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chaitra navratri 2021 ; प्रीति योग में पधारेंगी मां दुर्गा, भक्तों पर बरसेगी कृपा

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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ मंगलवार को वासंतिक नवरात्रि के अनुष्ठान कोविड प्रोटोकॉल के बीच आरंभ होंगे। तिथि क्षय न होने की वजह से जगत जननी जगदंबा की आराधना का नवरात्रि इस बार पूरे नौ दिन का होगा। इस बार वासंतिक नवरात्रि के पहले दिन दो शुभ योग मिलेंगे। निष्कुंभ योग और प्रीति योग में इस बार जगत जननी जगदंबा की आराधना आरंभ होगी।कोरोना संक्रमण के बीच चैत्र प्रतिपदा सोमवार की सुबह 8:01 बजे आरंभ होकर मंगलवार की सुबह 10:17 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि में वासंतिक नवरात्रि के अनुष्ठान मंगलवार को ही आरंभ होंगे। इस बार सनतनधर्मी परिवारों में घर-घर कलश स्थापना की तैयारी की गई है। कलश, नारियल और अन्य पूजन सामग्री जुटाई जा रही है।
सूर्योदय के साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में ही कलश स्थापना कर दुर्गा शप्तसती और दुर्गा चालीसा पाठ आरंभ हो जाएंगे। इसके लिए घरों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सविधि मंत्रों से मां का आह्वान कर कलश स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही पुष्प, सुगंध और माला अर्पित कर मां का ध्यान किया जाएगा। सिद्धपीठ मां ललिता देवी के पुजारी शिवमूरत मिश्र के मुताबिक इस नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना में महामारी से मुक्ति के लिए विशेष मंत्रों से आह्वान किया जाएगा। ऐसे करें कलश स्थापनाकोरोना काल में मां दुर्गा जल्द उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। फिर आसन, लाल वस्त्र, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्पांजलि से मां दुर्गा का आह्वान करें। सबसे पहले गौरी , गणेश और नवग्रह की पूजा कर मां का आह्वान कर कलश स्थापना करें। घट स्थापना के लिए मिट्टी की वेदियां बनाकर जौ की बोवाई करें। इसके बाद अखंड दीप जलाकर मनोवांछित कामना की पूर्ति के लिए करें मां की नौ दिवसीय आराधना आरंभ करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं ब्रजेंद्र मिश्र के मुताबिक इस कोरोना महामारी से बचने और इसके संपूर्ण खात्मे के लिए मां की आराधना से सहज कोई उपाय नहीं है।  इस नवरात्र में भक्तों को अपनी क्षमता के अनुसार मां को पुष्प, फल और उनके प्रिय भोग अर्पित कर आराधना करनी चाहिए। किसी भी तरह के भय से मुक्ति के लिए दुर्गा शप्तसती के पाठ और अखंड दीप जलाकर कर मां का ध्यान करना फलदायी रहेगा। पालनहारिणी मां दुर्गा की नौ दिवसीय उपासना के फलित इस बार शुभ और मंगलकारी हैं।चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ योग———————————-विष्कुंभ योग 12 अप्रैल की दोपहर 2:27 बजे से 13 अप्रैल की दोपहर 3:16 बजे तकप्रीति योग 13 अप्रैल की दोपहर 3:16 बजे से 14 अप्रैल की दोपहर 4:15 बजे तकनवरात्रि में नौ देवियों की तिथिवार पूजा———————————13 अप्रैल -कलश स्थापना तिथि, मां शैलपुत्री पूजन14 अप्रैल- मां ब्रह्मचारिणी15 अप्रैल- मां चंद्रघंटा16 अप्रैल- मां कूष्मांडा17 अप्रैल- मां स्कंदमाता18 अप्रैल- मां कात्यायनी19 अप्रैल- मां कालरात्रि पूजन20 अप्रैल- मां महागौरी, दुर्गा अष्टमी, महानिशा पूजा21 अप्रैल- मां सिद्धिदात्री, नवमी, नवरात्रि पारण

