इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी एटा के चतुर्थ श्रेणी कर्मी से 91902 रुपये की वसूली आदेश को रद्द कर दिया है और नए सिरे से निर्णय के लिए कहा है। याची के खिलाफ वसूली आदेश उसे द्वितीय सीएपी में गलत वेतन निर्धारण के कारण अधिक भुगतान करने के कारण दिया गया था, जिसकी बिना सुनवाई का मौका दिए वसूली की कार्रवाई की गई थी।यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दाताराम की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि गलत वेतनमान निर्धारण विभाग की गलती से किया गया है। याची की इसमें कोई भूमिका नहीं है। बिना याची को सुनवाई का मौका दिए वसूली नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह केस में ऐसे आदेश को विधि विरुद्ध करार दिया है। कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी एटा के चतुर्थ श्रेणी कर्मी से 91902 रुपये की वसूली आदेश को रद्द कर दिया है और नए सिरे से निर्णय के लिए कहा है। याची के खिलाफ वसूली आदेश उसे द्वितीय सीएपी में गलत वेतन निर्धारण के कारण अधिक भुगतान करने के कारण दिया गया था, जिसकी बिना सुनवाई का मौका दिए वसूली की कार्रवाई की गई थी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दाताराम की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि गलत वेतनमान निर्धारण विभाग की गलती से किया गया है। याची की इसमें कोई भूमिका नहीं है। बिना याची को सुनवाई का मौका दिए वसूली नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह केस में ऐसे आदेश को विधि विरुद्ध करार दिया है। कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली है।
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