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Kanpur News: बिकरू कांड में चौंकाने वाला खुलासा, शस्त्र लाइसेंस में फर्जी हस्ताक्षर का किया गया था इस्तेमाल

कानपुरबिकरू कांड के आठ महीने बीत जाने के बाद भी चौकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। एसआइटी की जांच में 11 सीओ दोषी पाए गए थे। ये वो पुलिस अधिकारी थे, जिन्होंने कुख्यात अपराधी विकास दुबे से मित्रता निभाई थी। सभी दोषी पाए गए 11 सीओ के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। इसी कड़ी में एक 82 वर्षीय रिटायर्ड सीओ ब्रजन सिंह ने जांच अधिकारी के सामने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने दावा किया है कि दीपक दुबे के शस्त्र लाइसेंस की सत्यापन रिपोर्ट में उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं। पुलिस अधिकारी उनके इस दावे की जांच कराएंगे।जांच में 47 पुलिस कर्मी दोषी पाए गए हैंदुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने बीते 2 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर 8 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड के बाद यूपी एसटीएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया था। बिकरू कांड और एनकांउटर की जांच के लिए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संजय भूसरेड्डी के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया था। एसआइटी ने बिकरू कांड की जांच रिपोर्ट को शासन को सौंप दी है। एसआईटी की जांच में 47 पुलिस कर्मी दोषी पाए गए हैं। जिसमें से 11 सीओ हैं, जो बिल्हौर सर्किल में तैनात रहे हैं।1997 में तैनात थे रिटायर्ड सीओरिटायर्ड सीओब्रजन सिंह 1997 में बिल्हौर सर्किल में तैनात थे। यह वो दौर था जब विकास दुबे दबंगई के बल पर क्षेत्र में अपने आप को मजबूत कर रहा था। सीओ पर आरोप है कि विकास दुबे के छोटे भाई दीपक दुबे का एक सिंतबर 1997 को डबल बैरल बंदूक का पहला शस्त्र लाइसेंस बना था। उस वक्त दीपक दुबे पर सात मुकदमे दर्ज थे। शस्त्र लाइसेंस की सत्यापन रिपोर्ट में सीओ के हस्ताक्षर हैं।मेरे हस्ताक्षर फर्जी हैंरिटायर्ड सीओ का दावा है कि अब मेरी उम्र 82 वर्ष हो चुकी है। कुछ ठीक से याद नहीं है, बहुत लंबा समय बीत चुका है। लेकिन हां सत्यापन रिपोर्ट में उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। पत्रावली में जो हस्ताक्षर हैं, वो फर्जी हैं।