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Editorial :- साध्वी प्रज्ञा VS परिवार को पार्टी से ऊपर और पार्टी को देश से ऊपर समझने वाले राजनीतिज्ञ

20 April 2019

आज के लोकशक्ति के प्रथम पृष्ठ के प्रथम रो का समाचार है : बीजेपी द्वारा उनके बयान से दूरी बनाने के बाद शुक्रवार शाम में साध्वी प्रज्ञा ने कहा, ‘मैंने महसूस किया कि देश के दुश्मनों को इससे (मुंबई ्रञ्जस् के पूर्व चीफ हेमंत करकरे पर दिए बयान) फायदा हो रहा था, ऐसे में मैं अपने बयान को वापस लेती हूं और इसके लिए माफी मांगती हूं, यह मेरी निजी पीड़ा थी।Ó

>> साधु साध्वी भगवान के सिवाय किसी से नहीं डरते , वे संसारी माया मोह से दूर रहते है. वे घर बार परिवार सब त्याग कर सन्यास लिए हैं।  परिवार वादी पार्टियां इस वास्तिवकता को नहीं समझ सकती क्योंकि उनके लिए तो परिवार ही सबकुछ है जबकि साध्वी सांसारिक माया जाल से दूर हैं।  इस सत्यता को हम अभी संपन्न हुए कुम्भ में आए साधु साध्वियों से समझे भी होंगे।

>> पटनासाहिब से कांग्रेस प्रत्याशी शत्रुघ्र सिन्हा ने लखनऊ में सपा प्रत्याशी अपनी पत्नी पूनम के प्रचार के रोड शो में सम्मिलित होते समय कहा था कि उन्हें पार्टी प्यारी है लेकिन परिवार पहले अर्थात उनके लिये परिवार पार्टी से बढ़कर है।

> इसी प्रकार से भारत के विभाजन के पूर्व  राजेरजवाड़े देशहित से बढ़कर अपने परिवार को  समझते थे इस कारण अंग्रेजों की गुलामी में फंस गये।

>> पंडित नेहरू ने भी सत्ता के लोभ में भारत के विभाजन को स्वीकार किया। स्वतंत्रता के बाद  पंडित नेहरू परिवारहित को ही प्राथमिकता दी थी इस कारण उन्होंने इंदिरा गांधी को अपना उत्तराधिकारी बनाने के लिये तैय्यार करना प्रारंभ कर दिया था।

यही सिलसिला नेहरू गांधी परिवार में अभी तक चले रहा है। नेहरू के बाद इंदिरा, इंदिरा के बाद राजीव, राजीव के बाद सोनिया और अब  राहुल गांधी।

>> राहुल गांधी ४५ वर्ष के होने के बावजूद  कथित रूप से कुंवारे हैं। अब वे कब शादी करेंंगे, कब उनके बच्चे होंगे कब वे बड़ें होंगे…..

यह सब सोचकर अब वे अपनी बहन प्रियंका के वाड्रा परिवार को कांग्रेस की चाबी सौंपने की तैय्यारी में हैं।

नेहरूगांधी परिवार के प्रमुखों के सामने परिवारहित ही प्रमुख रहा है। कांग्रेस में सम्मिलित होने के बाद शत्रुघ्र सिन्हा ने इसी सत्यता को उजागर किया है कि उनके लिये पार्टी से ऊपर परिवार है।

परिवारवादी, राजनीतिज्ञों के लिये नेहरू आदर्श हैं। उनके लिये पार्टी परिवार से ऊपर पार्टी और पार्टी देश से ऊपर हो सकती है।

>> प्रज्ञा भारती परिवार को छोड़कर सन्यास धारण की हैं। पीएम मोदी भी परिवार का लगभग त्याग कर अपने आपको देश के लिये समर्पित कर दिये हैं।

परिवारवादी पार्टियों के नेता इसीलिये उन पर तंज कसते रहते हैं।

तारिक अनवर ने कटिहार से कांगे्रस के उम्मीदवार तारिक अनवर ने दिया विवादित बयान , बोले पीएम मोदी का कोई वंश ही नहीं है चुनावी मौसम मेें वंशवाद पर पीएम मोदी के ब्लॉग पर कांगे्रस महासचिव प्रियंका गांधी के बाद तारिक अनवर ने भी पलटवार करते हुए कहा कि पीएम ने यह बयान इसलिये दिया है, क्योंकि उनका खुद का कोई वंश नही है।

>> तारिक अनवर के जैसे ही कर्नाटक के एक कांग्रेसी नेता ने भी यह कहा था कि पीएम मोदी मर्द नही हैं।

>> दोतीन दिन पूर्व शरद पवार जी ने भी तंज कसते हुए कहा था कि मोदी क्या समझे परिवार किसे कहते हैं उसका सुख क्या होता है।

भोपाल लोकसभा की प्रतिष्ठित सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ बीजेपी नेतृत्व ने साध्वी प्रज्ञा को अपने उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा है। इस भगवाधारी संन्यासिन को पूर्व में सुनील जोशी हत्याकांड और अजमेर ब्लास्ट में आरोपी बनाया गया था, लेकिन बाद में बरी कर दिया गया।

वर्तमान में साध्वी प्रज्ञा मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी है, जो कि अभी ट्रॉयल स्टेज में है।अप्रैल 2017 में स्तन कैंसर होने के दावों के कारण उसे बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था

करकरे 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य जांचकर्ता थे और उस वर्ष अक्टूबर में 11 संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जिसमें एबीवीपी की तत्कालीन छात्र नेता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी शामिल थीं।

साध्वी प्रज्ञा बुधवार को बीजेपी में शामिल हुईं और कुछ घंटे के अंदर यह घोषणा की गई कि वे भोपाल लोकसभा सीट से पार्टी की उम्मीदवार होंगी। प्रज्ञा राजनीति में बिल्कुल नई और अनुभवहीन हो सकती हैं. इसका उदाहरण शुद्ध ह्रदय से शहीद करकरे पर की गई उनकी टिपण्णी है जिसके कारन साध्वी प्रज्ञा आलोचना की शिकार हो रही हैं.

साधु साध्वी भगवान के सिवाय किसी से नहीं डरते , वे संसारी माया मोह से दूर रहते है. वे घर बार परिवार सब त्याग कर सन्यास लिए हैं।  परिवार वादी पार्टियां इस वास्तिवकता को नहीं समझ सकती।