गोरखपुरहिंदी के जाने माने कवि, लेखक और आलोचक देवेंद्र आर्य के इकलौते बेटे देवांश की सीने में दर्द होने से सोमवार भोर में मृत्यु हो गई। बता दें कि देवांश भोपाल के लॉ कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद मुंबई के एक प्राइवेट फर्म में नौकरी कर रहे थे। मौत की खबर सुनते ही उनके आवास पर साहित्यकारों का जमावड़ा लग गया। सीने में दर्द से हुई मौतअपनी रचना के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित हुए पुत्र शोक में व्याकुल देवेंद्र आर्य ने बताया कि देवांश (27) को पहले से हार्ट डिसीज थी। रविवार की रात में अचानक सीने में दर्द हुआ। उसे आनन-फानन में एंबुलेंस बुलाकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज इलाज के लाया गया। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। शव को घर लाया गया। जहां से राप्ती नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया। कांपते हाथों से कवि ने बेटे को दी मुखाग्निजवान बेटे के असमय मृत्यु से बेसुध हुए पिता ने कांपते हाथों से बेटे को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। वहीं, शाहपुर स्थित मकान पर मौजूद परिजनों ने कहा कि एक पिता के लिए इससे बेहद कठिन समय और क्या हो सकता है कि जब बेटे के सिर पर सेहरा सजाने का समय था तो उसका अंतिम संस्कार किया गया। देवांश की अभी शादी नहीं हुई थी। बता दें कि देवेंद्र आर्य को उनके साहित्य के लिए केंद्र सरकार का मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार मिल चुका है।
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