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Kanpur News: बिकरू कांड से नहीं जुडे़गा विकास दुबे और उसके गुर्गों को पनाह देने वालों का नाम

कानपुरदुर्दांत अपराधी विकास दुबे बिकरू कांड को अंजाम देने के बाद अपने खास गुर्गों अमर दुबे और प्रभात मिश्रा के साथ कानपुर देहात भाग गया था। कानपुर देहात के रसूलाबाद में विकास दुबे और उसकों गुर्गों ने तीन दिनों तक फरारी काटी थी। विकास के मददगारों ने फरारी काटने में मदद की थी। एसटीएफ ने बीते 01 मार्च को विकास दुबे और उसके गुर्गों के 7 मददगारों को अरेस्ट किया था। अब इन मदगारों का नाम बिकरू कांड की मूल घटना की एफआईआर में नहीं जोड़ा जाएगा। इन सभी मददगारों के खिलाफ पनकी थाने में रिपोर्ट दर्ज है। उसी आधार पर विवेचना होगी। पुलिस जल्द कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगी ।17 दिन बाद दर्ज हुई FIRपनकी थाने में बीते 17 मार्च 2021 को विकास दुबे के 6 मददगारों समेत 10 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमें चार आरोपी अभिषेक, अर्पित मिश्रा, विक्की यादव और मोहन अवस्थी फरार हैं। एसटीएफ ने एक मार्च को विष्णु कश्यप, अमल शुक्ला, रामजी, अभिनव तिवारी, संजय परिहार, शुभम पाल, मनीष यादव को अरेस्ट किया था। सभी आरोपी जेल में हैं। इसमें से मनीष यादव की भूमिका असलहों की खरीद-फरोख्त में थी। कानपुर पुलिस ने 17 दिन बाद विकास के मददगारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।3 तीनों तक छिपा था विकास दुबेकुख्यात अपराधी विकास दुबे ने बीते 2 जुलाई की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड को अंजाम देने के बाद विकास दुबे अपने खास गुर्गों प्रभात मिश्रा और अमर दुबे के साथ फरार हुआ था। प्रभात मिश्रा का खास दोस्त विष्णु कश्यप तीनों को लेकर रसूलाबाद स्थित अपने जीजा रामजी के घर पहुंचा था। रामजी ने अपने साथियों के साथ मिलकर तीन दिनों तक शरण दी थी। इसके साथ ही विकास ने बिकरू कांड में इस्तेमाल किए असलहों को रामजी के घर पर छिपाया था।एफआईआर के आधार पर होगी विवेचनाबिकरू कांड की मूल घटना की विवेचना इंस्पेक्टर संजीवकांत मिश्रा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जांच में स्पष्ट हुआ है कि विकास के मददगार बिकरू कांड की घटना में शामिल नहीं थे। इन सभी सातों आरोपियों का नाम बिकरू कांड की एफआईआर से नहीं जोड़ा जाएगा। पनकी थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। उसी आधार पर विवेचना की जाएगी।