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अशोक चतुर्वेदी से प्रभार छिना..विधायकों की चिटठी के प्रभाव पर हुई कार्यवाही..राज्य सरकार ने आदेश जारी किया..लेकिन 500 करोड़ के बजट की चाबी अभी भी चतुर्वेदी के पास

Cद्वारा लिखी गई चिटठी ने गहरा असर डाला, फलस्वरूप पंचायत अधिकारी अशोक चतुर्वेदी से आज दो विभागों का दिया गया प्रभार वापस ले लिया गया है. राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिया है. चंद दिनों पूर्व ही विभाग द्वारा उन्हें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और कौशल योजना के संचालक का प्रभार सौंपा गया था! इसके बाद सरकार की खासी किरकिरी हुई थी.

पाठय पुस्तक निगम के पूर्व महाप्रबंधक रहे अशोक चतुर्वेदी पर करोड़ों के घोटाले का आरोप है जिसकी ईओडब्ल्यू जांच कर रही है. उन पर पाठयपुस्तक निगम का महाप्रबंधक रहते हुए 70 करोड़ रूपये से अधिक का अनियमित भुगतान करने का गंभीर आरोप भी है जिसके बाद सरकार ने उन्हें इस पद से हटा दिया था लेकिन चतुर्वेदी इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए. सूत्रों के मुताबिक कल उनके प्रकरण की सुनवाई होना है. इसके पहले ही उन्हें वर्तमान पद से हटा दिया गया.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अवर सचिव रामलाल खैरवार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मिशन संचालक, आइएएस कुमार लाल चौहान के चुनाव डयूटी से वापस आने तक अशोक चतुर्वेदी को राज्य प्रबंधक कार्यक्रम, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का संचालक का प्रभार सौंपा गया था जिसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है. मिशन संचालक, आइएएस कुमार लाल चौहान इन दिनों असम चुनाव की डयूटी में हैं और उनके लौटने तक चतुर्वेदी को इसका प्रभार दिया गया था.

दरअसल चतुर्वेदी की नियुक्ति ने कई तरह के गलत संदेश दिए थे. पहला यह कि भ्रष्टाचार के मामले में ईओडब्ल्यू जांच का सामना कर रहे अधिकारी को पुन: मलाईदार विभाग का प्रभार कैसे दे दिया गया! दूसरा यह कि चतुर्वेदी सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में हैं, ऐसे में विभागीय सचिव ने पुन: उन्हें इस पद पर कैसे बिठा दिया! सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से जुड़े एक नजदीकी व्यक्ति ने चतुर्वेदी पर हाथ रखा और उनकी नियुक्ति कर दी गई. जाहिर है नियुक्ति के पीछे भी बड़ा खेला हुआ होगा.