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One Year Of Lockdown: जब जिगरी यार अमृत ने गोद में दम तोड़ा तो टूट गए याकूब के सपने, नहीं लौटकर गया सूरत

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वसीम अहमद, बस्तीयूपी में बस्‍ती के देवरी गांव निवासी मोहम्मद याकूब के जेहन में लॉकडाउन का खौफनाक मंजर आज भी ताजा है। अपने जिगरी दोस्त अमृत रंजन को खो चुका याकूब दोबारा लौटकर सूरत नहीं गया बल्कि गांव में ही वेल्डिंग की दुकान खोलकर अपना और अपने परिवार की जीविका चला रहा है। याकूब का सपना था कि बाहर रहकर कमाकर वह अपना घर बनाएगा लेकिन दोस्त की सांसे टूटने के साथ उसका सपना भी टूट गया है।लॉकडाउन में वायरल हुई थी तस्वीरयाकूब के गोद में उसके जिगऱी दोस्त अमृत का सिर, सिसकती सांस और रोती आत्मा को दर्शाती फोटो जब कैमरे से निकलकर दुनिया भर में वायरल हुई तो जिसने भी इस फोटो को देखा उसका कलेजा मुंह को आ गया था। याकूब ने अंतिम सांस तक अपने दोस्त अमृत का साथ नही छोड़ा था। अमृत अब इस दुनिया में नहीं है मगर लॉकडाउन के एक साल बीत जाने के बाद याकूब किस हाल में है, इसे जानने के लिए मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बनकटी ब्लॉक के देवरी गांव पहुंचकर उससे बातचीत की गई। याकूब के सपने टूट चुके हैं, वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए दोबारा लौटकर मुंबई नहीं गया क्योंकि अपनी आंखों के सामने दोस्त अमृत की दम तोड़ती सांसों ने उसे दोबारा लौटने की इजाजत नही दी।कोरोना के खौफ में दोस्त को ट्रक से उतारा तो भी नहीं छोड़ा था साथलगभग एक साल पहले कोरोना काल में लॉकडाउन के बीच लोग अपने घर पहुंचने की हर संभव कोशिश कर रहे थे, रोजाना हजारों की भीड़ सड़कों पर नजर आ रही थी। अनेक हृदयविदारक दृश्‍यों के बीच दोस्ती की एक तस्वीर भी सामने आई जहां जाति धर्म से ऊपर उठकर याकूब ने अपने दोस्त अमृत का मरते दम तक साथ नहीं छोड़ा। दोस्त के लिए वह इंसानियत की मिसाल बन गया। वह भी उस समय जब कोरोना के खौफ के चलते अपने भी करीब आने से डरते थे।एंबुलेंस आने में हो गई बहुत देर और…24 साल का अमृत गुजरात के सूरत से ट्रक से घर लौट रहा था। ट्रक में कई और लोग सवार थे, ट्रक जब मध्य प्रदेश के शिवपुरी-झांसी फोर लेन से गुजर रहा था तभी अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी। ट्रक में सवार लोगों को लगा कि अमृत को कोरोना हो गया है, इसलिए डरकर लोगों ने उसे ट्रक से उतरवाने का फैसला किया। लोगों ने अमृत को ट्रक से उतार दिया और आगे बढ़ गए लेकिन इन सबके बीच याकूब भी ट्रक से उतर गया। उसने अपने दोस्त अमृत के साथ रहने का फैसला किया, इधर अमृत की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी तो याकूब ने उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और मदद की आस और उसकी सलामती की दुआ करता रहा। याकूब अपने दोस्त अमृत से लगातार कहता रहा कि थोड़ी देर में एंबुलेंस आएगी और वो ठीक होकर अपने गांव लौट जाएंगे, लेकिन एंबुलेंस आते-आते बहुत देर हो गई और अमृत की सांसे थम गई।सूरत की फैक्ट्री में साथ काम करते थे याकूब और अमृतदोनों गुजरात के सूरत में एक फैक्ट्री में मशीन से कपड़ा बुनने का काम करते थे। लॉकडाउन के कारण सूरत से ट्रक से नासिक, इंदौर होते हुए कानपुर जा रहे थे। सफर के दौरान अचानक अमृत की तबीयत बिगड़ गई. अमृत को तेज बुखार आया. ट्रक में बैठे 55-60 लोगों ने अमृत को उतारने की जिद की तो ट्रक वाले ने अमृत को उतार दिया, इसी दौरान वो भी अमृत का ख्याल रखने के लिए ट्रक से उतर गया था।