prayagraj news : डॉ. एके बंसल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार शूटर।
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डॉक्टर बंसल हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार एडमिशन माफिया आलोक सिन्हा वारदात के बाद ही एसटीएफ समेत अन्य जांच एजेंसियों के रडार पर था। हालांकि ठोस सबूत न मिलने के कारण जांच आगे नहीं बढ़ पा रही थी। एसटीएफ उस कड़ी की तलाश में लगी थी, जिसके जरिये इस पूरे मामले का पर्दाफाश किया जा सके। शूटर शोएब के गिरफ्तार होने के बाद एसटीएफ अफसरों का कहना है कि अब आलोक की एक बार फिर तलाश शुरू की जाएगी।
एसटीएफ अफसरों के मुताबिक, मूल रूप से पटना का रहने वाला आलोक सिन्हा कभी खुद मेडिकल की तैयारी करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। इस दौरान वह कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आया जो मोटी रकम लेकर मेडिकल सीट पर दाखिला कराने का काम करते थे। उन लोगों के साथ रहते-रहते वह खुद भी इस काम में लग गया। कई लोगों के दाखिले कराए भी और देखते ही देखते खुद एडमिशन माफिया बन बैठा। इसी बीच डॉक्टर एके बंसल भी उसके संपर्क में आए। दरअसल डॉ. बंसल का बेटा मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) का कोर्स कर चुका था और उसे न्यूरो सर्जरी के कोर्स में दाखिला लेना था।
इस कोर्स में सीटेें कम थीं और इसीलिए डॉक्टर ने बेटे के एडमिशन के लिए आलोक से बातचीत की। आलोक ने डॉक्टर को बेटे के दाखिले की 100 प्रतिशत गारंटी दी। जिसके बाद तय डील के मुताबिक, डॉक्टर ने उसे 55 लाख रुपये दे दिए। हालांकि एडमिशन नहीं हुआ और बात यहीं से बिगड़नी शुरू हुई। डॉक्टर ने रुपये वापस मांगे जिस पर वह टालमटोल करता रहा। आखिरकार 2015 में डॉक्टर ने उसके खिलाफ सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया। जिसके कुछ महीनों बाद ही पुलिस ने एडमिशन माफिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
गिरफ्तारी के बाद बौखलाया था
एसटीएफ अफसरों के मुताबिक, खुद पर मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद से ही आलोक डॉक्टर बंसल को अपना दुश्मन मान बैठा था। दरअसल अपने रुतबे और ऊंची पहुंच के चलते उसने कभी सपने में नहीं सोचा था कि डॉक्टर बंसल उसका कुछ बिगाड़ पाएंगे। ऐसे में जब डॉक्टर की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में सिविल लाइंस पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो वह बौखला गया। शायद यही वजह रही कि गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लाए जाने के बाद उसने सिविल लाइंस थाने में ही डॉक्टर को देख लेने की धमकी भी दी थी।
…तब रची रास्ते से हटाने की साजिश
जेल भिजवाने के बाद से ही आलोक डॉक्टर से दुश्मनी रखने लगा था। रंजिश तब और बढ़ गई जब डॉक्टर ने उस पर अन्य राज्यों में दर्ज मुकदमों में भी पैरवी शुरू कर दी। एसटीएफ अफसरों के मुताबिक, आलोक पर गुजरात और कर्नाटक में भी धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज थे। इसकी जानकारी पर डॉक्टर बंसल ने उन मुकदमों में भी पैरवी शुरू कर दी थी। जिसके बाद उस पर शिकंजा कसने लगा था और उसकी जेल से बाहर आने की उम्मीदें भी दम तोड़ने लगी थीं। यही वक्त था जब उसने डॉक्टर को रास्ते से हटाने की साजिश रची। उसने दिलीप व अख्तर कटरा के जरिये शूटरों को संरक्षण देने वाले अबरार मुल्ला से संपर्क किया और फिर शूटरों को सुपारी दी।
बिहार से गाजियाबाद तक फैला रखा था जाल
एसटीएफ अफसरों ने बताया कि आलोक ने बिहार के साथ ही गाजियाबाद में भी अपना कार्यालय खोल लिया था। दिखावे के लिए इन कार्यालयों में करिअर काउंसलिंग का काम होता था, लेकिन असलियत में यहां मोटी रकम लेकर दाखिला दिलाने का खेल होता था।
विस्तार
