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हमीरपुर: मां भुवनेश्वरी मंदिर से गठिया बीमारी होती है छूमंतर, कृषि वैज्ञानिक भी हैरान

हमीरपुरउत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में मां भुवनेश्वरी मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यहां मंदिर के पीछे चबूतरे की मिट्टी लगाने से ही गठिया रोग छूमंतर हो जाता है। यह मंदिर बुन्देलखंड क्षेत्र में मां भुईयारानी के नाम से भी विख्यात है।हमीरपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर कालपी मार्ग पर स्थित झलोखर गांव मां भुवनेश्वरी मंदिर स्थित है। इस मंदिर को भुइयांरानी के नाम से भी जाना जाता है। किसी जमाने में यह मंदिर रिहायशी बस्ती से काफी दूर था, मगर समय बीतने के साथ अब मंदिर के आसपास घनी बस्ती हो गई है। मंदिर भी सरोवर के पास स्थित है, जिसका इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। सरोवर भीषण गर्मी में भी पानी से लबालब रहता है।मंदिर पूरी तरह से खुला है। इसमें छत भी नहीं पड़ी है। पहले मिट्टी का चबूतरा था, जिसकी सीढ़ियां जरूर पक्की करवाई गई हैं, लेकिन चबूतरे का ऊपरी हिस्सा कच्चा है। चबूतरे में ही नीम के पेड़ से लगी माता रानी की मूर्ति के दर्शन कर पान बतासा चढ़ाए जाने की परम्परा है। बाद में भोजन के रूप में आटे की भौरिया बनाकर खाने की परम्परा है। हालांकि, नवरात्रि पर्व को लेकर कोरोना संक्रमण की वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ कम ही इस स्थान पर देखी जा रही है, लेकिन गांव के लोग माता के दरबार में सुबह और शाम हाजिरी लगाने अभी भी जाते है।हमीरपुर के ए.सीमओ डॉ. पीके सिंह ने गुरुवार को बताया कि मां भुइयारानी का मंदिर बहुत प्राचीन है। यहां वाकई गठिया रोग से पीड़ित लोग मिट्टी का लेप लगाकर ठीक हो जाते हैं। बताया कि मां की कृपा के कारण ही इस स्थान पर उन्हें कन्या भोज का आयोजन कराने का मौका मिला था। सीनियर फिजीशियन डॉ. पीके गुप्ता ने बताया कि इस स्थान की मिट्टी में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिनसे पैर में गठिया और बात की समस्या दूर होती है।नीम के पेड़ से निकली थी मां भुवनेश्वरीगांव के बुजुर्गों ने बताया कि मां की मूर्ति नीम के पेड़ से निकली थी। उस समय झलोखर और आसपास के तमाम गांवों से लोगों की भीड़ मां के दर्शन के लिए उमड़ी थी। मूर्ति के दर्शन करने के साथ लोगों ने यहां की मिट्टी से तिलक भी लगाया तो माथे पर तिलक लगाने वालों को बहुत आराम मिला। बस यहीं से मां भुवनेश्वरी का चमत्कार शुरू हो गया था। बताया कि गठिया रोग से पीड़ित लोगों को पहले मंदिर के पास बने सरोवर में स्नान करना पड़ता है, फिर मंदिर के पीछे नीम के पेड़ के नीचे पड़ी मिट्टी लगाकर लोग गठिया रोग से छुटकारा पाते हैं।मंदिर में आज तक नहीं पड़ी छत, कारीगर भी हुए फेलसतेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि कई बार गांव के लोगों ने मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की, लेकिन छत नहीं रुकी। मंदिर के पुजारी श्यामबाबू प्रजापति ने बताया कि मंदिर में छत डालने के लिए अगलबगल दीवारें खड़ी कीं, मगर छत डालने से पहले ही दीवारें अचानक ढह गई। बाहर से भी कारीगरों को इस काम के लिए बुलवाया गया था, लेकिन मंदिर में छत डालने में कारीगर फेल हो गए। कि बताया कि राजा हम्मीरदेव के सैनिक भटकते हुए आए थे और पीठ दर्द से परेशान होकर यहीं पर लेट गए थे। मिट्टी के स्पर्श से उन्हें आराम मिला था।गठिया रोग से पीडि़त शख्स ने मंदिर के पास कुयें में लगाई थी छलांगझलोखर गांव निवासी सत्येन्द्र अग्रवाल समेत कई बुजुर्गों ने बताया कि मंदिर के पास एक प्राचीन कुआं था। एक व्यक्ति गठिया रोग से परेशान होकर यहां आया था और वह कुएं में कूद गया था। कुएं में कूदने के बाद वह बच गया था। जब उसे कुएं से बाहर निकाला गया था तो वह अपने पैरों में चलने लगा था। गठिया रोग छूमंतर होने पर वह मां के मंदिर में खूब रोया था। वह कई दिनों तक मंदिर में रहा और गोबर के ओपले जलाकर रोटियां (भौरिया) बनाकर प्रसाद ग्रहण किया था। दूरदराज से लोग यहां अक्सर आकर पवित्र स्थान की पूजा अर्चना करते हैं।मंदिर में कुम्हार जाति के लोग ही बनते हैं पुजारीगांव के बुजुर्गों ने बताया कि मां भुवनेश्वरी (भुइयारानी) के मंदिर की महिला बड़ी ही निराली है। यहां देश के कोने-कोने से लोग माता रानी के दर्शन करने आते हैं। सर्वाधिक गठिया और बात रोग के मरीज रविवार के दिन अधिक संख्या में आते हैं, जिन्हें मंदिर की मिट्टी लगाने से निजात मिल जाती है। यहां स्थित प्रेमसागर तालाब में कमरी खुदान का विशेष महत्व है। मंदिर का चढ़ावा लेने वाले कुम्हार जाति के ही पुजारी होते है, जिन्हें बारी से बारी चढ़ावा मिलने का मौका मिलता है। प्रजापति समाज के लोग इसी मंदिर पर निर्भर है।मंदिर की मिट्टी के चमत्कार से वैज्ञानिक भी हैरानगांव के बुजुर्ग बताते हैं कि माता रानी के स्थान के ठीक पीछे नीम का पेड़ है, जहां की मिट्टी अद्भुत है। यहीं मिट्टी गठिया रोग के लिए रामबाण है। इस मिट्टी की वैज्ञानिक जांच भी की जा चुकी है, लेकिन वह किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचे। हमीरपुर के कृषि एवं मृदा वैज्ञानिक डॉ. एसपी सोनकर ने बताया कि यह स्थान बड़ा ही चमत्कारी है। मिट्टी से बीमारी के छूमंतर होने के मामले देखे गए हैं। उन्होंने बताया कि इस स्थान की मिट्टी की जांच की गई है तो इसमें सल्फर की मात्रा ज्यादा पाई गई। ये तत्व ही बीमारी से निजात दिलाता है।