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मुख्तार अंसारी की पेशी के लिए इस्तेमाल एंबुलेंस मामले की जांच करने मऊ पहुंची बाराबंकी पुलिस 

पंजाब के मोहाली स्थित कोर्ट में मऊ विधायक मुख्तार अंसारी की पेशी के लिए इस्तेमाल में लाई गई एंबुलेंस मामले की जांच के लिए बाराबंकी पुलिस मऊ जिले में आ गई है। उधर, स्थानीय स्तर पर कोई सहायता नहीं मिलने पर चिकित्सक डा. अलका राय ने राहत के लिए कोर्ट की शरण लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि वे साजिश की शिकार हुई हैं। वे अपना पक्ष रखेंगी।एंबुलेंस प्रकरण को लेकर तमाम सवाल उठ खड़े हुए हैं। मुख्तार ने जब श्याम संजीवनी अस्पताल के नाम से वर्ष 2013 में एंबुलेंस खरीदी तो उसका पंजीकरण बाराबंकी में कैसे हुआ? यदि एंबुलेंस विधायक निधि से खरीदी गई है तो भी उसका पंजीकरण मऊ में ही होना था? क्योंकि एमएलसी ही अपनी निधि का प्रयोग अपने संसदीय क्षेत्र से हटकर कर सकता है।विधायक सिर्फ अपने क्षेत्र में ही कोई कार्य कर सकता है। इसी तरह यदि वर्ष 2015 में वाहन का स्थानांतरण कराने के लिए विधायक के लोगों ने भाजपा नेत्री व चिकित्सक डॉ. अलका राय से हस्ताक्षर कराया तो फिर वह गाड़ी अभी तक क्यों श्याम संजीवनी अस्पताल बाराबंकी के नाम से ही है। जबकि डॉ. अलका राय का कहना है कि हस्ताक्षर कराने के दौरान उनसे बीस हजार रुपये का चेक भी विधायक के लोगों ने लिया है।मामले में डा. अलका राय ने कहा कि मैं सही होकर भी गलत साबित की जा रही हूं, इसका परिणाम है कि आज मुझे सवालों का जवाब देना पड़ रहा है। बाराबंकी पुलिस ने उनसे संपर्क किया या नहीं, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तक तो मुझसे किसी ने संपर्क नहीं किया है लेकिन वह मऊ में नहीं हैं।उन्होंने कहा कि सही होते हुए भी आज मेरी सुनवाई और मदद करने वाला कोई नहीं है, ऐसे में मैं कोर्ट का सहारा लेने जा रही हूं। दूसरी तरफ इस मामले की जांच करने को बाराबंकी पुलिस शनिवार देर रात मऊ पहुंच गई। वह वर्ष 2013 में पंजीकृत एंबुलेंस विधायक निधि से खरीदी गई है या फिर बैंक से लोन कराकर व्यक्तिगत रूप से खरीदी गई है, इत्यादि सवालों की जांच करेगी।

पंजाब के मोहाली स्थित कोर्ट में मऊ विधायक मुख्तार अंसारी की पेशी के लिए इस्तेमाल में लाई गई एंबुलेंस मामले की जांच के लिए बाराबंकी पुलिस मऊ जिले में आ गई है। उधर, स्थानीय स्तर पर कोई सहायता नहीं मिलने पर चिकित्सक डा. अलका राय ने राहत के लिए कोर्ट की शरण लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि वे साजिश की शिकार हुई हैं। वे अपना पक्ष रखेंगी।

एंबुलेंस प्रकरण को लेकर तमाम सवाल उठ खड़े हुए हैं। मुख्तार ने जब श्याम संजीवनी अस्पताल के नाम से वर्ष 2013 में एंबुलेंस खरीदी तो उसका पंजीकरण बाराबंकी में कैसे हुआ? यदि एंबुलेंस विधायक निधि से खरीदी गई है तो भी उसका पंजीकरण मऊ में ही होना था? क्योंकि एमएलसी ही अपनी निधि का प्रयोग अपने संसदीय क्षेत्र से हटकर कर सकता है।

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