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Yogi Adityanath Govt 4 Years: पंचायत की परीक्षा, नौकरशाही की ‘मनमानी’! योगी सरकार के 4 साल और 4 चुनौतियां

हाइलाइट्स:योगी सरकार के सफल चार साल पूरे, गिनाईं उपलब्धियांयोगी सरकार के सामने अभी भी चार बड़ी चुनौतियां, जिन्हें पार पाना होगापंचायत चुनाव से लेकर यूपी के विधानसभा चुनाव तक योगी की नाक का सवालयूपी में ब्यूरोक्रेसी पर योगी को लगानी होगी लगाम, लगने वाले आरोपों को करना होगा खारिजलखनऊगोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च, 2017 को उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की थी। योगी से पहले बीजेपी सरकार आने पर यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह भी रहे लेकिन इनमें से कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। यहां तक कि तीन साल से ज्यादा कोई भी यूपी का सीएम नहीं रहा। योगी सरकार के चार साल सफलता भरे रहे लेकिन अभी भी उन्हें कुछ चुनौतियों को पार पाना है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूपी में होने वाले पंचायत चुनाव से लेकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक योगी सरकार के सामने चुनौतियां हैं। योगी सरकार पर कई आरोप लगते रहे हैं। यूपी में माफियाओं पर लगाम लगाने वाली सरकार पर क्राइम कंट्रोल में विफलता का आरोप लग रहा है। योगी सरकार के चार साल सफल सफर में चार चुनौतियां…..पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराना और उसमें सफलता पाना योगी सरकार के लिए चुनौती है। यह पहली बार है जब बीजेपी पंचायत चुनाव में उतर रही है। इससे पहले कभी भी बीजेपी सिंबल पर पंचायत चुनाव नहीं लड़ा गया। योगी सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर सपा सरकार के आदेश को खारिज करके नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया लागू की। हाई कोर्ट इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने योगी सरकार को झटका देते हुए उनका आदेश खारिज कर दिया। बीजेपी पहली बार पंचायत चुनाव में उतर रही है। कहा जा रहा है कि पंचायत चुनाव में बीजेपी का परफॉर्मेंस 2022 के विधानसभा चुनाव की लहर भी तय करेगा इसलिए योगी सरकार के लिए पंचायत चुनाव को जीतना बड़ी चुनौती होगी।पिछली बार लहर पर सवार थे, 2022 में क्या?यूपी के 2022 के विधानसभा चुनाव योगी के लिए चुनौती होगा। पिछला चुनाव राज्य में पीएम मोदी के नाम पर लड़ा गया था। 2017 में बीजेपी को अकेले 311 सीटे मिली थीं जबकि एनडीए की 325 सीटें थीं। अब विधानसभा चुनाव योगी के नाम पर लड़ा जाएगा। बीजेपी के क्लीन स्वीप को बरकरार रखना योगी सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगा।अफसरों की मनमानी? कैसे लगेगी नकेलयोगी सरकार पर ब्यूरोक्रेट्स के हावी होने के आरोप लगते रहे हैं। योगी सरकार के सख्त आदेश थे कि जिले में तैनात अधिकारी अपना सीयूजी नंबर खुद उठाएंगे। इसके बावजूद शनिवार को योगी के दफ्तर से कॉल करवाई गई तो पता चला कि 25 डीएम के सीयूजी नंबर नहीं उठे। यहां तक कि चार कमिश्नरों ने भी कॉल नहीं उठाई। जिसके बाद उन्हें नोटिस जारी किए गए सरकार और अफसरशाही के बीच संवाद और तालमेल की कमी का आरोप लगता है। ब्यूरोक्रेट्स के प्रदेश में हावी होने को लेकर खुद बीजेपी के कई विधायकों और नेताओं ने भी शिकायतें की हैं। अगर स्थानीय स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता रहा तो उस चुनौती से पार पाना आसान नहीं होगा। कई लोग कहते हैं कि ब्यूरोक्रेसी यूपी में योगी सरकार को ले डूबेगी।सरकार पर एक ‘जाति विशेष’ का ठप्पा लगने के आरोपजब से यूपी में योगी सरकार बनी तब से सरकार पर एक जाति विशेष को लाभ देने के आरोप लगते रहे हैं। जातिगत हिंसाएं भी हुईं। इसकी शुरुआत सबसे पहले सहारनपुर से हुई। सरकार के खिलाफ विपक्ष माहौल बनाता है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार एक जाति विशेष पर ध्यान देती है। आम आदमी पार्टी के नेता और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने खुलेआम कहा था कि ठाकुरों की सरकार है। सरकार पर एक जाति विशेष को बढ़ावा देने और एक अन्य जाति विशेष को निशाना बनाने का आरोप है। सोशल मीडिया पर लोग कहते हैं कि सपा सरकार यादवों की थी और अब ठाकुरों की सरकार है। योगी के गढ़ गोरखपुर शहर से बीजेपी विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल का एक ऑडियो भी आया था, जिसमें वह कहते हुए सुने गए थे कि यूपी में ठाकुरों की सरकार है।योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)