया गया। इस प्रकार की 420 जालसाजी कांग्रेस द्वारा हर क्षेत्र में की जाती रही है। 

इस प्रकार की कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष अब दलितों के मसीहा बनकर संविधान बचाओ का शोर मचा रहे हैं। भाजपा के वर्तमान में कांग्रेस से अन्य पार्टियों से अधिक सांसद व विधायक हैं। भाजपा के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण एक दलित रह चुके हैं। 

क्या कांग्रेस ने जगजीवन राम को अध्यक्ष बनाया? इंदिरा गांधी के आपातकाल में उन्हें कांग्रेस छोड़कर अपनी स्वयं की दूसरी पार्टी बनानी पड़ी थी। आज भी वही स्थिति है। कांग्रेस पार्टी के अंदर ही सीजेआई के विरूद्ध राहुल गांधी ने तीन टिकट महा विकट रूपी बी.राजा, गुलाम नबी आजाद व कपिल सिब्बल के साथ मिलकर महाअभियोग लगाया है उसे उपराष्ट्रपति  वैकेया नायडू खारिज कर चुके हैं। कांग्रेस पार्टी के अंदर ही विद्रोह भी हो रहा है। 

जिस प्रकार से आतंकवादी सेना की ड्रेस में घुसपैठ कर रहे हैं और रावण ने साधु के वेश में जैसे सीता का हरण किया था उसी प्रकार से राहुल गांधी भी बहुरूपीये बने हुये हैं ऐसी धारणा अधिकांश लोगों की है। 

पंडित नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक नेहरू-गांधी डायनेस्टी के सभी वंशज राम विरोधी रहे हैं, हिन्दू विरोधी रहे हैं। पंडित नेहरू ने तो घोषणा की थी कि वे घटनावश हिन्दू परिवार में जन्मे हैं, संस्कृति से मुस्लिम और शिक्षा से अंग्र्रेज हैं। 

क्रिस्चियन सोनिया गांधी के निर्देश पर क्रिस्चियन अंबिका सोनी ने रामसेतु को विध्वंस करने की नीयत से यूपीए शासन की ओर से सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम काल्पनिक हैं मिथक हैं। 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का हिंदू विरोधी चरित्र एक बार फिर सामने आया है। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड अखबार ने एक ऐसी महिला  का पक्ष लिया है, जिसने भगवान राम को अपशब्द कहे हैं। 

कांग्रेस के मुखपत्र में भगवान राम को सुअर कहे जाने वाले बड़े जातिवाद का समर्थन किया गया है

कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड, जो पहले झूठे झूठ फैलाने और तथ्यों को विकृत करने में लिप्त था , आज एक इतिहासकार ऑड्रे ट्रुस्के के रूप में बड़े जातिवाद के पक्ष में एक लेख के साथ सामने आया, जिसने भगवान राम को सुअर कहा। 

यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने खुद को भगवान राम के खिलाफ हिंदू विरोधी दिखाया है। इससे पहले 2007 में, जब केंद्र में कांग्रेस सत्ता में थी, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि भगवान राम के अस्तित्व का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। 

 ईसाई मिशनरियों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले सांसद ने राम मंदिर के लिए दिए ?4 लाख, पार्टी के लोगों ने दी थी धमकी

सांसद रघुराम कृष्णम राजू ने कहा कि देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुओं की तरह वो भी उस क्षण का दर्शन करने को बेताब हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखेंगे और भूमि-पूजन करेंगे।

मई 2020 में वो ‘टाइम्स नाऊÓ पर डिबेट के दौरान इस बात को ऑन एयर शो में मानते नजऱ आए थे कि आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण की प्रक्रिया तेजी से चालू है। लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कहा था कि ऐसा नहीं है कि ये कन्वर्जन की प्रक्रिया सिर्फ आंध्र प्रदेश में चल रही है, बल्कि वो तो ये कह रहे हैं कि ये पूरे देश में हो रहा है। उन्होंने इसके मिशनरियों के ‘मनी-पॉवरÓ को जिम्मेदार ठहराया था।

इसके बाद उन्हें अपनी ही पार्टी के नेताओं से जान से मार डालने की धमकी मिलनी शुरू हो गई थी। उनका कहना था कि चुनाव भी उन्होंने अपने ही दम पर जीता है, इसमें जगन मोहन रेड्डी के चेहरे का कोई योगदान नहीं है। ब

अपने नवीनतम ट्वीट में, पट्टनायक को न केवल नेपाल के पीएम “श्री राम के नेपाली होने” के अप्रिय दावे को खारिज करते हुए देखा गया है, बल्कि उन्होंने भगवान हनुमान और भगवान भैरव जैसे हिंदू देवताओं का भी अपमान किया है, जो हिंदुओं द्वारा पूजे गए भगवान शिव के उग्र रूप हैं।

 भारत को बंदरों की भूमि बताकर भगवान हनुमान का मजाक उड़ाने वाले देवदत्त पट्टनाईक ने नेपाल पीएम ओली के इशारे पर दवा किया है  कि  ‘श्री राम नेपालीÓ है,

नेपाल के प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा उत्पन्न उग्र विवाद के बीच, यह दावा करते हुए कि भारत ने द्वद्गठ्ठह्ल सांस्कृतिक अतिक्रमण Óमें लगे हुए हैं, देवदत्त पट्टनायक ने 19 जुलाई के अपने ट्वीट में लिखा था:” हिंदुत्व नए रामायण के घटनाक्रम के साथ उग्र है “। उन्होंने आगे कहा कि नए घटनाक्रम के अनुसार, नेपाल जहां भगवान श्री राम का निवास है, वहीं श्रीलंका रावण का घर है, जबकि भारत बंदरों का देश है। ऐसा कहते हुए, लेखक ने हिंदू वानर देवता- भगवान हनुमान पर कटाक्ष किया, जो उनके ट्वीट में सबसे प्रतिष्ठित और पूजित हिंदू देवता की तस्वीर है।

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