Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने लाया गया सीएए

सीएए 15 अगस्त 2020 को अफ ग़़ानिस्तान के 700 सिख और हिन्दू भारतीय नागरिक बनेंगे

पंजाब सीएम अमरिंदर ने सीएए को ‘विभाजनकारी कहा, भारत 1930 के दशक का एडोल्फ हिटलर जर्मनी बन गया

22 july 2020

इंदिरा गांधी के समय रूस का खुफिया तंत्र KGB दिल्ली में बैठा हुआ था। वर्तमान में रूस के राष्ट्रपति उस समय KGB प्रमुख के नाते दिल्ली में ही थे। इंदिरा गांधी की किचन केबिनेट में वामपंथियों का जमावड़ा था। रूस की मदद से KGB  की मदद से इंदिरा गांधी का शासन चल रहा था।

अटल बिहारी वाजपेयी के एनडीए शासन की समाप्ति के बाद यूपीए शासनकाल में चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग जो उस समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी थे।  उनके साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने  सांठ-गांठ की। २००४ और २००५ में  राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन की सरकार और चीन की एम्बेसी से डोनेशन मिला जिसे गांधी परिवार के आलोचक घूंस की संज्ञा देते हैँ।

२००८ में बीजिंग में जब ओलपिंक का आयोजन हुआ था उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रित न करके चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने गांधी परिवार को आमंत्रित किया था। राहुल गांधी ने वहॉ पर सोनिया गांधी की उपस्थिति में   चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एक रूश पर दस्तखत किया थे। उस समय अप्रत्यक्ष रूप से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ही एक प्रकार से यूपीए का शासन चला रही थी जिस प्रकार से रूस की केजीबी इंदिरा गांधी का शासन चला रही थी।

२०१४ में यूपीए शासन का अंत हुआ और मोदी सरकार का प्रादुर्भाव हुआ। इससे व्यथित होकर पुन: सत्ता हथियाने के लिये गांधी परिवार और चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने हाथ मिला लिया।

यूपीए शासनकाल के दौरान ही गांधी परिवार और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी की मदद से नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन के इशारे पर  नेपाल का शासन को कब्जे में लिया था।

उसी का अनुकरण करते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी चीन की मदद से भारत की सत्ता हड़पने का षडयंत्र रचे।

सीएए कानून भारत की संसद में दो तिहाई बहुमत से पारित हुआ। बावजूद इसके चीन के इशारे पर टं्रप के भारत आगमन के पूर्व सीएए के विरोध करते हुए हिंसक प्रदर्शन हुए।

>> आज का समाचार है कि 15 अगस्त 2020 को अफग़़ानिस्तान के 700 सिख और हिन्दू भारतीय नागरिक बनेंगे।, “केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में अफग़ान सिख और हिंदुओं को भारत में आश्रय देने की मांग को स्वीकार किया है। प्रारम्भ में 700 ऐसे नागरिकों को चिन्हित किया गया है, और उन्हें संभवत 15 अगस्त से पहले सकुशल भारत ले भी आया जाएगा”।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने   विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम या सीएए को देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के खिलाफ करार दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत में चल रही स्थिति 1930 के दौरान जर्मनी में एडोल्फ  हिटलर के नेतृत्व में देखी गई घटना के समान है।

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (ष्ट्र्र) को लागू नहीं करेगी। इसका फैसला  कैबिनेट बैठक में लिया गया। जहां इसका संकल्प भी पारित कर दिया गया। कमलनाथ अपनी कांग्रेस सरकार के समय साफ़ कह चुके थे की प्रदेश में इस काले कानून को लागू नहीं किया जाएगा, साथ ही इस कानून को वापस लेने की अपील भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं सीएम कमलनाथ इस कानून के विरोध में रैली भी निकाल चुके थे।

ष्ट्र्र पर हिंसा- कांग्रेस के शत्रुघ्र सिन्हा की पाक में वहॉ के राष्ट्रपति से मुलाकात

नागरिकता संशोधन कानून  के खिलाफ  22 फरवरी 2020 शनिवार से   अचानक नए सिरे से विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए थे, इस दौरान घटी घटनाओं की कडिय़ों को जोड़कर देखने पर स्पष्ट है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दौरे से ठीक पहले कहीं ये सुनियोजित विरोध-प्रदर्शन हुए थे।

