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Coronavirus Cases in Shahjahanpur : स्ट्रेचर पर मरीज…परिजनों के हाथ में ‘जिंदगी’ का बोझ, बदहाली का वीडियो वायरल

शाहजहांपुरकोरोना का कहर देखकर लोगों का स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से भरोसा उठता जा रहा है। शाहजहांपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने वाली तस्वीरें सामने आई है। यहां एक मरीज को ऑक्सीजन ना मिलने पर परिवार के लोग स्ट्रेचर पर मरीज और हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर मरीज को इलाज के लिए ले जाते नजर आए। परिजन मेडिकल कॉलेज पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं मेडिकल कॉलेज प्रशासन अपने व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद बता रहा है। दरअसल राजकीय मेडिकल कॉलेज से एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक मरीज स्ट्रेचर पर लेटा हुआ है और उसके परिजन ऑक्सीजन के भारी भरकम सिलेंडर को हाथों में पकड़ कर अपने मरीज को इलाज के लिए ले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिला हरदोई के शाहाबाद के रहने वाले संजीव बांगा के बड़े भाई श्याम सुंदर को फेफड़ों में संक्रमण हुआ था जिन्हें शाहजहांपुर राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।स्ट्रेचर पर मरीज..परिजनों के हाथ में ऑक्सीजन सिलिडेंरआरोप है कि जब परिजनों ने ऑक्सीजन की मांग की तो उन्हें ऑक्सीजन की कमी का हवाला दिया गया। ऑक्सीजन ना मिलने पर परिजनों ने अपने निजी स्तर से ऑक्सीजन के चार सिलेंडर की व्यवस्था की। मरीज को जब फायदा नहीं हुआ तो परिवार वालों के कहने पर मरीज को हायर सेंटर रेफर किया गया। मरीज को लगातार ऑक्सीजन की जरूरत थी जिसके चलते परिजन स्ट्रेचर पर मरीज को लिटाकर अपने हाथों में भारी-भरकम ऑक्सीजन का सिलेंडर उठाकर चलते हुए नजर आये। यह तस्वीर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोलने जैसी थी।1 हजार के पार हुए जिले में मरीजबता दें कि शाहजहांपुर में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 1124 है। यहां मरने वालों की संख्या 138 तक पहुंच चुकी है। कल 135 नए मामले भी सामने आए थे। यहां अब तक 7206 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके है। लगातार स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों के कोरोना संक्रमण होने के चलते हैं व्यवस्थाएं भी लड़खड़ा रही है।जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्लामेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉक्टर ए यू पीप सिन्हा का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी नहीं है। मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन का 36 घंटे का बैकअप रखा गया है। ऑक्सीजन देने को लेकर खासतौर पर ऐसे मरीजों को वरीयता दी जा रही है जिनका ऑक्सीजन लेवल बेहद कम है। उनका ये भी कहना है कि अगर अपने निजी स्तर से कोई ऑक्सीजन की व्यवस्था कर रहा है तो इसमें मेडिकल कॉलेज का कोई दोष नहीं है।