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थाईलैंड के जमातियों को कोई शिकवा नहीं, कहा, हिंदुस्तान बहुत अच्छा मुल्क

काटजू रोड स्थित अब्दुल्लाह मस्जिद परिसर स्थित मुसारिफखाने में ठहरे सात इंडोनेशियाई जमाती तो पासपोर्ट मिलने के बाद पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच अपने वतन के लिए नई दिल्ली रवाना हो गए। लेकिन, थाईलैंड से आए नौ जमातियों को अब भी अपने पासपोर्ट का इंतजार है। जेल से रिहा होने के बाद इसी मुसाफिरखाने में ठहरे इन जमातियों को बुधवार को ही पासपोर्ट मिलना था लेकिन उन्हें बृहस्पतिवार को भी देर शाम तक पासपोर्ट नहीं मिल सका। दरअसल दीनी तालीम हासिल करने के लिए ये जमाती लॉक़डाउन के काफी पहले ही प्रयागराज आकर सबसे पहले चकिया में कहीं ठहरे थे, बाद में वे करामत की चौकी के करीब आजाद नगर स्थित मस्जिद हेरा में आकर रुके।भारत और प्रयागराज के बारे में उनके ख्यालात जानने के लिए ‘’ने कोशिश की तो मस्जिद हेरा के पेश इमाम मुहम्मद हुजैफा कासमी ने सिलसिलेवार उनके अनुभव साझा किए। बोले, इनके साथ अरबी जानने वाले केरल के एक अनुवादक थे, जिनकी मदद से ही उनकी थोड़ी बहुत बात समझ में आती थी। जमाती तो अरबी, फारसी भी नहीं, सिर्फ टूटी-फूटी अंग्रेजी या फिर थाई जानते थे। मुझे भी उन्हें मस्जिद में ठहराने के जुर्म में मुझे भी उनके साथ जेल जाना पड़ा था। जेल के दौरान मैंने भी एक शेर लिखा था, सारे असीर मुजरिम नहीं होते, कैदखाने में यूसुफ भी जाया करते हैं। हमारे पैगंबर युसूफ को भी बेगुनाही में कैद हुई थी।तकरीबन 42 दिन जेल और आठ दिन मस्जिद में उनके साथ रहने के दौरान इतना समझ में आया कि ये लोग बहुत सब्र वाले और अल्लाह की इबादत में ही मशगूल रहने वाले थे। हिंदुस्तान के तकरीबन साल भर के प्रवास के दौरान वे तकरीबन छह महीने रोजे पर ही रहे। उस दौरान उन्होंने पूछा था कि यहां की क्या चीज खास है तो उन्हें यहां का अमरूद खिलाया था, वह उन्हें अच्छा लगा था।मस्जिद और जेल के दौरान उन्होंने अपनी बातचीत में कभी भी प्रयागराज या भारत के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो आपत्तिजनक हो और न ही जेल में किसी तरह की हरकत की। कहते थे, इंशाअल्लाह फिर दुनिया में कहीं जाना हुआ तो हिंदुस्तान और वह भी प्रयागराज आएंगे। उन्होंने ‘वेरी गुड हिंदुस्तान, वेरी गुड जेल’ कहकर हिंदुस्तान को अच्छा मुल्क बताया। इन जमातियों का यही कहना था कि हम दीन की राह पर निकले हैं और इसमें अगर दिक्कतें आती हैं तो इसका मतलब हम सही राह पर हैं।

काटजू रोड स्थित अब्दुल्लाह मस्जिद परिसर स्थित मुसारिफखाने में ठहरे सात इंडोनेशियाई जमाती तो पासपोर्ट मिलने के बाद पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच अपने वतन के लिए नई दिल्ली रवाना हो गए। लेकिन, थाईलैंड से आए नौ जमातियों को अब भी अपने पासपोर्ट का इंतजार है। जेल से रिहा होने के बाद इसी मुसाफिरखाने में ठहरे इन जमातियों को बुधवार को ही पासपोर्ट मिलना था लेकिन उन्हें बृहस्पतिवार को भी देर शाम तक पासपोर्ट नहीं मिल सका। दरअसल दीनी तालीम हासिल करने के लिए ये जमाती लॉक़डाउन के काफी पहले ही प्रयागराज आकर सबसे पहले चकिया में कहीं ठहरे थे, बाद में वे करामत की चौकी के करीब आजाद नगर स्थित मस्जिद हेरा में आकर रुके।