Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

बच्चों के लिए भी बड़ों जितना ही खतरनाक है कोरोना का नया स्ट्रेन, पिछले साल की तुलना में 25 गुना तेजी से बना रहा है शिकार

हाइलाइट्स:बड़े लोगों की तरह बच्चों को भी चपेट में ले रहा कोरोना का नया स्ट्रेनगाजियाबाद में एक मार्च से 14 अप्रैल तक 130 बच्चे हो गए संक्रमित पिछले साल 1 मार्च से 14 अप्रैल तक केवल 5 बच्चे आए थे चपेट में गाजियाबाद कोरोना की दूसरी लहर बच्चों के लिए भी बड़ों जितनी ही खतरनाक है। गाजियाबाद में इस साल में एक मार्च से 14 अप्रैल तक 130 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इनमें नवजात से 17 साल तक के किशोर हैं। ऐसे बच्चों के लिए अलग से किसी अस्पताल में व्यवस्था नहीं हुई है। ऐसे में बच्चों की देखभाल के लिए उनके अभिभावकों को भी अस्पताल में रहना पड़ रहा है। पिछले साल 1 मार्च से 14 अप्रैल के बीच केवल 5 बच्चे ही संक्रमित हुए थे। इनमें एक नवजात था, बाकी 4 बच्चे 12 साल से कम उम्र के थे।1 मार्च से 14 अप्रैल तक जिले में 2106 लोग कोरोना संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। इनमें बच्चों की संख्या 130 है। इनमें 0 से 14 साल की उम्र के 97 बच्चे हैं। 15 से 17 साल तक के 33 किशोर कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। स्वास्थ्य अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। बच्चों के संक्रमित होने की बात को वे हर तरह से टालने का प्रयास कर रहे हैं।बुरा था पिछले साल का अनुभव पिछले साल देश के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमित बच्चों के विडियो वायरल हुए थे। बच्चे अपना बैग खुद लेकर अस्पताल पहुंचे थे। एक सरकारी अस्पताल में 10 और 13 साल के दो सगे भाई इलाज के लिए पहुंचे थे। बच्चे अपना कोई काम नहीं कर पा रहे थे। उन्हें अपने रोजाना के कपड़े भी धुलना नहीं आता था। अस्पताल का स्टाफ भी उनकी मदद नहीं कर पा रहा था। एक नवजात की मां संक्रमित थी, जिससे उनका बच्चा भी पॉजिटिव हो गया। मां ठीक हुई तो उसे छुट्टी दे दी गई, लेकिन बच्चे की देखभाल के लिए उसकी बुआ को अस्पताल में रहना पड़ा।’बच्चों का अस्पताल जरूरी’ नाम नहीं छापने की शर्त पर एक स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इस बार कोरोना संक्रमित बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में बच्चों के इलाज के लिए अलग अस्पताल की व्यवस्था होनी चाहिए। उस अस्पताल में बच्चों के स्पेशलिस्ट की देखरेख में ही इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए।स्कूलों का खुलना भी हो सकती हैं वजह कंबाइंड अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर संजय तेवतिया के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने के पीछे स्कूलों का खुला रहना भी एक कारण हो सकता है। इसके अलावा इस साल कोरोना का स्ट्रेन बदला है जो पहले से कहीं ज्यादा संक्रामक है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वे जल्द ही संक्रमण का शिकार बन जाते हैं। फिलहाल स्कूल बंद कर दिए गए हैं। इससे हालात में कुछ सुधार जरूर होगा। डॉक्टर तेवतिया बताते हैं कि अस्पताल में एक 8 महीने का संक्रमित बच्चा भर्ती है, उसके माता-पिता भी संक्रमित हैं। इसलिए बच्चे की देखभाल के लिए किसी तरह की परेशानी नहीं है। सांकेतिक तस्वीर