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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ मंगलवार को वासंतिक नवरात्रि के अनुष्ठान कोविड प्रोटोकॉल के बीच आरंभ होंगे। तिथि क्षय न होने की वजह से जगत जननी जगदंबा की आराधना का नवरात्रि इस बार पूरे नौ दिन का होगा। इस बार वासंतिक नवरात्रि के पहले दिन दो शुभ योग मिलेंगे। निष्कुंभ योग और प्रीति योग में इस बार जगत जननी जगदंबा की आराधना आरंभ होगी।

कोरोना संक्रमण के बीच चैत्र प्रतिपदा सोमवार की सुबह 8:01 बजे आरंभ होकर मंगलवार की सुबह 10:17 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि में वासंतिक नवरात्रि के अनुष्ठान मंगलवार को ही आरंभ होंगे। इस बार सनतनधर्मी परिवारों में घर-घर कलश स्थापना की तैयारी की गई है। कलश, नारियल और अन्य पूजन सामग्री जुटाई जा रही है।

Maa Durga
– फोटो : Maa Durga

सूर्योदय के साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में ही कलश स्थापना कर दुर्गा शप्तसती और दुर्गा चालीसा पाठ आरंभ हो जाएंगे। इसके लिए घरों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सविधि मंत्रों से मां का आह्वान कर कलश स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही पुष्प, सुगंध और माला अर्पित कर मां का ध्यान किया जाएगा। सिद्धपीठ मां ललिता देवी के पुजारी शिवमूरत मिश्र के मुताबिक इस नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना में महामारी से मुक्ति के लिए विशेष मंत्रों से आह्वान किया जाएगा। ऐसे करें कलश स्थापनाकोरोना काल में मां दुर्गा जल्द उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। फिर आसन, लाल वस्त्र, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्पांजलि से मां दुर्गा का आह्वान करें। सबसे पहले गौरी , गणेश और नवग्रह की पूजा कर मां का आह्वान कर कलश स्थापना करें। घट स्थापना के लिए मिट्टी की वेदियां बनाकर जौ की बोवाई करें। इसके बाद अखंड दीप जलाकर मनोवांछित कामना की पूर्ति के लिए करें मां की नौ दिवसीय आराधना आरंभ करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं ब्रजेंद्र मिश्र के मुताबिक इस कोरोना महामारी से बचने और इसके संपूर्ण खात्मे के लिए मां की आराधना से सहज कोई उपाय नहीं है।  इस नवरात्र में भक्तों को अपनी क्षमता के अनुसार मां को पुष्प, फल और उनके प्रिय भोग अर्पित कर आराधना करनी चाहिए। किसी भी तरह के भय से मुक्ति के लिए दुर्गा शप्तसती के पाठ और अखंड दीप जलाकर कर मां का ध्यान करना फलदायी रहेगा। पालनहारिणी मां दुर्गा की नौ दिवसीय उपासना के फलित इस बार शुभ और मंगलकारी हैं।चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ योग———————————-विष्कुंभ योग 12 अप्रैल की दोपहर 2:27 बजे से 13 अप्रैल की दोपहर 3:16 बजे तकप्रीति योग 13 अप्रैल की दोपहर 3:16 बजे से 14 अप्रैल की दोपहर 4:15 बजे तकनवरात्रि में नौ देवियों की तिथिवार पूजा———————————13 अप्रैल -कलश स्थापना तिथि, मां शैलपुत्री पूजन14 अप्रैल- मां ब्रह्मचारिणी15 अप्रैल- मां चंद्रघंटा16 अप्रैल- मां कूष्मांडा17 अप्रैल- मां स्कंदमाता18 अप्रैल- मां कात्यायनी19 अप्रैल- मां कालरात्रि पूजन20 अप्रैल- मां महागौरी, दुर्गा अष्टमी, महानिशा पूजा21 अप्रैल- मां सिद्धिदात्री, नवमी, नवरात्रि पारण