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NIA के खुलासे से जल्द ही महबूबा मुफ्ती सलाखों के पीछे जा सकती हैं

26 MARCH

कश्मीर घाटी में अलगाववादियों, राजनेताओं और आतंकवादियों के बीच गठबंधन का पर्दाफाश हुआ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी सहयोगी, वहिद-ए-रहमान पारा के खिलाफ दायर चार्जशीट में खुलासा किया है कि पारा ने पाकिस्तान के लश्कर कमांडर को 10 लाख रुपये की फंडिंग की जिसके कारण कई बहादुर लोगों की जाने गईं।

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार पारा के आतंकी सौदों से पर्दा उठाते हुए, NIA ने अपने सनसनीखेज खुलासे में बताया है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी ने किस तरह बंदूक के रैकेट चलाने से लेकर, आतंकवादियों की फंडिंग और अलगाववादियों द्वारा अलगाववाद की आग में घी डालने में सहयोग किया।

NIA की इस चार्जशीट में किए गए चौंकाने वाले खुलासे से न सिर्फ PDP की अलगाववाद में भूमिका स्पष्ट होती है बल्कि आतंक में वित्तीय भूमिका भी उजागर होती हैं। 

चार्जशीट में दावा किया गया है कि वर्ष 2016 में, वहिद ने लश्कर के पाकिस्तानी मूल के कश्मीर प्रमुख अबू दुजाना को वित्तीय सहायता के रूप में 10 लाख रुपये दिए। इसके अलावा, उसने पाकिस्तान के एक और खूंखार लश्कर आतंकी नावेद जट्ट की भी सहायता की थी जो वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या का मुख्य आरोपी भी है।

बता दें कि दुजाना, जिसके सिर पर 15 लाख रुपये का इनाम था, वह कई सुरक्षा बल जवानों और नागरिकों की हत्या में शामिल था। 1 अगस्त, 2017 को पुलवामा इलाके में सुरक्षा बलों ने इसे मार गिराया था।

वहीँ अनंतनाग में एक मुठभेड़ में छह सुरक्षा बल के जवानों की हत्या सहित कई आतंकवादी हमलों में नावेद जट्ट शामिल था। अंत में, 29 नवंबर, 2018 को, जट को सुरक्षा बलों ने गोलाबारी के दौरान मार गिराया गया।

इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात क्या हो सकती है, राज्य खेल परिषद की कमान संभालने वाले वहीद पारा ने खेल गतिविधि के लिए 5 करोड़ रुपये का इस्तेमाल खेल के लिए करने के बजाय, कश्मीर घाटी में युवाओं को पथराव कर अशांति फैलाने के लिए हुर्रियत (गिलानी गुट) को दिया। इस आरोप से न सिर्फ कई बड़े नेता जेल जा सकते हैं बल्कि महबूबा मुफ्ती भी फंस सकती हैं।

चार्जशीट का दावा है कि पीडीपी की ओर से वहीद पारा ने फंटूश को 5 करोड़ रुपये दिए थे। यह पैसा कश्मीर घाटी में अशांति फ़ैलाने के लिए उस समय में दिया गया था जब हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। बुरहान की हत्या से पूरे घाटी में जिस तरह की लहर देखने को मिली थी वह कभी नहीं देखी गई।

प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ पथराव किया बल्कि सुरक्षा बलों पर मोलोटोव कॉकटेल से हमला भी लिया। इस दौरान 200 से अधिक लोग मारे गए और 11,000 से अधिक घायल हुए जिसमें 3,000 सुरक्षा बल के जवान शामिल थे। हुर्रियत को धन देकर, वहीद स्पष्ट रूप से अलगाववादी गतिविधियों को जीवित रखने के लिए आग में घी डालता था जिससे इन राजनीतिक पार्टियों की रोटी चलती रहे।

चार्जशीट में दावा किया गया है कि अल्ताफ अहमद शाह पारा का करीबी सहयोगी था और कश्मीर घाटी में वर्ष 2016 की सड़क उथल-पुथल के दौरान लगातार उसके संपर्क में थे, जिससे लगभग सौ नागरिक मारे गए थे।पारा ने कथित रूप से अपने दूर के रिश्तेदार और एक प्रमुख आतंकवादी मोहम्मद यूसुफ लोन, और कुछ अन्य लोगों के माध्यम से आतंकी संगठनों के साथ संपर्क बनाए रखा था।

वहीँ यह भी खुलासा हुआ है कि वहीद पारा ने हथियारों और गोला-बारूद को ट्रासपोर्ट करने में अपने आधिकारिक पद और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया। चार्जशीट के अनुसार, पारा अपने आधिकारिक वाहन में आतंकवादियों के लिए हथियार और गोला-बारूद ट्रांसपोर्ट करने में शामिल था।

चार्जशीट में दावा किया गया है कि वहिद पारा कुपवाड़ा इलाके से बंदूक रैकेट चलाता है। एनआईए ने अपने आरोप पत्र में दावा किया है कि पारा हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को धन जुटाने और उन तक पहुँचाने की”साजिश” का हिस्सा था और राजनीतिक-अलगाववादी-आतंकी सांठगांठ को बनाए रखने में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी था। चार्जशीट से पता चलता है कि पारा ने गुप्कर रोड में अपने आधिकारिक निवास पर हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी इरफान शफी मीर के साथ कई बैठकें की थीं।

इस खुलासे से न सिर्फ जम्मू कश्मीर की राजनीति में भूचाल आएगा बल्कि लोगों को वास्तविकता भी पता चलेगा कि उनके राजनीतिक नेता अपनी फायदे की रोटी सेंकने के लिए किस तरह उनके ही रुपयों से आतंकियों की फंडिंग करते थे। इस खुलासे के बाद पीडीपी की महबूबा मुफ्ती सहित कई नेता जेल जा सकते हैं।