ज्योतिषीय मान्यता है कि जब गुरु ग्रह यानी वृहस्पति, कुंभ राशि में प्रवेश करता है तो यह अति शुभ काल माना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में इस शुभ काल में ही 12 साल बाद कुंभ मेला आयोजित करने की परंपरा चली आ रही है। सोमवार को सुबह देव गुरु वृहस्पति ने मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश कर लिया है। यह शुभ संयोग आने वाले समय में शुभ संकेत देने वाला साबित होगा। पिछले कुछ समय से महामारी जैसे संकट का सामना कर रहे संपूर्ण विश्व को गुरु के प्रभाव से राहत मिलेगी। साथ ही विश्व में भारत की छवि बेहतर होगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार सबसे बड़ा ग्रह माने जाने वाले गुरु ग्रह ने पांच अप्रैल को सुबह पांच बजे शनिदेव की पहली राशि मकर से निकलकर शनिदेव की ही दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश किया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु ग्रह एक राशि में 13 महीने तक वक्री और मार्गी दोनों गति से संचरण करता है। गुरु ग्रह जो है वह शनि, राहु और केतु के बाद एक राशि में सबसे अधिक समय तक रहता है। गुरु को प्राण वायु माना जाता है। देव गुरु, राहू एवं शनि के प्रभाव से बाहर आ रहे हैं, इससे प्राकृतिक वातावरण में शुद्धि आएगी और कीटाणुजनित महामारी का प्रकोप कम होगा।
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