हाइलाइट्स:सीबी-सीआईडी की जांच में पता चला कि एक पुलिस टीम ने दो लोगों को एटीएम के फर्जी लूट केस में फंसाया थाझूठ पकड़े जाने के बाद चार पुलिसवालों के खिलाफ अलीगंज थाने में केस दर्ज किया गया हैएसीपी अलीगंज ने बताया कि इनमें सब इंस्पेक्टर नेपाल सिंह, वीरभान सिंह और कॉन्स्टेबल पंकज और मिथिलेश हैंलखनऊ लखनऊ में हुई सीबी-सीआईडी की जांच में पता चला है कि एक पुलिस टीम ने एक रेस्टोरेंट चलाने वाले और उसके सहयोगी को एटीएम के फर्जी लूट केस में फंसाया था। झूठ पकड़े जाने के बाद चार पुलिसवालों के खिलाफ अलीगंज थाने में केस दर्ज किया गया है। एसीपी अलीगंज अखिलेश सिंह ने बताया कि इनमें सब इंस्पेक्टर नेपाल सिंह, वीरभान सिंह और कॉन्स्टेबल पंकज और मिथिलेश हैं। पूरा मामला साल 2012 का है जब मड़ियांव के रहने वाले मनीष ने अहिबरनपुर इलाके में संतोष की दुकान 12 हजार रुपये महीने के किराए पर ली। संतोष के पिता पुलिस से रिटायर हुए हैं। मनीष ने इरफान उर्फ राजू को मदद के लिए दुकान पर रखा था। इरफान दिव्यांग है। कुछ समय बाद मनीष और संतोष में अनबन हो गई। मनीष इस दुकान को 30 लाख में खरीदने पर राजी हो गया। उसने अडवांस के तौर पर संतोष को 24 लाख रुपये दिए भी। लेकिन बाद में संतोष इससे मुकर गया। संतोष और उसका भाई अरविंद मनीष पर दबाव डालने लगे कि वह इनके नाम दुकान की रजिस्ट्री करा दे। मनीष का आरोप है, ‘संतोष ने इस मामले में अलीगंज गल्ला मंडी के इंचार्ज एसआई नेपाल सिंह की मदद ली। 15 जुलाई को इरफान और मुझे बुलाया और साथियों के साथ मिलकर हम दोनों पर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया। इसके बाद वे हमें अलीगंज पुलिस स्टेशन ले गए जहां हमें एटीएम चोर के रूप में दिखाया। पुलिसवालों ने हमारे पास से एक पिस्तौल भी बरामद दिखाई और दावा किया कि हम दोनों ने पुलिस पर फायर किया था।’ जेल में चार महीने काटने के बाद उन्हें बेल मिल गई। लेकिन इसके बाद उन्हें गैंगस्टर ऐक्ट के तहत अरेस्ट करके फिर से जेल भेज दिया गया। सांकेतिक तस्वीर
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