Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

बेटियों को इंसाफ : दुष्कर्म और हत्या के मामले में तीन दरिंदों को सजा-ए-मौत

छात्रा को अगवा करके चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या करने के तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाते हुए एडीजे/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम, राजेश पाराशर ने कठोर टिप्पणी की। कोर्ट ने 52 पेज के फैसले में लिखा है कि सरकारें बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान चला रही हैं।यदि आदिम बर्बर समाजों में होने वाली ऐसी घटनाओं के प्रति वर्तमान में कठोर रूख नहीं अपनाया जाता है, तो निश्चित रूप से ही न तो बेटी बचेगी और न ही पढ़ पाएगी। दोषियों के प्रति उदारतापूर्ण रूख अपनाया जाना न्याय के दृष्टिकोण से उचित नहीं है। यदि अपराध के खिलाफ समाज की चीत्कार को अनसुना कर दिया गया तो एक भयमुक्त समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता। अपराधियों की सजा यही है कि तीनों दोषियों की गर्दन में फंदा लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक की उनकी मृत्यु न हो जाए। यह लिखकर न्यायाधीश ने पेन की निब तोड़ दी।न्यायाधीश ने इस अपराध को विरलतम बताते हुए फैसले में लिखा कि अपराधियों ने इंसानियत व मानव मूल्यों की स्थापित मर्यादाओं को तार-तार करते हुए सभ्य समाज को फिर से एक बार बर्बर समाज की ओर ले जाने की कोशिश की है। इस वारदात ने विधि के शासन की नींव को डगमगाया है। यह घटना जनमानस को झकझोर देने वाली व थर्राने वाली रही होगी। इसके कारण नाबालिग बालिकाओं के माता-पिता के हृदय में अपनी बच्चियों को पढ़ने को भेजने के लिए हर समय किसी अनहोनी का भय विद्यमान हुआ है।न्यायाधीश ने पंजाब राज्य बनाम सौरभ बख्शी एवं रावादा शशिकला बनाम आंध्र प्रदेश राज्य का हवाला देते हुए लिखा है कि उच्चतम न्यायालय ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि दंड का सिद्धांतक सुधारात्मक उपायों को मान्यता देता है। ऐसे अवसर भी आते हैं जब किसी मामले के तथ्य व परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए निवाराणात्मक उपाय किए जाने अनिवार्य हो जाते हैं। इस मामले में भी असहाय नाबालिग मृतका की निर्दयतापूर्वक, घृणात्मकतापूर्ण व कायरता से हत्या को अंजाम दिया गया है। फैसले में धनंजय चटर्जी बनाम स्टेट आफ वेस्ट बंगाल का भी जिक्र किया गया है।यह बोले सरकारी अधिवक्ताक्रूरतम अपराध दोषियों के द्वारा अंजाम दिया गया। अपने करिअॅर के जुटी कक्षा 12 की छात्रा को घर के पास से अपहरण कर कार में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उसी के दुपट्टे से गला घोंटकर मौत के घाट उतारकर दोषियों ने क्रूरतम अपराध किया है।भरत शर्मा, विशेष लोक अभियोजक, पॉक्सो एक्टनाबालिग छात्रा के साथ इस प्रकार की वारदात जघन्य है। न्यायालय में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद न्यायाधीश ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जो कि भविष्य में ऐसे अपराधियों को ऐसे अपराध करने से पूर्व सोचने पर मजबूर करेगा।रेखा दीक्षित, एडीजीसी फौजदारीदिन ढलते ही नगर क्षेत्र से छात्रा का अपहरण कर की गई इस वारदात से जनपदवासी भी स्तब्ध हो गए थे। शाम को घरों से बेटियों का निकलना परिवार के लिए चुनौती था। आरोपियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने में अभियोजन पक्ष ने पुरजोर प्रयास किया। जिसका नतीजा अभियुक्तों को फंदे तक पहुंचाकर न्यायालय ने पूरा किया है।रविंद्र कुमार शर्मा, एडीजीसी फौजदारीसभ्य समाज की सबसे बड़ी कुरीतियों जैसे अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या और फिर मानवता को शर्मसार करते हुए शव को नाले में फेंकना जघन्यतम अपराध है। पूरे मामले की सुनवाई के दौरान कई दफा आरोपियों के कृत्य की हीनता ने झकझोर दिया था। अब जल्द से जल्द उनके फंदे पर लटकाया जाना न्यायोचित होगा।योगेश कुमार वर्मा, विशेष लोक अभियोजक

You may have missed