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हर रोज जा रही जान: कोविड रिपोर्ट निगेटिव फिर भी ऑक्सीजन लेवल गिरने से हो रहीं मौतें

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : पीटीआई

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कोरोना के लक्षण के बावजूद रिपोर्ट निगेटिव आने पर बरती जा रही लापरवाही मरीजों की जान ले रही है। इसका कारण बुखार से ग्रस्त मरीजों में ऑक्सीजन लेवल का गिरना है। रोजाना ऐसे कई मरीजों की जान जा रही है। इनमें से कई की कोविड जांच तक नहीं हो पाई।मरीज सामान्य बुखार समझकर इलाज करता रहा, वहीं इसके तीसरे-चौथे दिन ऑक्सीजन लेवल गिरने से उसकी मौत हो गई। निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले 80 फीसदी मरीजों में ऑक्सीजन लेवल गिरने के मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी लक्षण होने पर कोविड की तरह ही मरीज का इलाज किया जाए।यहां देखें ये तीन मामलेकेस 1 : त्रिवेणी नगर के एसपी सिंह (60) का डेढ़ हफ्ते पहले घर पर ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा। उन्हें नॉन कोविड अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान ऑक्सीजन लेवल 70 से 75 के बीच रहा। कोविड रिपोर्ट भी निगेटिव आई। ऑक्सीजन सपोर्ट पर चार दिन रहने के बाद उनकी मौत हो गई।केस 2 : गोसाईगंज के संजीत (40) की घर पर रहते हालत बिगड़ गई। नजदीकी अस्पताल में ऑक्सीजन लेवल 70-80 के बीच पाया गया। नॉन कोविड अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में उसकी मौत हो गई। मरीज में कोरोना के लक्षण थे, पर जांच नहीं हो पाई थी।केस 3 : अलीगंज निवासी रामकुमार टंडन (65) ने दो दिन पहले कोरोना जांच कराई। इसकी रिपोर्ट नहीं आई थी। इस बीच उनका लगातार ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। सोमवार को उनकी मौत हो गई। वह शुगर की बीमारी से भी ग्रस्त थे।
राजधानी के निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों में अमूमन सभी का ऑक्सीजन लेवल कम है। अस्पताल प्रभारियों की मानें तो 90 प्रतिशत कोविड के संदिग्ध मरीज आ रहे हैं। इनमें ऑक्सीजन लेवल बेहद कम मिल रहा है।जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर इन मरीजों को पोस्ट कोविड मानकर इलाज किया जा रहा है। चंदन अस्पताल की निदेशक डॉ. अस्मिता सिंह के मुताबिक, उनके अस्पताल में रोजाना छह से सात मरीज भर्ती हो रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत का ऑक्सीजन लेवल बेहद कम मिल रहा है। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर इन मरीजों को पोस्ट कोविड मानकर इलाज किया जा रहा है।रिपोर्ट निगेटिव आए फिर भी रहें सतर्कस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी सतर्क रहें। अगर उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है तो पोस्ट कोविड में जाकर इलाज कराएं। जरा सी लापरवाही जान भी ले सकती है।
जिला प्रशासन ने सभी निजी अस्पतालों को अपने टायज एरिया में मरीजों को रखकर इलाज करने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके कई अस्पताल कोविड के लक्षण दिखने पर मरीजों को दूसरे संस्थान भेज रहे है। ऐसे में ऑक्सीजन लेवल गिरने से कई की मौत भी हो रही है।सरकारी संस्थानों में बेड का संकटशहर के अधिकतर संस्थानों को कोविड में तब्दील कर दिया गया है। ऐसे में सरकारी संस्थानों में बेड के लिए मारामारी मची है। नॉन कोविड चार अस्पताल बचे हैं। ये सिविल अस्पताल, रानी लक्ष्मीबाई, ठाकुरगंज, बीआरडी महानगर है। हालांकि, सिविल को छोड़कर कही भी इलाज के पूरे संसाधन मुहैया नहीं हैं।स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी का कहना है कि जिन मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है, वे नॉन कोविड सरकारी अस्पतालों में जाएं। कोविड मरीजों के लिए बेड का थोड़ा संकट है। हालांकि, अस्पतालों में क्षमता लगातार बढ़ाई जा रही है। ऑक्सीजन लेवल गिरने पर जरा भी लापरवाही न बरतें।

