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ज्ञानवापी मस्जिद- मंदिर विवाद : श्रृंगार गौरी की तरफ से पक्षकार की मांग में दी गई अर्जी, अगली सुनवाई 15 मार्च को 

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काशी विश्वनाथ मंदिर
– फोटो : Social media

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काशी विश्वेश्वरनाथमंदिर- मस्जिद सिविल वाद की  पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका में मां श्रृंगार गौरी की तरफ से याचिका में पक्षकार बनाने में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। जिसकी सुनवाई 15 मार्च को होगी। हाईकोर्ट में सिविल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई जारी है। याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणासी की तरफ से दाखिल  की गई है। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे है। श्रृंगार गौरी की तरफ से अर्जी दाखिल करने वाले अधिवक्ता प्रभाष पांडेय ने कोर्ट से सुनवाई यह कहते हुए स्थगित करने का अनुरोध किया कि अर्जी पर वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन बहस करेंगे।मंदिर की तरफ से दलील दी गई कि ज्ञानवापी स्थित विश्वेस्वर नाथ मंदिर तोड़ कर मस्जिद का रूप दिया गया है। अभी भी तहखाने सहित चारों तरफ की जमीन पर वैधानिक कब्जा हिन्दुओं का है। मस्जिद के पीछे  शुरू से ही श्रृंगार  गौरी की पूजा होती आ रही  है।  वहां विवादित स्थल के पीछे जमीन पर कथा भी आयोजित होती रही  है।
नंदी का मुख मस्जिद की तरफ होने के नाते साफ है कि मंदिर तोड़कर  मस्जिद का रूप दिया गया है। मुक्ति कूप के पास अभी भी नंदी  विराजमान हैं। तहखाने के गेट पर हिन्दुओं व प्रशासन का ताला लगा है। दोनों की तरफ से दरवाजा खोला जाता है। मस्जिद के पीछे ध्वंसावशेष में मंदिर का ढांचा साफ दिखाई देता है। विवादित ढांचे में तहखाने की छत पर मुस्लिम नमाज पढते हैं। याचिका खारिज करने की मांग की गई है। याचियों का कहना है कि कानून के तहत 1947 की किसी भी  मस्जिद मंदिर की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता।  यथास्थिति बनाए रखने का कानून  सिविल मुकद्दमें पर रोक लगाता है।   स्थिति बदलने की मांग में वाराणसी में दाखिल मुकदमा पोषणीय नहीं है।अपर सत्र न्यायाधीश वाराणसी द्वारा मुकद्दमे की सुनवाई का आदेश देना कानून के खिलाफ है। जब कि मंदिर की तरफ से कहा गया कि विवाद आजादी के पहले से चल रहा है। इसलिए बाद में पारित कानून से विधिक अधिकार नहीं छीने जा सकते। मंदिर को तोड़ कर मस्जिद का रूप दिया गया है।  सुनवाई जारी है।

काशी विश्वेश्वरनाथमंदिर- मस्जिद सिविल वाद की  पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका में मां श्रृंगार गौरी की तरफ से याचिका में पक्षकार बनाने में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। जिसकी सुनवाई 15 मार्च को होगी। हाईकोर्ट में सिविल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई जारी है। याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणासी की तरफ से दाखिल  की गई है। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे है। 

श्रृंगार गौरी की तरफ से अर्जी दाखिल करने वाले अधिवक्ता प्रभाष पांडेय ने कोर्ट से सुनवाई यह कहते हुए स्थगित करने का अनुरोध किया कि अर्जी पर वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन बहस करेंगे।

मंदिर की तरफ से दलील दी गई कि ज्ञानवापी स्थित विश्वेस्वर नाथ मंदिर तोड़ कर मस्जिद का रूप दिया गया है। अभी भी तहखाने सहित चारों तरफ की जमीन पर वैधानिक कब्जा हिन्दुओं का है। मस्जिद के पीछे  शुरू से ही श्रृंगार  गौरी की पूजा होती आ रही  है।  वहां विवादित स्थल के पीछे जमीन पर कथा भी आयोजित होती रही  है।

निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ धाम
– फोटो : a

नंदी का मुख मस्जिद की तरफ होने के नाते साफ है कि मंदिर तोड़कर  मस्जिद का रूप दिया गया है। मुक्ति कूप के पास अभी भी नंदी  विराजमान हैं। तहखाने के गेट पर हिन्दुओं व प्रशासन का ताला लगा है। दोनों की तरफ से दरवाजा खोला जाता है। मस्जिद के पीछे ध्वंसावशेष में मंदिर का ढांचा साफ दिखाई देता है। विवादित ढांचे में तहखाने की छत पर मुस्लिम नमाज पढते हैं। याचिका खारिज करने की मांग की गई है। याचियों का कहना है कि कानून के तहत 1947 की किसी भी  मस्जिद मंदिर की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता।  यथास्थिति बनाए रखने का कानून  सिविल मुकद्दमें पर रोक लगाता है।   स्थिति बदलने की मांग में वाराणसी में दाखिल मुकदमा पोषणीय नहीं है।अपर सत्र न्यायाधीश वाराणसी द्वारा मुकद्दमे की सुनवाई का आदेश देना कानून के खिलाफ है। जब कि मंदिर की तरफ से कहा गया कि विवाद आजादी के पहले से चल रहा है। इसलिए बाद में पारित कानून से विधिक अधिकार नहीं छीने जा सकते। मंदिर को तोड़ कर मस्जिद का रूप दिया गया है।  सुनवाई जारी है।