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एसआईटी जांच के बाद अब कर्मचारियों पर गिरेगी गाज, संपूर्णानंद संस्कृत विवि को कार्रवाई का निर्देश

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रमाणपत्रों के फर्जीवाड़े के मामले में 19 कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने विश्वविद्यालय को कार्रवाई का निर्देश दिया है। 16 साल की डिग्रियों की जांच के बाद फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था। शासन के पत्र से विश्वविद्यालय में खलबली मची हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि अभी शासन का पत्र उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रमाणपत्रों के फर्जीवाड़े की जांच पूरी हो गई है। इस मामले में प्रदेश के 75 जिलों में नौकरी कर रहे शिक्षकों की डिग्रियों का सत्यापन कराया गया था। फर्जी प्रमाणपत्रों के मामले में विश्वविद्यालय के 17 कर्मचारियों से पूछताछ की गई थी। एसआईटी ने 2016 में अपनी जांच में पाया कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की 3000 से भी ज्यादा लोगों को फर्जी मार्कशीट बेची गई थी। यह मार्कशीट संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई थीं। छह हजार से अधिक प्रमाणपत्र मिले थे फर्जी
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी करने वाले शिक्षकों की संख्या प्रदेश भर छह हजार से अधिक मिली थी। सत्यापन में सर्वाधिक फर्जी अंकपत्र बलिया, देवरिया, कुशीनगर, आगरा, सिद्धार्थ नगर, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, प्रयागराज, सोनभद्र, बागपत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के मिले थे। इसमें पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री और बीएड के फर्जी अंकपत्र व फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर छह हजार से अधिक शिक्षक परिषदीय विद्यालयों में नौकरी कर रहे थे। एसआईटी ने प्रदेश के सभी बीएसए को पत्र भेजकर मध्यमा, शास्त्री और शिक्षा शास्त्री की डिग्रियों की जांच को कहा था और सत्यापन की रिपोर्ट मांगी थी। 16 वर्षों का विवरण तलब कर एसआईटी ने वर्ष 1998 से 2014 के बीच संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पर शिक्षक बने अभ्यर्थियों का ब्योरा बेसिक शिक्षा विभाग से तलब किया था। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ला ने बताया कि शासन से अभी तक उन्हें पत्र नहीं प्राप्त हुआ है। जनपद में 315 शिक्षक
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अंक पत्रों व प्रमाण पत्रों पर जनपद में 315 अध्यापक परिषदीय विद्यालयों में नौकरी कर रहे थे। बीएसए ने शिक्षकों की सूची  एसआईटी को सौंपी थी। इसमें 25 शिक्षकों के अंकपत्र फर्जी होने की आशंका जताई गई थी। शिक्षकों के अंक पत्रों व प्रमाण पत्रों का सत्यापन कर विवि एसआईटी को रिपोर्ट सौंप चुका है।