सीएए के विरोध में एक सुनियोजित तरीके से  सिर्फ अलीगढ़़, जेएनयू जामिया से तक जो हिंसक प्रदर्शन हुए उसका केंद्रस्थल शाहीनबाग में केन्द्रित प्रदर्शन रहा।

यह सब कुचक्र सीएए के प्रति अहसमति नहीं, लोकतंत्र की मजबूती के लिये नहीं बल्कि देश विरोधी अलगाववाद अर्थात विभाजनकारी कृत्य था।

पीएम मोदी ने दिल्ली चुनाव के दौरान  साफ़ इशारा किया था कि आज एक सड़क रोकी है कल दूसरी सड़क रोकेंगे। शाहीनबाग और उसके ईर्द-गिर्द यही होता दिखाई दे रहा था।

14 दिसंबर से 4 मार्च तक की तथाकथा एंटी सीएए रैली कैसे बनी एंटी भारत रैली?

http://13.234.238.174/27285/

इसकी विस्तार से चर्चा इस संपादकीय के नीचे अलग से की गई है।

सीएए विरोध की आड़ में भारत विरोध

कांग्रेस हाइकमांड ने सेम पित्रोदा और अपने साथी विपक्षी पार्टियों तथा पीएफआई, सिमी जैसे असमाजिक संगठनों की सहायता से किस प्रकार से एंटी सीएए प्रदर्शनों को किस प्रकार से एंटी भारत प्रदर्शनों में १४ दिसंबर से आज ४ मार्च तक अपने कृत्यों से परिवर्तित कर दिया है इस षंडयंत्र की रूपरेखा स्वयं कांग्रेस ने ही एक्सपोज कर दी है।

१३ दिसंबर का समाचार था :

Congress Bharat Bachao Rally In
US London Abroad-

– दिल्ली के रामलीला मैदान के साथ-साथ १४ दिसंबर अमेरिका, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब समेत इन देशों में भी एंटी सीएए की आड़ में भारत बचाओ रैली निकालेगी कांग्रेस, नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल।

कांग्रेस पार्टी आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महिला हिंसा समेत तमाम मुद्दों पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में १४ दिसंबर यानी शनिवार को भारत बचाओ रैली की उस रैली

केन्द्रीय मंत्री जावड़ेकर का यह आरोप सही है कि सोनिया समेत विपक्षी नेताओं के भड़काने का नतीजा है दिल्ली हिंसा। इसी में हम यह जोड़ सकते हैं कि सेम पित्रोदा ने १४ दिसंबर के लिये इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के माध्यम से विदेश स्थित भारतीय दूतावासों के सामने प्रदर्शन करने का जो  कार्यक्रम बनाया और किया वह एक प्रकार से कांग्रेस की कब्र खोदने का प्लान और कृत्य था। 

संबंधित समाचार संपादकीय के नीचे अलग से दिया गया है।

इन हरकतों ने एंटी सीएए प्रोटेस्ट को एंटी भारत प्रोटेस्ट में परिवर्तित कर दिया।

आज का ही समाचार है :

 >> CAA Protest– हर्ष मंदर पर नफरती भाषण का आरोप, स्ष्ट ने किया जवाब तलब।

भड़काऊ भाषण के लिए भाजपा नेताओं पर एफआईआर दर्ज करवाने गए मंदर खुद फँसे और फंसाये वाड्रा गाँधी को भी।

हर्ष मंदर ने भाजपा के तीन नेताओं कपिल मिश्रा, वर्मा और अनुराग ठाकुर के खिलाफ हेट स्पीच के लिये एफआईआर दर्ज कराने हेतु सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। वहॉ वे खुद ही किस प्रकार से फंस गये शाहीनबाग में दिये अपने भाषणों के कारण और इसी प्रकार से वे रामलीला मैदान में सोनिया गंाधी-राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के हेट स्पीच तथा उसके बाद मणिशंकर अय्यर सहित अन्य असंख्य कांग्रेसी और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जो हेट स्पीच दिये वे तो भाजपा के उक्त नेताओं से कई गुना बढ़कर हेट स्पीच थे।