डॉक्टर बंसल हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार एडमिशन माफिया आलोक सिन्हा वारदात के बाद ही एसटीएफ समेत अन्य जांच एजेंसियों के रडार पर था। हालांकि ठोस सबूत न मिलने के कारण जांच आगे नहीं बढ़ पा रही थी। एसटीएफ उस कड़ी की तलाश में लगी थी, जिसके जरिये इस पूरे मामले का पर्दाफाश किया जा सके। शूटर शोएब के गिरफ्तार होने के बाद एसटीएफ अफसरों का कहना है कि अब आलोक की एक बार फिर तलाश शुरू की जाएगी।
बंसल हत्याकांड
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एसटीएफ अफसरों के मुताबिक, मूल रूप से पटना का रहने वाला आलोक सिन्हा कभी खुद मेडिकल की तैयारी करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। इस दौरान वह कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आया जो मोटी रकम लेकर मेडिकल सीट पर दाखिला कराने का काम करते थे। उन लोगों के साथ रहते-रहते वह खुद भी इस काम में लग गया। कई लोगों के दाखिले कराए भी और देखते ही देखते खुद एडमिशन माफिया बन बैठा। इसी बीच डॉक्टर एके बंसल भी उसके संपर्क में आए। दरअसल डॉ. बंसल का बेटा मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) का कोर्स कर चुका था और उसे न्यूरो सर्जरी के कोर्स में दाखिला लेना था।
Prayagraj News : Dr. AK Bansal file photo
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इस कोर्स में सीटेें कम थीं और इसीलिए डॉक्टर ने बेटे के एडमिशन के लिए आलोक से बातचीत की। आलोक ने डॉक्टर को बेटे के दाखिले की 100 प्रतिशत गारंटी दी। जिसके बाद तय डील के मुताबिक, डॉक्टर ने उसे 55 लाख रुपये दे दिए। हालांकि एडमिशन नहीं हुआ और बात यहीं से बिगड़नी शुरू हुई। डॉक्टर ने रुपये वापस मांगे जिस पर वह टालमटोल करता रहा। आखिरकार 2015 में डॉक्टर ने उसके खिलाफ सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया। जिसके कुछ महीनों बाद ही पुलिस ने एडमिशन माफिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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गिरफ्तारी के बाद बौखलाया था
एसटीएफ अफसरों के मुताबिक, खुद पर मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद से ही आलोक डॉक्टर बंसल को अपना दुश्मन मान बैठा था। दरअसल अपने रुतबे और ऊंची पहुंच के चलते उसने कभी सपने में नहीं सोचा था कि डॉक्टर बंसल उसका कुछ बिगाड़ पाएंगे। ऐसे में जब डॉक्टर की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में सिविल लाइंस पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो वह बौखला गया। शायद यही वजह रही कि गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लाए जाने के बाद उसने सिविल लाइंस थाने में ही डॉक्टर को देख लेने की धमकी भी दी थी।
…तब रची रास्ते से हटाने की साजिश
जेल भिजवाने के बाद से ही आलोक डॉक्टर से दुश्मनी रखने लगा था। रंजिश तब और बढ़ गई जब डॉक्टर ने उस पर अन्य राज्यों में दर्ज मुकदमों में भी पैरवी शुरू कर दी। एसटीएफ अफसरों के मुताबिक, आलोक पर गुजरात और कर्नाटक में भी धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज थे। इसकी जानकारी पर डॉक्टर बंसल ने उन मुकदमों में भी पैरवी शुरू कर दी थी। जिसके बाद उस पर शिकंजा कसने लगा था और उसकी जेल से बाहर आने की उम्मीदें भी दम तोड़ने लगी थीं। यही वक्त था जब उसने डॉक्टर को रास्ते से हटाने की साजिश रची। उसने दिलीप व अख्तर कटरा के जरिये शूटरों को संरक्षण देने वाले अबरार मुल्ला से संपर्क किया और फिर शूटरों को सुपारी दी।
बिहार से गाजियाबाद तक फैला रखा था जाल
एसटीएफ अफसरों ने बताया कि आलोक ने बिहार के साथ ही गाजियाबाद में भी अपना कार्यालय खोल लिया था। दिखावे के लिए इन कार्यालयों में करिअर काउंसलिंग का काम होता था, लेकिन असलियत में यहां मोटी रकम लेकर दाखिला दिलाने का खेल होता था।
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