Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

सत्ता हस्तांतरण का राजदंड प्रयागराज में सलामत, अंतिम वायसराय ने पं. जवाहर लाल नेहरू को किया था सुपुर्द

prayagraj news : राजदंड के साथ देश के प्रथम प्रधान मंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू (फाइल फोटो)।
– फोटो : prayagraj

ख़बर सुनें

ख़बर सुनें

ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को हस्तांतरित की गई सत्ता का राजदंड आज भी प्रयागराज में सलामत है। इलाहाबाद संग्रहालय में इसे अब तक गोल्डन स्टिक के रूप में रखा गया था। लेकिन, स्वतंत्रता प्राप्ति की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में शुरू अमृत महोत्सव के दौरान इस गोल्डन स्टिक की नई पहचान सामने आई है। पता चला है कि सोने से निर्मित इस राजदंड को किंग जार्ज की तरफ से अंतिम वायसराय लार्ड माउंट बेटेन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को सौंपा था। इस राजदंड को बनाने का दावा चेन्नई की एक आभूषण निर्माता कंपनी ने किया है। इस राजदंड पर नए सिरे से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ब्लॉक लगाया जाएगा।
इलाहाबाद संग्रहालय में दुर्लभ कला संग्रह के तौर पर रखी गोल्डन स्टिक को अब तक नेहरू की सोने की छड़ी के रूप में जाना जाता रहा है। इस बीच हाल में ही चेन्नई की एक गोल्डन कोटिंग कंपनी ने इलाहाबाद संग्रहालय प्रशासन को इस स्टिक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। कंपनी का कहना है कि यह कोई स्टिक नहीं बल्कि सत्ता हस्तांतरण का दंड है।  गोल्डन ज्वेलरी कंपनी वीबीजे (वूम्मीदी बंगारू ज्वैलर्स) का दावा है कि 1947 में उनके वंशजों ने ही इस राजदंड को अंतिम वायसराय के आग्रह पर बनाया था।
इस कंपनी के मार्केटिंग हेड अरुण कुमार ने संग्रहालय निदेशक से संपर्क किया है। संग्रहालय प्रशासन अब इस राजदंड को नए सिरे से संरक्षित करने की योजना में जुट गया है। संग्रहालय प्रशासन का कहना है कि 1947 के बाद संग्रहालय के क्यूरेटर रहे एससी काला ने इस राजदंड को प्राप्त किया था। उस दौर में पं. नेहरू की कई निशानियों को आनंद भवन से संग्रहालय में संरक्षित करवाया गया था।
यह राजदंड भी उन्हीं में से एक संग्रह के रूप में सोने की छड़ी के तौर पर लाया गया था। अब इस गोल्डन स्टिक के अतीत पर नए सिरे से रोशनी पड़ने के बाद संग्रहालय प्रशासन बेहद उत्साहित है। संग्रहालय प्रशासन का कहना है कि जल्द ही इस राजदंड को बनाने वाली कंपनी के वंशज यहां आएंगे और राजदंड पर नए सिरे से ब्लॉक लगवाया जाएगा। उस ब्लॉक पर उनके निर्माता का भी नाम अंकित किया जाएगा।

विस्तार

ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को हस्तांतरित की गई सत्ता का राजदंड आज भी प्रयागराज में सलामत है। इलाहाबाद संग्रहालय में इसे अब तक गोल्डन स्टिक के रूप में रखा गया था। लेकिन, स्वतंत्रता प्राप्ति की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में शुरू अमृत महोत्सव के दौरान इस गोल्डन स्टिक की नई पहचान सामने आई है। पता चला है कि सोने से निर्मित इस राजदंड को किंग जार्ज की तरफ से अंतिम वायसराय लार्ड माउंट बेटेन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को सौंपा था। इस राजदंड को बनाने का दावा चेन्नई की एक आभूषण निर्माता कंपनी ने किया है। इस राजदंड पर नए सिरे से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ब्लॉक लगाया जाएगा।

prayagraj news : अंग्रेजों के द्वारा सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में पं. नेहरू को सौंपा गया था यही राजदंड।
– फोटो : prayagraj

इलाहाबाद संग्रहालय में दुर्लभ कला संग्रह के तौर पर रखी गोल्डन स्टिक को अब तक नेहरू की सोने की छड़ी के रूप में जाना जाता रहा है। इस बीच हाल में ही चेन्नई की एक गोल्डन कोटिंग कंपनी ने इलाहाबाद संग्रहालय प्रशासन को इस स्टिक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। कंपनी का कहना है कि यह कोई स्टिक नहीं बल्कि सत्ता हस्तांतरण का दंड है।  गोल्डन ज्वेलरी कंपनी वीबीजे (वूम्मीदी बंगारू ज्वैलर्स) का दावा है कि 1947 में उनके वंशजों ने ही इस राजदंड को अंतिम वायसराय के आग्रह पर बनाया था।

पंडित जवाहरलाल नेहरू

इस कंपनी के मार्केटिंग हेड अरुण कुमार ने संग्रहालय निदेशक से संपर्क किया है। संग्रहालय प्रशासन अब इस राजदंड को नए सिरे से संरक्षित करने की योजना में जुट गया है। संग्रहालय प्रशासन का कहना है कि 1947 के बाद संग्रहालय के क्यूरेटर रहे एससी काला ने इस राजदंड को प्राप्त किया था। उस दौर में पं. नेहरू की कई निशानियों को आनंद भवन से संग्रहालय में संरक्षित करवाया गया था।

जवाहर लाल नेहरू

यह राजदंड भी उन्हीं में से एक संग्रह के रूप में सोने की छड़ी के तौर पर लाया गया था। अब इस गोल्डन स्टिक के अतीत पर नए सिरे से रोशनी पड़ने के बाद संग्रहालय प्रशासन बेहद उत्साहित है। संग्रहालय प्रशासन का कहना है कि जल्द ही इस राजदंड को बनाने वाली कंपनी के वंशज यहां आएंगे और राजदंड पर नए सिरे से ब्लॉक लगवाया जाएगा। उस ब्लॉक पर उनके निर्माता का भी नाम अंकित किया जाएगा।