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गौरा को विदा कराने 23 मार्च को आएंगे काशीपुराधिपति, 357 साल पुरानी है परंपरा

रंगभरी एकादशी पर काशीपुराधिपति गौरा को विदा कराने 23 मार्च को आएंगे। 357 सालों की परंपरा के अनुसार 24 मार्च को होने वाले गौना की रस्म के लोकाचार 21 मार्च से शुरू हो जाएंगे। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर गौना की सभी रस्में निभाई जाएंगी और महंत आवास चार दिनों के लिए गौरा के मायके के रूप में तब्दील हो जाएगा।यह जानकारी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने टेढ़ीनीम स्थित आवास पर बृहस्पतिवार को दी। महंत ने बताया कि 21 मार्च को गीत गौना, 22 मार्च को तेल-हल्दी और 23 मार्च को बाबा का ससुराल आगमन होगा। बाबा को रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा। 24 मार्च को मुख्य अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होगी।भोर में चार बजे 11 ब्राह्मणों द्वारा बाबा का रुद्राभिषेक होगा। सुबह छह बजे पंचगव्य से बाबा का स्नान कराया जाएगा। सुबह साढ़े छह बजे बाबा का षोडषोपचार पूजन होगा। सुबह सात से नौ बजे तक महंत परिवार के सदस्यों द्वारा लोकाचार किया जाएगा। नौ बजे से बाबा का शृंगार आरंभ होगा।बाबा की आंखों में लगाने के लिए काजल विश्वनाथ मंदिर के खप्पड़ से लाया जाएगा। गौरा के माथे पर सजाने के लिए सिंदूर परंपरानुसार अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया जाएगा। धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी बाबा की आरती उतारेंगे। बाबा के गौना के लिए 151 किलो गुलाब का अबीर खासतौर से मथुरा से मंगाई गई है।

रंगभरी एकादशी पर काशीपुराधिपति गौरा को विदा कराने 23 मार्च को आएंगे। 357 सालों की परंपरा के अनुसार 24 मार्च को होने वाले गौना की रस्म के लोकाचार 21 मार्च से शुरू हो जाएंगे। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर गौना की सभी रस्में निभाई जाएंगी और महंत आवास चार दिनों के लिए गौरा के मायके के रूप में तब्दील हो जाएगा।

यह जानकारी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने टेढ़ीनीम स्थित आवास पर बृहस्पतिवार को दी। महंत ने बताया कि 21 मार्च को गीत गौना, 22 मार्च को तेल-हल्दी और 23 मार्च को बाबा का ससुराल आगमन होगा। बाबा को रजत सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा। 24 मार्च को मुख्य अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होगी।