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अक्षयवट की उम्र पर नए सिरे से होगा मंथन, वृक्ष विरासत सूची को अंतिम रूप देने पर रोक

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जैव विविधता बोर्ड की ओर से जारी वृक्ष विरासत सूची में अक्षयवट की उम्र तीन सौ साल बताने पर वन विभाग घिर गया है। साधु-संतों की नाराजगी के बाद अब सूची जारी करने पर रोक लगा दी गई है। कहा जा रहा है कि विरासत सूची को अंतिम रूप से जारी करने से पहले उनका सत्यापन कराया जाएगा और आपत्तियां मांगी जाएंगी, ताकि किसी भी तरह के संशय को दूर किया जा सके।सनातनी परंपरा के प्रतीक के तौर पर पुराणों, शास्त्रों में वर्णित अक्षय वट की उम्र के आधार को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। अब प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय की ओर से कहा जा रहा है कि अक्षयवट समेत जिले के जिन 53 वृक्षों को धरोहर सूची में शामिल किया गया है, उनकी उम्र, ऐतिहासिकता और उनके पौराणिक महत्व के लिए अध्ययन टीम बनाई गई थी।
लख्रनऊ विश्वविद्यालय की प्रो अमिता कन्नौजिया के नेतृत्व में इसके लिए विशेषज्ञों की टीम ने प्रयागराज में अक्षयवट, पारिजात समेत अन्य वृक्षों पर शोध और अध्ययन किया है। उनकी अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर ही अक्षयवट की उम्र का आकलन विरासत सूची में दिया गया है। हालांकि आस्था के प्रतीक अक्षयवट की उम्र के इस आकलन को लेकर नीचे से लेकर ऊपर तक वन विभाग घिर गया है। इस मसले पर अब अफसरों को जवाब देते नहीं बन रहा है।मुख्य वन संरक्षक एन रवींद्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि अभी जैव विविधता बोर्ड की चयन सूची और इससे जुड़ी रिपोर्ट उनको नहीं मिली है, ऐसे में वह अभी कुछ कह नहीं सकते। इस बीच पता चला है कि विरासत सूची को अंतिम रूप से जारी करने पर रोक लगा दी गई है। वन विभाग के अधिकारियों से अक्षयवट की उम्र के आकलन का आधार पूछा गया है। पता चला है कि अक्षयवट समेत ऐसे अन्य पौराणिक, ऐतिहासिक महत्व के वृक्षों की उम्र वहां रहने वाले लोगों से बातचीत के अलावा वृक्षों की जड़ों और शाखाओं को देखकर आंकी गई है।  अभी विरासत सूची को अंतिम रूप से फाइनल नहीं किया गया है। बोर्ड की स्वीकृति के बाद अब आपत्तियां मांगी जाएंगी, ताकि उन वृक्षों के महत्व के आधार को लेकर किसी भी तरह की शिकायतों और भ्रांतियों का निस्तारण किया जाएगा। इसके बाद ही सूची को अंतिम रूप से जारी किया जाएगा। इसमें अभी महीने भर का समय लग सकता है।पातालपुरी के पुजारी ने जताई वन विभाग की सूची पर आपत्तिपातालपुरी मंदिर के प्रधान पुजारी रवींद्र नाथ योगेश्वर ने वन विभाग की सूची पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि जिस अक्षयवट की महिमा का वर्णन वेद-पुराणों में किया गया है, उसकी उम्र का आधार वन विभाग को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्षयवट युगों-युगों तक अविनाशी वृक्ष है।

जैव विविधता बोर्ड की ओर से जारी वृक्ष विरासत सूची में अक्षयवट की उम्र तीन सौ साल बताने पर वन विभाग घिर गया है। साधु-संतों की नाराजगी के बाद अब सूची जारी करने पर रोक लगा दी गई है। कहा जा रहा है कि विरासत सूची को अंतिम रूप से जारी करने से पहले उनका सत्यापन कराया जाएगा और आपत्तियां मांगी जाएंगी, ताकि किसी भी तरह के संशय को दूर किया जा सके।

सनातनी परंपरा के प्रतीक के तौर पर पुराणों, शास्त्रों में वर्णित अक्षय वट की उम्र के आधार को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। अब प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय की ओर से कहा जा रहा है कि अक्षयवट समेत जिले के जिन 53 वृक्षों को धरोहर सूची में शामिल किया गया है, उनकी उम्र, ऐतिहासिकता और उनके पौराणिक महत्व के लिए अध्ययन टीम बनाई गई थी।

prayagraj news : अक्षय वट
– फोटो : prayagraj

लख्रनऊ विश्वविद्यालय की प्रो अमिता कन्नौजिया के नेतृत्व में इसके लिए विशेषज्ञों की टीम ने प्रयागराज में अक्षयवट, पारिजात समेत अन्य वृक्षों पर शोध और अध्ययन किया है। उनकी अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर ही अक्षयवट की उम्र का आकलन विरासत सूची में दिया गया है। हालांकि आस्था के प्रतीक अक्षयवट की उम्र के इस आकलन को लेकर नीचे से लेकर ऊपर तक वन विभाग घिर गया है। इस मसले पर अब अफसरों को जवाब देते नहीं बन रहा है।मुख्य वन संरक्षक एन रवींद्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि अभी जैव विविधता बोर्ड की चयन सूची और इससे जुड़ी रिपोर्ट उनको नहीं मिली है, ऐसे में वह अभी कुछ कह नहीं सकते। इस बीच पता चला है कि विरासत सूची को अंतिम रूप से जारी करने पर रोक लगा दी गई है। वन विभाग के अधिकारियों से अक्षयवट की उम्र के आकलन का आधार पूछा गया है। पता चला है कि अक्षयवट समेत ऐसे अन्य पौराणिक, ऐतिहासिक महत्व के वृक्षों की उम्र वहां रहने वाले लोगों से बातचीत के अलावा वृक्षों की जड़ों और शाखाओं को देखकर आंकी गई है।  अभी विरासत सूची को अंतिम रूप से फाइनल नहीं किया गया है। बोर्ड की स्वीकृति के बाद अब आपत्तियां मांगी जाएंगी, ताकि उन वृक्षों के महत्व के आधार को लेकर किसी भी तरह की शिकायतों और भ्रांतियों का निस्तारण किया जाएगा। इसके बाद ही सूची को अंतिम रूप से जारी किया जाएगा। इसमें अभी महीने भर का समय लग सकता है।पातालपुरी के पुजारी ने जताई वन विभाग की सूची पर आपत्तिपातालपुरी मंदिर के प्रधान पुजारी रवींद्र नाथ योगेश्वर ने वन विभाग की सूची पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि जिस अक्षयवट की महिमा का वर्णन वेद-पुराणों में किया गया है, उसकी उम्र का आधार वन विभाग को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्षयवट युगों-युगों तक अविनाशी वृक्ष है।