कोरोना के लक्षण के बावजूद रिपोर्ट निगेटिव आने पर बरती जा रही लापरवाही मरीजों की जान ले रही है। इसका कारण बुखार से ग्रस्त मरीजों में ऑक्सीजन लेवल का गिरना है। रोजाना ऐसे कई मरीजों की जान जा रही है। इनमें से कई की कोविड जांच तक नहीं हो पाई।

मरीज सामान्य बुखार समझकर इलाज करता रहा, वहीं इसके तीसरे-चौथे दिन ऑक्सीजन लेवल गिरने से उसकी मौत हो गई। निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले 80 फीसदी मरीजों में ऑक्सीजन लेवल गिरने के मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी लक्षण होने पर कोविड की तरह ही मरीज का इलाज किया जाए।

यहां देखें ये तीन मामले

केस 1 : त्रिवेणी नगर के एसपी सिंह (60) का डेढ़ हफ्ते पहले घर पर ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा। उन्हें नॉन कोविड अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान ऑक्सीजन लेवल 70 से 75 के बीच रहा। कोविड रिपोर्ट भी निगेटिव आई। ऑक्सीजन सपोर्ट पर चार दिन रहने के बाद उनकी मौत हो गई।
केस 2 : गोसाईगंज के संजीत (40) की घर पर रहते हालत बिगड़ गई। नजदीकी अस्पताल में ऑक्सीजन लेवल 70-80 के बीच पाया गया। नॉन कोविड अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में उसकी मौत हो गई। मरीज में कोरोना के लक्षण थे, पर जांच नहीं हो पाई थी।
केस 3 : अलीगंज निवासी रामकुमार टंडन (65) ने दो दिन पहले कोरोना जांच कराई। इसकी रिपोर्ट नहीं आई थी। इस बीच उनका लगातार ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था। सोमवार को उनकी मौत हो गई। वह शुगर की बीमारी से भी ग्रस्त थे।

निजी अस्पताल में 90 फीसदी संदिग्ध मरीज

राजधानी के निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों में अमूमन सभी का ऑक्सीजन लेवल कम है। अस्पताल प्रभारियों की मानें तो 90 प्रतिशत कोविड के संदिग्ध मरीज आ रहे हैं। इनमें ऑक्सीजन लेवल बेहद कम मिल रहा है।जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर इन मरीजों को पोस्ट कोविड मानकर इलाज किया जा रहा है। चंदन अस्पताल की निदेशक डॉ. अस्मिता सिंह के मुताबिक, उनके अस्पताल में रोजाना छह से सात मरीज भर्ती हो रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत का ऑक्सीजन लेवल बेहद कम मिल रहा है। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर इन मरीजों को पोस्ट कोविड मानकर इलाज किया जा रहा है।रिपोर्ट निगेटिव आए फिर भी रहें सतर्कस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी सतर्क रहें। अगर उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है तो पोस्ट कोविड में जाकर इलाज कराएं। जरा सी लापरवाही जान भी ले सकती है।

कई निजी अस्पताल नहीं ले रहे संदिग्ध मरीज

जिला प्रशासन ने सभी निजी अस्पतालों को अपने टायज एरिया में मरीजों को रखकर इलाज करने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके कई अस्पताल कोविड के लक्षण दिखने पर मरीजों को दूसरे संस्थान भेज रहे है। ऐसे में ऑक्सीजन लेवल गिरने से कई की मौत भी हो रही है।सरकारी संस्थानों में बेड का संकटशहर के अधिकतर संस्थानों को कोविड में तब्दील कर दिया गया है। ऐसे में सरकारी संस्थानों में बेड के लिए मारामारी मची है। नॉन कोविड चार अस्पताल बचे हैं। ये सिविल अस्पताल, रानी लक्ष्मीबाई, ठाकुरगंज, बीआरडी महानगर है। हालांकि, सिविल को छोड़कर कही भी इलाज के पूरे संसाधन मुहैया नहीं हैं।स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी का कहना है कि जिन मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है, वे नॉन कोविड सरकारी अस्पतालों में जाएं। कोविड मरीजों के लिए बेड का थोड़ा संकट है। हालांकि, अस्पतालों में क्षमता लगातार बढ़ाई जा रही है। ऑक्सीजन लेवल गिरने पर जरा भी लापरवाही न बरतें।

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निजी अस्पताल में 90 फीसदी संदिग्ध मरीज