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Editorial :- करकरे तो उस समय की महाराष्ट्र प्रांत और केन्द्र की

22 April 2019

कांगे्रस सरकार की आज्ञा का पालन कर रहे थे?

साध्वी प्रज्ञा को वर्ष तक यातना देने के अपराध मेें शरद पवार और कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिये

श्रीलंका में 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट की तर्ज पर हुए धमाके

््12 मार्च 1993 मुंबई बम धमाकों के बारे में शरद पवार ने बोला था झूठ, गूगल आज भी उसे बताता है सच

12 मार्च, 1993 को मुंबई में केवल 12 स्थानों पर विस्फोट हुए। लेकिन, तब के महारष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार ने 13 वें विस्फोट के बारे में राष्ट्र से झूठ बोला। उन्होंने बताया कि 13वां धमाका मुस्लिम बहुल इलाके में हुआ है। हालांकि वहां पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था।

मालेगांव ब्लास्ट के बाद पहली बार शरद पवार ने हिंदू संगठनों पर उठाई थी अंगुली।

अक्टूबर २००८ के प्रथम सप्ताह में पवार ने यह कहते हुए पुलिस पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था कि पुलिस आतंकी घटनाओं में सिर्फ सिमी जैसे मुस्लिम संगठनों की जांच करती है, बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों की नहीं।

>> श्रीलंका में 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट की तर्ज पर हुए धमाके

शिवसेना के संस्थापक हिन्दू सम्राट बाल ठाकरे जी ने भी शरद पवार पर हमला बोलते हुए कहा था कि शरद पवार जी आप लगातार मालेगांव विस्फोट को उठाते हैं और हिन्दुओं को बदनाम करते हैं, हिन्दुओं को आपको वोट क्यूं देना चाहिये?

ठाकरे जी ने शिवसेना के मुखपत्र सामना मेें प्रकाशित एक साक्षात्कार में यह बात कही थी।

>> कांग्रेस का संबंध पाकिस्तान की आतंकवादी संगठनों उनके प्रमुखों विशेषकर हाफिज सईद से था। इनके जरिये कांग्रेस ब्लैकमनी हवाला के जरिये विदेश में भेजती थी। इसका रहस्योदघाटन रॉ के पूर्व अधिकारी आरएसएन सिंह ने किया था।

इसी कारण कांग्रेस को यह ज्ञात हो गया था कि २६/११ को मुंबई में आतंकवादी हमला होने वाला है।

>> हिन्दुओं को आतंकवादी प्रदर्शित करने के षडयंत्र के मातहत ही दिग्विजय सिंह ने २६/११ मुंबई हमले को आरएसएस की साजिश कहते हुए एक पुस्तक का विमोचन किया था।

>> प्रज्ञा साध्वी को 9 वर्ष तक यातनाएं दी गई।  ये यातनाएं उसी प्रकार से थी जैसे की अंग्रेज कालापानी में स्वतंत्रता सेनानियो को भेजकर यातनाएं देते थे।  

उस समय के एटीएस प्रमुख करकरे जी थे।  उन्हीं के नेतृत्व में मालेगांव धमाके की जांच चल रही थी। उस समय के महाराष्ट्र प्रांत और केन्द्र की कांग्रेस सरकार के इशारे पर साध्वी प्रज्ञा को यातनाएं दी जा रही थी।

अतएव करकरे जी से ज्यादा बड़ा अपराध उस समय के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और केन्द्र की कांग्रेस सरकार का था।  

अतएव अब महाराष्ट्र के उस समय के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार और केन्द्र की उस समय की कांग्रेस सरकार के कर्ताधर्ताओं को साधवी प्रज्ञा से माफी मांगनी चाहिये।