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माध्यमिक शिक्षा निदेशक अवमानना के दोषी करार, हाईकोर्ट में चलेगा अवमानना का केस

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हाईकोर्ट ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा विनय कुमार पांडेय को जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना करने और कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश में अवमानना का दोषी करार दिया है। पांडेय को स्पष्टीकरण का मौका देते हुए उनको नौ अप्रैल को फिर से तलब किया गया है। मामला संस्कृत अध्यापकों के बकाया वेतन भुगतान का है, जिसे लेकर हाईकोर्ट ने 26 नवंबर 2018 को निदेशक को आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं किया गया तो काशीनाथ और नौ अन्य ने अवमानना याचिका दाखिल की। सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने पाया कि वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा भुगतान हेतु 49 लाख 70 हजार 905 रुपये का बजट 2009 में मांगे जाने और अन्य अधिकारियों द्वारा कई बार पत्राचार के बावजूद याचीगण के बकाया का भुगतान नहीं किया गया।याची के अधिवक्ता का कहना था कि इनमें से अधिकांश शिक्षक 2000 से 2017 के सेवानिवृत्त हो चुके हैं और एक शिक्षक की 2018 में मृत्यु हो चुकी है। कोर्ट ने कहा कि निदेशक द्वारा दाखिल हलफनामे से स्पष्ट है कि उन्होंने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की और इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि मामले को इतने लंबे से क्यों लटकाए रखा गया है। अदालत ने निदेशक से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना का केस चलाकर उनको दंडित किया जाए। अदालत में मौजूद विनय कुमार पांडेय को कोर्ट ने नौ अप्रैल को स्पष्टीकरण के साथ पुन: उपस्थित होने का निर्देश दिया है।बिना कारण देरी से कोर्ट नाराजशिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान में बिना किसी उचित कारण के की गई देरी से कोर्ट बेहद नाराज रही। कोर्ट ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा विनय कुमार पांडेय के प्रति भी नाराजगी जाहिर की। अदालत ने उनको फटकार लगाते हुए काफी देर तक अदालत में रखा और कहा कि उन पर अवमानना का मामला स्पष्ट रूप से बनता है।

हाईकोर्ट ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा विनय कुमार पांडेय को जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना करने और कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश में अवमानना का दोषी करार दिया है। पांडेय को स्पष्टीकरण का मौका देते हुए उनको नौ अप्रैल को फिर से तलब किया गया है। मामला संस्कृत अध्यापकों के बकाया वेतन भुगतान का है, जिसे लेकर हाईकोर्ट ने 26 नवंबर 2018 को निदेशक को आदेश दिया था। 

आदेश का पालन नहीं किया गया तो काशीनाथ और नौ अन्य ने अवमानना याचिका दाखिल की। सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने पाया कि वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा भुगतान हेतु 49 लाख 70 हजार 905 रुपये का बजट 2009 में मांगे जाने और अन्य अधिकारियों द्वारा कई बार पत्राचार के बावजूद याचीगण के बकाया का भुगतान नहीं किया गया।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि इनमें से अधिकांश शिक्षक 2000 से 2017 के सेवानिवृत्त हो चुके हैं और एक शिक्षक की 2018 में मृत्यु हो चुकी है। कोर्ट ने कहा कि निदेशक द्वारा दाखिल हलफनामे से स्पष्ट है कि उन्होंने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की और इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि मामले को इतने लंबे से क्यों लटकाए रखा गया है। अदालत ने निदेशक से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना का केस चलाकर उनको दंडित किया जाए। अदालत में मौजूद विनय कुमार पांडेय को कोर्ट ने नौ अप्रैल को स्पष्टीकरण के साथ पुन: उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
बिना कारण देरी से कोर्ट नाराज
शिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान में बिना किसी उचित कारण के की गई देरी से कोर्ट बेहद नाराज रही। कोर्ट ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा विनय कुमार पांडेय के प्रति भी नाराजगी जाहिर की। अदालत ने उनको फटकार लगाते हुए काफी देर तक अदालत में रखा और कहा कि उन पर अवमानना का मामला स्पष्ट रूप से बनता है।

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