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सहायक अध्यापक भर्ती के लिए स्नातक में पचास प्रतिशत अंक की अनिवार्यता को चुनौती

प्रदेश के मान्यता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक में न्यूनतम पचास प्रतिशत अंक की अनिवार्यता संबंधी नियम को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने याचिका पर प्रदेश सरकार और अन्य सभी पक्षकारों से जवाब मांगा है। जगन्नाथ शुक्ला व अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही है। याचीगण के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल(जूनियर हाईस्कूल) अध्यापकों की भर्ती और सेवा शर्तों (सातवां संशोधन ) नियमावली के क्लाज 4(1) में कहा गया है कि जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक वही नियुक्त होगा जिसका स्नातक में प्राप्तांक कम से कम पचास प्रतिशत हो।याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद एनसीटीई ही एकमात्र संस्था है जिसे शिक्षकों की योग्यता तय करने का अधिकार है। एनसीटीई की 13 नवंबर 2019 की अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी अभ्यर्थी जो स्नातक या परास्नातक में पचास प्रतिशत अंक या बीएड की डिग्री रखता है शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए पात्र होगा। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार को तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

प्रदेश के मान्यता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक में न्यूनतम पचास प्रतिशत अंक की अनिवार्यता संबंधी नियम को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने याचिका पर प्रदेश सरकार और अन्य सभी पक्षकारों से जवाब मांगा है। जगन्नाथ शुक्ला व अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही है।

याचीगण के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल(जूनियर हाईस्कूल) अध्यापकों की भर्ती और सेवा शर्तों (सातवां संशोधन ) नियमावली के क्लाज 4(1) में कहा गया है कि जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक वही नियुक्त होगा जिसका स्नातक में प्राप्तांक कम से कम पचास प्रतिशत हो।

याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने के बाद एनसीटीई ही एकमात्र संस्था है जिसे शिक्षकों की योग्यता तय करने का अधिकार है। एनसीटीई की 13 नवंबर 2019 की अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी अभ्यर्थी जो स्नातक या परास्नातक में पचास प्रतिशत अंक या बीएड की डिग्री रखता है शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए पात्र होगा। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार को तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।