अतएव ऐसा तो हो नहीं सकता कि कोर्ट से ये आदेश प्राप्त हो कि सिर्फ ३ भाजपा नेताओं पर ही एफआईआर दर्ज हो जैसे कि इच्छा हर्ष मंदर ने जाहिर की है। यदि उन पर एफआईआर हुई तो उससे भी कड़ी एफआईआर सोनिया गांधी सहित अन्य नेताओं पर भी होगी।

>> दिल्ली हिंसा से सिर्फ भारत माता को नुकसान: राहुल गांधी

Óहिंदुस्तान की छवि की गई खराबÓ

क्या बोले राहुल  – बता दें राहल गांधी बृजपुरी के स्कूल में पहुंचे जहां उन्होंने हिंसा पीडि़तो से मुलाकात कर प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी बात रखते हुए कहा कि ‘ये स्कूल है। ये हिंदुस्तान का भविष्य है। जिसे नफरत और हिंसा ने जलाया है। इससे किसी का फायदा नहीं हुआ है। हिंसा और नफरत तरक्की के दुश्मन हैं। हिंदुस्तान को जो बांटा और जलाया जा रहा है इससे भारत माता को कोई फायदा नहीं है।Ó

जिस प्रकार से मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में आर्डिनेंस पास हुआ था और उसकी प्रतिलिपि दिल्ली की अजय माकन द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेस में अचानक पहुंच कर फाड़ दी थी और एक प्रकार से इसे पगड़ी उछालना कहा गया था।

   उसी प्रकार से आज भी अपने वक्तव्य में भारत माता का जिक्र कर अपनी पंडुलम प्रवृत्ति को जाहिर किया है और इस कारण से जाने-अंजाने में पुन: पगड़ी और टोपी भी अपने वरिष्ठ जनों की उछाल दी है।

>> सफेद टोपी सिर पर धारण किये हुए पंडित नेहरू कहते थे कि भारत का मतलब है वह जमीन का टुकड़ा – भारत माता की जय का नारा लगाते हंै तो आप हमारे प्राकृतिक संसाधनों की जय ही करते हैं। नेहरू कहते थे हिन्दुस्तान एक खूबसूरत औरत नहीं है, नंगे किसान हिन्दुस्तान हैं वे न तो खूबसूरत हैं और न देखने से अच्छे हैं।

>> कल – ३ मार्च २०२० को ही पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा- माता की जय बोलने में दिक्कत क्यो हैं? इस पर  संपादकीय भी लोकशक्ति में ४ मार्च २०२० के अंक में प्रकाशित है।

इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि १४ दिसंबर २०१९ से आज ४ मार्च २०२० तक सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक के जो क्रियाकलाप हैं एंटी सीएए प्रोटेस्ट के नाम पर वह वास्तव में एंटी  इंडिया प्रोटेस्ट के रूप में ही इतिहास मे जाना जायेगा।

सैम पित्रोदा ने कांग्रेस पार्टी की कब्र खोदने का बनाया प्लान

 कांग्रेस और पाकिस्तान का गठबंधन हमें देश की राजनीति में तो कई मौकों पर देखने को मिलता ही है, लेकिन अब की बार लगता है कि कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के नेतृत्व में यह गठबंधन अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुका है। दरअसल, कांग्रेस ने सैम पित्रोदा के नेतृत्व में दुनियाभर में भारतीय दूतावासों के सामने बदहाल अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, भेदभावपूर्ण राजनीति और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर बड़े स्तर पर सरकार का विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई ।

 कांग्रेस के विदेश मामलों के विभाग ओवरसीज कांग्रेस की तरफ से अमेरिका से लेकर यूके और ऑस्ट्रेलिया से लेकर सऊदी अरब तक भारतीय दूतावासों पर कांग्रेस के समर्थक प्रदर्शन किये।

 यूके और यूएस में भारतीय दूतावासों के सामने पाकिस्तान और खालिस्तानी समर्थक अतिवादी लोग हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, और उसकी जगह कांग्रेस ने ले ली थी। विदेशों में भारतीय दूतावास को भारत का प्रतिनिधि माना जाता है, ना कि किसी राजनीतिक पार्टी का। हालांकि, शर्मनाक बात यह है कि कांग्रेस और सैम पित्रोदा ने भारतीय दूतावास को ही भाजपा का मुख्यालय समझ लिया।

