‘माई विंध्यवासिनी अउर ज्वाला देवी के आसीरबाद लेवे के खातिर अउर अपने वनवासी समाज के भाई-बहिनी से मिले हम ई सोनांचल में आइल हईं।’ भोजपुरी में भाषण की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आगे कहा कि भारत की आत्मा ग्रामीण और वनवासी अंचलों में बसती है। यदि कोई भारत की जड़ों से परिचित होना चाहता है तो उसे सोनभद्र में कुछ समय जरूर बिताना चाहिए। वनवासी समुदाय के विकास के बिना देश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।
यह बातें रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सेवा कुंज आश्रम में आयोजित वनवासी समागम को संबोधित करते हुए कहीं। कहा कि सही मायने में आप सबके विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। केंद्र और राज्य सरकार से अपेक्षा की कि वनवासी समाज के पारंपरिक लोकनृत्य करमा को देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी पहचान दिलाने की दिशा में काम होगा।
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