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नदीम-श्रवण फेम आरएसएस श्रवण राठौड़ का मुंबई में निधन, कोरोना से थे

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> मुंबई: कोरोना के संक्रमण के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती नदीम-श्रवण फेम संघ श्रवण राठौड़ की गुरुवार रात लगभग 10.00 बजे हार्ट अटैक और मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर से मौत चली गई है। & nbsp; श्रवण राठौड़ के बेटे संजीव राठौड़ ने एबीपी न्यूज से अपने पिता की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, "पापा कुछ समय पहले हमें छोड़कर चले गए। हार्ट अटैक ने उनकी जान ले ली। उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।"

उल्लेखनीय है कि पिछले तीन दिनों से श्रवण की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। एबीपी न्यूज़ को इस बात की जानाकरी मिली थी कि आईसीयू में भर्ती श्रवण राठौड़ की गिरती सेहत और उसडनियों के ठीक से काम नहीं करने के कारण सोमवार की रात को डॉक्टरों ने उनका डायलिसिस शुरू कर दिया था।

शनिवार को मुम्बई में माहिम स्थित एस। एल। रहेजा अस्पताल में भर्ती कराये गये श्रवण राठौड़ के एक बेहद करीबी दोस्त ने एबीपी न्यूज को बुधवार को बताया था कि, "फेफड़े, हृदय से जुड़ी समस्याओं के अलावा श्रवण की किडनियों से संबंधित समस्याएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। यही कारण है कि मंगलवार की रात को डॉक्टरों ने उनका डायलिसिस शुरू करने का फैसला किया था। डॉक्टरों ने कहा था कि श्रवण की बाधाती सेहत के मद्देनजर अगले 72 घंटे उनके लिए बेहद & zwnj; देरी साबित होगी।"

सोमवार को संपर्क किए जाने पर & nbsp; श्रवण राठौड़ के राष्ट्रीय पुत्र संजीव राठौड़ ने पिता की तबीयत को लेकर चिंता जाहिर करते हुए एबीपी न्यूज से कहा था, "मेरे पापा को इस वक्त सभी की दुआओं की सख्त जरूरत है।"

शनिवार को हुए थे भर्ती
गौरतलब है कि शनिवार & zwnj; को अस्पताल में भर्ती करने के बाद डॉक्टरों ने 66 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव श्रवण राठौड़ की हालत को नाजुक बताया था लेकिन लिंग के साथ ही ये भी कहा था कि अस्पताल में दाखिल किए जाने के बाद से उनकी तबीयत स्थिर बनी हुई है। & nbsp; उल्लेखनीय है कि जाने वाले -नाम संगीतकारकार समीर अनजान ने अगर किसी संगीतकार जोड़ी के लिए सबसे ज्यादा गाने लिखे थे तो वो नदीम-श्रवण के लिए लिखे थे। & nbsp;

समीर अनजान ने कोरोना के संक्रमण से पैदा हुईं जटिलताओं से हुई श्रवण राठौड़ की मौत पर बेहद तह जताते एबीपी न्यूज़ से कहा, "मैंने उनके जैसा नेक-दिल इंसान नहीं देखा। वो बेहद ही विनम्र किस्म के इंसान थे और मैंने कभी उन्हें भी गुस्सा नहीं देखा ना सुना। वे हमेशा दूसरों की मदद & zwnj; करने में यकीन & zwnj; करते थे और कोई जरूरतमंद शंख भी कभी उनके घर से खाली हाथ नहीं जाता था। 90 के दशक में नदीम के साथ श्रवण ने जिस तरह का मधुर संगीत दिया, उसे आनेवाली कई पीढ़ियां याद रखती हैं और उनके तमाम मधुर & nbsp; गानों को हमेशा गुनगुनाती रहेंगी। उनके बारे में मैं जितना कह रहा हूं, वह कम ही होगा। मेरे पास बोलने & zwnj; के लिए और लफ्ज नहीं हैं।"

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