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श्मशान घाटों पर महंगा हुआ अंतिम संस्कार, लकड़ी के लिए वसूले जा रहे मनमाने दाम

कोविड-19 ने जीवन के हर हिस्से को प्रभावित कर दिया है। ऐसे में जब श्मशान घाटों पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लाइन लग रही है, तब महंगाई भी आसमान छूने लगी है। अर्थी सजाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामानों की कीमतों में इजाफा हो गया है। इसके अलावा चिता पर लगने वाली लकड़ी की कीमतें भी बढ़ गई हैं।घाटों में एक चिता को जलाने के लिए लकड़ी के 5000 से 6000 रुपये तक लिए जा रहे हैं। इससे पहले तीन हजार रुपये में चिताओं को जलाया जा रहा था। शवों को लेकर नंबर आने के इंतजार में खड़े लोगों से लकड़ी और अन्य सामग्री की मनमानी कीमतें वसूली जा रही हैं। दारागंज घाट पर दो महीने पहले तक लकड़ी की कीमत 600 रुपये से 750 रुपये प्रति क्विंटल थी। मौजूदा समय में इसकी कीमत बढ़क़र 1000 रुपये से 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक हो गई है। श्मशान घाट पर एक चिता को जलाने के लिए लकड़ी की कीमत में 40 से 50 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। अनुमान के मुताबिक एक शव के अंतिम संस्कार में सात से नौ मन लकड़ी की जरूरत होती है। लकड़ी विक्त्रस्ेता शिव बताते हैं कि सैदाबाद के टॉल से लकड़ी जितनी आनी चाहिए, उतनी नहीं आ पा रही है। मांग के अनुरूप खपत बढ़ गई है। इस वजह से भी कुछ लोग अधिक कीमतें ले रहे हैं। इसी तरह से लकड़ी विक्रेता तिलक राज और मौजू बताते हैं कि श्मशान घाट पर लोग स्वेच्छया से अंतिम संस्कार की सामग्री की कीमतें देते हैं। श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने वाले बताते हैं कि वहां अंतिम क्त्रिस्या की वस्तुओं का कोई रेट तय नहीं किया गया है। नगर निगम की ओर से रेट लिस्ट न लगाए जाने से और भी दिक्कतें हो रही हैं। श्मशान घाट पर आने वाला आदमी बहुत मोल भाव की हालत में भी नहीं रहता। ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए वस्तुओं की जो कीमतें मांगी जाती हैं, उसे लोग भुगतान करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।अर्थी सजाने के लिए बांस की सीढ़ी भी हुई महंगीअंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी ही नहीं, अन्य वस्तुओं के भी दाम बढ़ गए हैं। मिट्टी का घड़ा हो या फिर अर्थी सजाने के लिए बांस की सीढ़ी या फिर चिता जलाने में इस्तेमाल की जाने वाली रॉल, सबकेदाम दो से तीन गुना अधिक लिए जा रहे हैं।