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गोमती रिवरफ्रंट घोटाला: इंजीनियर रूप सिंह यादव समेत इन लोगों पर कोर्ट में चलेगा केस

लखनऊ
समाजवादी पार्टी के शासनकाल में बने गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत के बाद योगी सरकार ने आते ही की सिफारिश की थी। सीबीआई ने अपनी जांच में में लखनऊ खंड शारदा नहर के तत्कालीन अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव समेत कई कर्मचारियों को दोषी पाया है। इसके बाद सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाए जाने के लिए योगी सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी। उत्तर प्रदेश शासन ने अभियोजन की स्वीकृति देते हुए एसपी, प्रधान शाखा, सीबीआई, एसीबी, लखनऊ को इसकी प्रति भेज दी है।

इन लोगों का नाम आया था सामने
सीबीआई कि जांच में खुलासा हुआ कि गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण से जुड़ें इंजीनियरों ने कई दागी कम्पनियों को काम दे दिया था। इसके साथ ही विदेशों से मंहगी दर पर समान खरीदा गया। इसके साथ ही चैनलाइजेशन के कार्य में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था। अभी तक रिवर फ्रंट घोटाले में सिंचाई विभाग के 8 इजीनियरों के खिलाफ सीबीआई समेत पुलिस और ईडी ने जांच की है। इन इंजीनियरों में तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं।

एसपी सरकार ने 1513 करोड़ रूपए किये थे स्वीकृत
गोमती रिवर फ्रंट एसपी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था और आजतक सपा इस प्रोजेक्ट का गुंणगान करती नजर आती है। इसके निर्माण के लिए ने 1513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। इसमें से 95 प्रतिशत यानी 1437 करोड़ रुपये जारी भी हो गए। इस हिसाब से 95 फ़ीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा। जैसे ही सत्ता बदली तो योगी सरकार ने 2017 में इसकी न्यायिक जांच के आदेश दे दिये। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में दोषी पाए गए इंजीनियरों व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की संस्तुति की थी। जांच के दौरान ही पता चला था कि पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे। न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस केस में 19 जून 2017 को लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में 8 के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया था।