कहते हैं कि जहाँ चाह होती है वहाँ राह होती होती है और जब हर ओर से हर राह बंद हो गई थी तब वास्तव में एक मसीहा की तरह सोनू सूद (सोनू सूद) ने सामने आकर लोगों की हर संभव मदद की। उन्होंने न केवल लॉकडाउन के दौरान फंसे मजदूरों को निकाला, उन्हें सही सलामत उनके घर तक पहुंचाया लेकिन उसके बाद से लेकर आज तक भी लगातार किसी न किसी रूप में आकर लोगों तक मदद पहुंची रहे हैं। चलिए बताते हैं कि आप सोनू सूद हैं कौन और आखिर कैसे वो इंसानियत का फर्ज निभा रहे हैं। कौन हैं सोनू सूद? सोनू सूद पंजाब में जन्मे एक अधिकारी हैं। जिन्होंने न केवल बॉलीवुड बल्कि साउथ सिनेमा में भी खूब काम किया है। इनकी पिता एक इंटप्रेन्योर तो वहीं मां टीचर थे। फिल्मी बैकग्राउंड से न होने के बावजूद भी उन्होंने सिनेमा में खूब नाम कमाया है और बेहतरीन काम कर रहे हैं। हालांकि फ़िल्मों में आने से पहले सोनू सूद इलेक्ट्रॉनिक्स में के कर चुके थे लेकिन फिर उन्होंने एक्टिंग में हाथ आजमाया और गाड़ी चल निकली। कंगनडाउन के दौरान लाखों के लिए बने मसीहागारच में अचानक से जब सब कुछ बंद हो गया – लाखों लोग जहां के तान फंसे। रह गया। वास्तव में हाहाकार की स्थिति पैदा हो गई थी। लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रातों रात ऐसा क्या हो गया। लोग घबरा गए, परेशान हो गए। तब सोनू सूद ने जिस तरह से लोगों की मदद की, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम होगी। उन्होंने एक टीम बनाकर लोगों की मदद करने की ठानी। सैकड़ों बसंत इस काम में लग गए। जहां से भी मजदूरों, छात्रों के फंसने की खबर आई तो उन्हें पूरे व्यवस्थित तरीके और पूरी सावधानी बरतते हुए उन राज्यों, शहरों, गांवों तक पहुंचाया गया। कैसे कर रहे हैं लाखों लोगों की मददअक्सर ये सवाल सोनू सूद से भी काफी बार पूछा जाता है कि आखिर उन्हें ये सब करने की प्रेरणा कहां से मिलती है। किसी भी काम को अंजाम देने के लिए फंड की आवश्यक्ता तो होती ही है लेकिन उसे भी बहुत जरूरत होती है लगन और जज्बे की क्योंकि वही जो विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बना देता है। अगर इच्छाशक्ति हो तो वास्तव में खुलते चले जाते हैं, राह आसान होती है और मंजिल मिल ही जाती है। सोनू में यही इच्छाशक्ति कूट-कूट कर भरी है तभी तो लॉकडाउन खुलने के बाद भी सोनू हर किसी की मदद के लिए हर समय मौजूद हैं। आज भी लोग उनसे मदद मांगते हैं तो जवाब ना नहीं होता। सोनू सूद के लिए बस यही कहा जा सकता है जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर देखना फिजूल है कद आसमान का।
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