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Ghaziabad news: साल बदला है, कोरोना का खतरा नहीं, सावधानी बरतें

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गाजियाबादकोरोना की वजह से पिछले साल 22 मार्च से जनता कर्फ्यू के साथ लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी। इस एक साल में कोरोना ने बहुत कुछ बदल दिया। मरीजों की संख्या बढ़ी, लॉकडाउन बढ़ा। साल खत्म होते-होते संक्रमितों की संख्या घटने लगी। नए साल में वैक्सीन आने से लोगों ने कुछ राहत की सांस ली, लेकिन एक बार फिर कोरोना संक्रमितों के साथ हमारी लापरवाही भी बढ़ने लगी है।गाजियाबाद जिले में 100 एक्टिव पेशेंट हैं और 10 से 15 प्रतिदिन नए मरीज सामने आ रहे हैं। एक बार फिर हम लॉकडाउन की दहलीज पर पहुंचते दिख रहे हैं। कई राज्यों में वीकेंड पर लॉकडाउन की शुरुआत भी की गई है। अगर कोरोना को हराना है तो हमें समझदारी दिखानी होगी। कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना होगा।कैसे बदलती गईं चीजेंदेश भर में 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू के साथ लॉकडाउन की शुरुआत हो गई थी। यह लॉकडाउन 67 दिनों तक चला और उसके बाद अनलॉक शुरू हुआ। हालांकि स्वास्थ्य सेवाओं में 21 दिन बाद छूट मिलनी शुरू हो गई थी। लॉकडाउन की शुरुआत में जिले में कोरोना संक्रमण के महज दो मरीज थे। इसके बाद मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। जिले में सबसे अधिक संक्रमित जून और जुलाई में सामने आए। इन दो महीनों में जिले में सबसे ज्यादा मौतें भी हुईं।मार्च में 5916 लोगों को कोरोनासितंबर में जिले में प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने की संख्या सबसे ज्यादा रही। इस महीने में 5916 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। अक्टूबर से जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होनी शुरू हुई और जनवरी 2021 में कोरोना अचानक से कम हो गया। लेकिन मार्च शुरू होते ही संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगी है। अभी जिले में कोरोना के 100 एक्टिव पेशेंट हैं। आशंका जताई जा रही है कि होली के एक सप्ताह बाद गाजियाबाद में यह ग्राफ और तेजी से बढ़ सकता है।सतर्कता ही बचा सकती हैसीएमओ डॉ. एन.के. गुप्ता ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोगों को सतर्कता बरती होगी। स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के उपचार के इंतजाम किए हैं, लेकिन कोई संक्रमित न हो इसके लिए लोगों कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना होगा। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन संक्रमण से बचने के सबसे कारगर उपाय हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना वैक्सीन पर भी भरोसा करना चाहिए। इसे लेकर किसी तरह के भ्रम में पड़ने और संदेह करने की जरूरत नहीं है।साल भर में यह रहे हालातमार्च 2020 में जिले में केवल एक ही आइसोलेशन सेंटर था। अप्रैल में डासना सीएचसी को कोविड केयर एल-1 बनाया गया। इसके बाद कंबाइंड अस्पताल को एल-3 में बदला गया। इसके अलावा 5 निजी कॉलेजों में क्वारंटीन सेंटर्स बनाए गए थे। जून और जुलाई में 3 क्वारंटीन सेंटर्स को एल-1 अस्पताल में तब्दील कर दिया गया। इसके साथ ही जिले में 13 निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाया गया। जुलाई माह में अंत में जिले में होम आइसोलेशन की सुविधा शुरू की गई। इस दौरान जिले में कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर लैब शुरू की गई।क्या है मौजूदा स्थितिजिले में फिलहाल एक सरकारी और 9 निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का उपचार किया जा रहा है। निजी अस्पतालों को फरवरी में नॉन कोविड किए जाने की अनुमित दे दी गई थी, लेकिन 9 अस्पतालों में केवल एक-एक कोरोना वॉर्ड बना दिया गया है। जिसमें 7 से 15 बेड तक की व्यवस्था है। हालांकि निजी अस्पतालों में केवल 22 मरीज ही भर्ती हैं।