हाइलाइट्स:यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की पिच पर आरक्षण की गुगली ने कई दावेदारों का चुनावी खेल बिगाड़ दियापंचायत चुनाव में नई व्यवस्था से आरक्षण घोषित होने से बड़ी संख्या में सीटों के श्रेणी में परिवर्तन हुआ हैलेकिन कई दावेदारों ने सीट आरक्षित होने पर अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार दिया हैसुधीर कुमार, नोएडायूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की पिच पर आरक्षण की गुगली ने कई दावेदारों का चुनावी खेल बिगाड़ दिया तो कई के चुनावी समीकरण बन गए। वॉर्ड नंबर-1 से सीट आरक्षित होने पर ठाकुर जाति के व्यक्ति ने अपनी दलित पत्नी को चुनावी मैदान में उतार दिया। इस तरह ग्राम पंचायत सीट रिजर्व होने पर उन्होंने दलित पत्नी को मैदान में उतारकर गांव के चुनावी समीकरण बदल दिए।पंचायत चुनाव में नई व्यवस्था से आरक्षण घोषित होने से बड़ी संख्या में सीटों के श्रेणी में परिवर्तन हुआ है। इससे कई दावेदार चुनाव से बाहर हो गए हैं। हालांकि कई दावेदारों ने सीट आरक्षित होने पर अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार दिया है।दूसरी जाति की महिला से शादी का फायदापंचायत चुनाव में वॉर्ड नंबर-1 से मनोज ठाकुर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन सीट आरक्षित होने के कारण वह मैदान से बाहर हो गए। उनकी शादी दलित समाज की युवती से हुई थी तो उन्होंने मोहिनी जाटव की दावेदारी ठोकी। इससे चुनावी समीकरण बदल गए और बीजेपी ने भी उन्हें अपना कैंडिडेट घोषित करते हुए लिस्ट जारी कर दी।ऐसे ही दादरी ब्लॉक के चिटहेरा गांव में ओबीसी वर्ग के वोटों की संख्या अधिक है लेकिन सीट आरक्षित होने पर चुनावी समीकरण बदले और दलित वर्ग के लोगों ने चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की। दूसरी ओर ओबीसी वर्ग के एक युवक ने दलित वर्ग की एक युवती से शादी की हुई है। ओबीसी वर्ग में युवक ने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतार दिया। इससे पूरे गांव के चुनावी समीकरण बदल गए।
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