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मेरठ दंगा पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग पर जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में 1987 के मलियाना दंगे के पीड़ितों के मुआवजे की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने पत्रकार कुर्बान अली व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में आरोप है कि 22 मई 1987 को दो समुदायों के बीच दंगा हुआ था, जिसमें पीएसी ने हस्तक्षेप किया और मेरठ जिले के मलियाना गांव में एक विशेष समुदाय के लोगों को मारना शुरू कर दिया। आरोप लगाया गया है कि 23 मई 1987 के एक दिन बाद पास के इलाके में हुए एक समान सांप्रदायिक नरसंहार में, पीएसी ने एक विशेष समुदाय के 72 लोगों को कथित तौर पर मार दिया था।याचिका में कहा गया कि 22 मई 1987 के मुकदमे की सुनवाई मेरठ के अतिरिक्त सेशन जज के समक्ष 32 वर्षों से अधिक समय से लंबित है। अदालत और पुलिस रिकॉर्ड से एफआईआर जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हैं। लगभग आधे अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है। अब तक केवल सात गवाहों को परीक्षित किया गया है। अब तक मामले में 100 से अधिक स्थगन प्रार्थना पत्र  दिए गए हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में 1987 के मलियाना दंगे के पीड़ितों के मुआवजे की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने पत्रकार कुर्बान अली व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है।

याचिका में आरोप है कि 22 मई 1987 को दो समुदायों के बीच दंगा हुआ था, जिसमें पीएसी ने हस्तक्षेप किया और मेरठ जिले के मलियाना गांव में एक विशेष समुदाय के लोगों को मारना शुरू कर दिया। आरोप लगाया गया है कि 23 मई 1987 के एक दिन बाद पास के इलाके में हुए एक समान सांप्रदायिक नरसंहार में, पीएसी ने एक विशेष समुदाय के 72 लोगों को कथित तौर पर मार दिया था।

याचिका में कहा गया कि 22 मई 1987 के मुकदमे की सुनवाई मेरठ के अतिरिक्त सेशन जज के समक्ष 32 वर्षों से अधिक समय से लंबित है। अदालत और पुलिस रिकॉर्ड से एफआईआर जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हैं। लगभग आधे अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है। अब तक केवल सात गवाहों को परीक्षित किया गया है। अब तक मामले में 100 से अधिक स्थगन प्रार्थना पत्र  दिए गए हैं।