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हाईकोर्ट : जमानत देना या न देना कोर्ट का विवेकाधिकार

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जमानत नियम और जेल अपवाद है। फिर भी केस के तथ्य व आरोपों की प्रकृति के आधार पर जमानत देने या अस्वीकार करने का कोर्ट को विवेकाधिकार है। हाईकोर्ट ने गोंडा,अलीगढ़ के पवन को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है ।कोर्ट ने कहा है कि इसने अपना आपराधिक इतिहास छिपाया और मारपीट कर  घायल व हत्या करने की घटना में इसका अहम रोल रहा है।घटना में एक की मौत हो गई और एक गंभीर रूप से घायल है।सह अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है।किन्तु अपराध में याची की प्रमुख  भूमिका के कारण जमानत देने का औचित्य नहीं है।कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी है। हिंदी में सुनाए गए फैसले में यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है। कोर्ट ने जमानत के कानूनी पहलुओं की चर्चा की और कहा कि जमानत  देना न्यायाधीश का विवेकाधिकार है।जो केस के तथ्य व आरोप की गंभीरता पर निर्भर करता है।याची के खिलाफ बच्चू सिंह ने एक जुलाई 20 को हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई।आरोप लगाया कि पवन ने अपने साथियों के साथ 30 जून 20 को  उसके घर पर आकर उसके बेटे कुशल कुमार को गाली दी और मारा-पीटा। वह थाने जा रहे थे कि घर पर दूसरे बेटे देवेन्द्र को मारा पीटा।लोगों के इकट्ठा होने पर बेहोश छोडकर भाग गए।घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया । जहां उसकी मौत हो गई। कुशल कुमार की हालत गंभीर है। याची का कहना था कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। उसका आपराधिक इतिहास नहीं है।किन्तु सरकार की तरफ से याची के खिलाफ  अन्य 11 आपराधिक केसों की सूची पेश कर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जमानत नियम और जेल अपवाद है। फिर भी केस के तथ्य व आरोपों की प्रकृति के आधार पर जमानत देने या अस्वीकार करने का कोर्ट को विवेकाधिकार है। हाईकोर्ट ने गोंडा,अलीगढ़ के पवन को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है ।कोर्ट ने कहा है कि इसने अपना आपराधिक इतिहास छिपाया और मारपीट कर  घायल व हत्या करने की घटना में इसका अहम रोल रहा है।

घटना में एक की मौत हो गई और एक गंभीर रूप से घायल है।सह अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है।किन्तु अपराध में याची की प्रमुख  भूमिका के कारण जमानत देने का औचित्य नहीं है।कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी है। हिंदी में सुनाए गए फैसले में यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है। कोर्ट ने जमानत के कानूनी पहलुओं की चर्चा की और कहा कि जमानत  देना न्यायाधीश का विवेकाधिकार है।जो केस के तथ्य व आरोप की गंभीरता पर निर्भर करता है।

याची के खिलाफ बच्चू सिंह ने एक जुलाई 20 को हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई।आरोप लगाया कि पवन ने अपने साथियों के साथ 30 जून 20 को  उसके घर पर आकर उसके बेटे कुशल कुमार को गाली दी और मारा-पीटा। वह थाने जा रहे थे कि घर पर दूसरे बेटे देवेन्द्र को मारा पीटा।
लोगों के इकट्ठा होने पर बेहोश छोडकर भाग गए।घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया । जहां उसकी मौत हो गई। कुशल कुमार की हालत गंभीर है। याची का कहना था कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। उसका आपराधिक इतिहास नहीं है।किन्तु सरकार की तरफ से याची के खिलाफ  अन्य 11 आपराधिक केसों की सूची पेश कर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया।