उन्नावउत्तर प्रदेश के उन्नाव में बढ़ते संक्रमण से सरकारी व्यवस्था चरमरा गई। ओपीडी सेवाएं बंद हैं, जिससे मरीजों को सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए भी दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। जिला अस्पताल में उपचार के लिए वृद्ध को लाया गया था। अच्छे उपचार के लिए तीमारदार कानपुर रेफर करा ले गए, लेकिन ऐंबुलेंस में घंटों भटकने के बाद भी सरकारी या प्राइवेट कहीं पर भी एक बेड नहीं मिला। थक हारकर तीमारदार वापस जिला अस्पताल पहुंच गए।मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के आवास विकास कॉलोनी का है। कॉलोनी निवासी वृद्ध को बुखार आ रहा था। परिजन ने जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। इमरजेंसी कक्ष में तैनात डॉक्टर ने उपचार भी शुरू कर दिया, लेकिन परिजन संतुष्ट नहीं हुए। अच्छे इलाज के नाम पर परिजन जबरन वृद्ध को रेफर बनवा कर कानपुर ले गए। जहां उन्हें सरकारी या प्राइवेट कहीं पर भी बेड नहीं मिला। लगभग 5 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे। अंततः थक हार कर फिर जिला अस्पताल पहुंच गए। जहां उन्होंने आपबीती सुनाई। राजेश कुमार ने बताया कि कानपुर में किसी प्राइवेट या सरकारी हॉस्पिटल में हाथ तक नहीं लगाया गया। बेड तो दूर की बात हैउल्लेखनीय है कि संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए शासन ने ओपीडी सेवाएं बंद कर दी, जिससे सर्दी, खांसी, बुखार, डायरिया जैसी बीमारियों के उपचार के लिए मरीजों के साथ तीमारदार भी परेशान हैं। प्राइवेट संस्थानों में भी उन्हें उपचार नहीं मिल रहा है। मोती नगर निवासी आशीष कुमार ने कहा कि ऐसे समय जब बीमारियां घर-घर होती है। सरकार द्वारा ओपीडी बंद करना गलत कदम है। ओपीडी व्यवस्था को सुरक्षित बनाकर चलाने की मांग की है।
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