केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने अब देश-विदेश में रहने वाले लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की ठान ली है। किसानों ने अपनी बात रखने के लिए एक अखबार शुरू किया है, जो देश के साथ-साथ दूसरे देशों तक उनकी मांगों को पहुंचा रहा है। ट्राली टाइम्स के नाम से शुरू हुआ ये अखबार हिंदी, अंग्रजी, गुरुमुखी, बंगाली समेत कई क्षेत्रीय भाषाओं में निकाला जा रहा हैं। ई-पेपर के जरिए ट्राली टाइम्स अमेरिका, यूके, कनाडा और आस्ट्रेलिया में भी पहुंचने लगा है। फ्रेंच, जर्मन भाषा के अलावा इस पेपर का शाहमुखी लिपि में भी इसका अनुवाद किया जा रहा है, ताकि पाकिस्तान के लोगों तक भी किसान आंदोलन की खबरें पहुंच सकें। ट्राली टाइम्स अखबार का काम देख रहे वरुण आदित्य सिंह चौहान ने से कहा, किसान आंदोलन को आज तीन माह से ज्यादा समय हो गया हैं। आज भी मीडिया का एक बड़ा वर्ग किसानों की सही स्थिति नहीं दिखा रहा है। सरकार और लोगों तक उनकी बात को सही ढंग से नहीं पहुंचा रहा है। उनका आरोप है कि कुछ मीडिया संस्थान तो किसानों के खिलाफ ही खबरें चला रहे थे।यही वजह है कि किसान अब अपना ही अखबार लेकर आ गए हैं। किसान अपनी बातें साफ और स्पष्ट ढंग से आम लोगों तक पहुंचा सकें इसलिए चार पन्नों का एक समाचार पत्र निकाला जा रहा है। इसका बकायदा रजिस्ट्रेशन भी करवाया गया है। इसका हिंदी, पंजाबी के अलावा सभी प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद भी किया जा रहा है।
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