होली के दौरान शिकार की आशंका के चलते दुधवा प्रशासन सतर्क
बांकेगंज। दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के मैलानी और भीरा रेंज के अलावा किशनपुर सेंक्चुरी में भी जंगली सुअरों का कुनबा पिछले चार वर्ष में तेजी से बढ़ा है। इससे जहां बाघों के लिए जंगल में ही पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो रहा है, वहीं होली के मद्देनजर जंगली सुअर के शिकार की आशंका भी बढ़ी है।दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल में अनुकूल प्राकृतिक वातावरण, जलवायु और वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक वास की प्रचुरता के चलते यहां की जैव विविधतता काफी समृद्ध है। वन विभाग के संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों के चलते दुधवा नेशनल पार्क, बफरजोन और किशनपुर सेंक्चुरी की मैलानी और भीरा रेंज के घने जंगलों में भी बाघ, तेंदुआ, हिरन की विभिन्न प्रजातियों के अलावा जंगली सुअरों की बड़ी संख्या है।वन विभाग के अफसरों का कहना है कि दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के चलते किशनपुर सेंक्चुरी के साथ-साथ बफरजोन की मैलानी, भीरा, पलिया, संपूर्णानगर, धौरहरा समेत नौ रेंजों में भी जंगली सुअर की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
बाघों का पसंदीदा भोजन हैं जंगली सुअर
जंगली सुअर बाघों का पसंदीदा भोजन है। बाघों के लिए जंगल में ही पर्याप्त भोजन की उपलब्धता के चलते वर्ष 2018 में कैमरा टैंपिंग के जरिए की गई बाघों की गणना के दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या 107 मिली थी। वहीं किशनपुर सेंक्चुरी में 2016 में हुई गणना में 3550 जंगली सुअर पाए गए थे, जबकि वर्ष 2018 में ट्रांजेक्ट लाइन सर्वे के दौरान करीब 9870 जंगली सुअर होने का पता चला है।
जंगल से ज्यादा गन्ने के खेतों में हैं जंगली सुअर
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. वीपी सिंह का कहना है कि दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों से ज्यादा जंगली सुअर की आबादी गन्ने के खेतों में पाई जाती है। गन्ना जंगली सुअर का पसंदीदा भोजन है। इनका शिकार करने के लिए भी बाघ अक्सर जंगल से सटी आबादी के गन्ने के खेतों में पहुंच जाते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं होती हैं। सुअर का गर्भकाल 90 से 120 दिन का होता है। एक साल में छह-छह माह के अंतराल में मादा सुअर दो से आठ बच्चों को जन्म देती है, जिससे इनकी आबादी में तेजी से इजाफा होता है। बाघों का पसंदीदा भोजन होने के कारण इनके संरक्षण के प्रयास जरूरी हैं।
होली के दौरान शिकार की आशंका के चलते दुधवा प्रशासन सतर्क
बांकेगंज। दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के मैलानी और भीरा रेंज के अलावा किशनपुर सेंक्चुरी में भी जंगली सुअरों का कुनबा पिछले चार वर्ष में तेजी से बढ़ा है। इससे जहां बाघों के लिए जंगल में ही पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो रहा है, वहीं होली के मद्देनजर जंगली सुअर के शिकार की आशंका भी बढ़ी है।
दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल में अनुकूल प्राकृतिक वातावरण, जलवायु और वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक वास की प्रचुरता के चलते यहां की जैव विविधतता काफी समृद्ध है। वन विभाग के संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों के चलते दुधवा नेशनल पार्क, बफरजोन और किशनपुर सेंक्चुरी की मैलानी और भीरा रेंज के घने जंगलों में भी बाघ, तेंदुआ, हिरन की विभिन्न प्रजातियों के अलावा जंगली सुअरों की बड़ी संख्या है।
वन विभाग के अफसरों का कहना है कि दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के चलते किशनपुर सेंक्चुरी के साथ-साथ बफरजोन की मैलानी, भीरा, पलिया, संपूर्णानगर, धौरहरा समेत नौ रेंजों में भी जंगली सुअर की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
बाघों का पसंदीदा भोजन हैं जंगली सुअर
जंगली सुअर बाघों का पसंदीदा भोजन है। बाघों के लिए जंगल में ही पर्याप्त भोजन की उपलब्धता के चलते वर्ष 2018 में कैमरा टैंपिंग के जरिए की गई बाघों की गणना के दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या 107 मिली थी। वहीं किशनपुर सेंक्चुरी में 2016 में हुई गणना में 3550 जंगली सुअर पाए गए थे, जबकि वर्ष 2018 में ट्रांजेक्ट लाइन सर्वे के दौरान करीब 9870 जंगली सुअर होने का पता चला है।
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