पिछले कुछ समय में जिस तरह कांग्रेस ने देश विरोधी रुख अपनाया, वह किसी से छुपा नहीं है। एक तरफ जहां राहुल गांधी का देश को ‘रेप इन इंडियाÓ कहकर अपमानित करना हो, या दुनियाभर में कांग्रेस द्वारा भारत सरकार के खिलाफ  प्रदर्शन करना हो, यह सब कांग्रेस के एक सुनियोजित भारत-विरोधी एजेंडे का ही हिस्सा लगता है।

 एक तरफ जहां मोदी सरकार पूरे विश्व में घूमकर भारत की छवि को मजबूत करने की दिशा में जी-तोड़ मेहनत कर रही है, तो वहीं कांग्रेस की योजना रही कि उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया जाए। हालांकि, लोकतन्त्र में जनता ही भगवान होती है और वह कांग्रेस के इस एजेंडे को भली-भांति देख और समझ रही है। और सिर्फ भारत की जनता ही नहीं, बल्कि विश्व के अलग-अलग कोनों में रहने वाले भारतीय समुदाय के मन में कांग्रेस के विरुद्ध जो छवि बनेगी, उससे भाजपा की कांग्रेस-मुक्त नीति को ही बल मिलेगा।

लोकतन्त्र में असहमति का स्वागत होना चाहिए। हालांकि, जब किसी पार्टी या सरकार का विरोध देश के विरोध में बदल जाये, तो उसकी निंदा की जानी चाहिए। कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह भारत और भाजपा को एक मानती है? क्या सैम पित्रोदा को भारतीय दूतावास में बैठे भारतीय राजदूतों में भाजपा के कार्यकर्ताओं के चेहरे नजऱ आते हैं? ये वही पार्टी है जिसके नेता  देश के हितों को परे रखते हुए कश्मीर मुद्दे पर लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन के साथ मुलाक़ात करते हैं। इसके बाद देश में राजनीतिक भूचाल आ गया था।

ये वही सैम पित्रोदा जो सिख दंगे से लेकर  पुलवामा अटैक पर भी अपने विवादित टिप्पणी की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं। हुआ तो हुआ डायलॉग सोशल मीडिया में काफी वायरल हो चुका है।

इन्हीं बयानों के कारण कांग्रेस को 2019 के आम चुनावों में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था ।

अब यही सैम पित्रोदा देश के बाहर देश का मजाक बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे उनके पार्टी के हाई कमान राहुल गांधी करते हैं चाहे वो महिलाओं के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाकर या देश को रेप कैपिटल कहकर।

भारत बचाओ रैली के नाम पर अपना राजनीति स्वार्थ साधने में अंधी हो चुकी कांग्रेस भारत की छवि धूमिल करने का जो प्रयास आकर रही है वो बेहद शर्मनाक है। अब सैम पित्रोदा ने कांग्रेस को विवादों में घिरवाने का एक और मौका ढूंढ निकाला है, जो कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है।

अभी जो राहुल गांधी चीन सीमा विवाद को मुद्दा बनाकर भारत और भारत की मोदी सरकार को कमजोर तथा चीन की कम्युनिसट सरकार और वहॉ के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को मजबूूत बताकर भारत की सेना का मनोबल गिराने का जो दुस्साहस कर रहे हैं वही दुस्साहस वे डोकलाम विवाद के समय भी कर चुके हैं।

उन्होंने उस समय गुपचुप तरीके से दो बार चीनी राजदूत से मुलाकात की थी। मानसरोवर की यात्रा को धार्मिक यात्रा बताकर राहुल गांधी चीन के मंत्री से भी राुहल गांधी ने गुपचुप तरीके से मुलाकात की थी।

इसी कड़ी में २००४ और २००५ में राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन की कम्युनिस्ट सरकार से और चीन के एम्बेसी से जो डोनेशनल मिला था और २००८ में  जिस एमओयू पर बीजिंग में हस्ताक्षर किये  थे वे सब भी देखे जा सकते हैं।