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अनन्य: श्रवण के निधन पर फूट-फूटकर रोए दोस्त नदीम, बोले- मैंने अपना छोटा सा हार दिया है

मुम्बई। 12 अगस्त, 1997 को म्यूजिक मुगल गुलशन कुमार की हत्या में शामिल होने का इल्जम लगने के बाद भरत से लंदन में जा रही नदीम-श्रवण फेम नदीम ने अपने म्यूजिक पार्टनर श्रवण की कोरोना हुई – मौत पर लंदन से एबीपी न्यूज से फोन पर बातचीत की। एक्सक्लूसिव बातचीत की। इस पूरी बातचीत के दौरान नदीम अपने जज्बातों पर ओवर नहीं रख पाए और श्रवण को याद करते हुए कई दफा रोए.श्रवण के निधन पर नदीम की पहली प्रतिक्रिया जानने के लिए जैसे ही एबीपी न्यूज ने उन्हें लंदन में फोन लगाया, नदीम फोन उठाते ही फूट -फिर कर रोने लगे। रोते-रोते नदीम के मुंह से श्रवण की याद में जो पहले शब्द निकले वो थे – “मैंने अपने छोटे भाई को खो दिया … मैंने अपने छोटे भाई को खो दिया।” पूरी बातचीत के दौरान बार-बार आंसू बहाते हुए नदीम ने कई बार इस पंक्ति को दबा दिया। “श्रवण और मैंने बहुत कुछ सहा” चंद पलों के बाद नदीम ने जब खुद को संभाला तो उन्होंने कहा, “मैंने और श्रवण दोनों ने जीवन में बहुत कुछ किया। कुछ सहा है और हम दोनों को जीवन में जो कुछ भी पड़ गया था, उसमें हम दोनों की कोई गलती नहीं थी। ” ये कहते हैं कि नदीम फिर अपने आंसुओं को खत्म नहीं कर पाए और रोने लगे। एक बार फिर रोते हुए नदीम ने कहा, “जिंदगी ने हम दोनों को बहुत परेशान किया लेकिन हम दोनों अपने लिए कुछ भी नहीं कर पाए।” नदीम ने दोनों की परेशानियों पर कुछ भी कहने से इनकार किया और उन्हें संलग्न और ज्ञापन को साझा किया ।बेहद जज्बाती लग रहे नदीम ने एक बार फिर से खुद को संभालने की कोशिश की और कहा, “वो हमेशा से मुझे एक मुहम्मद पार्टनर मानने की। बजाय हमेशा से एक बड़े भाई की तरह ट्रीट किया था और मेरे लिए उसके दिल में बहुत इज्जत हुआ करती थी। लोग अक्सर मुझे बताते थे कि जब भी मैं नदीम को फोन किया करता था तो वो मेरे सम्मान में उठ खड़ा होता था और उसके बाद ही मुझसे फोन पर बात किया गया था। उसके मन में मेरे लिए इस कदर इज्जत हुई करती थी जिसे लफ्जों में बयां करना मेरे लिए बहुत मुश्किल साबित हो रहा है। “भोजपुरी फिल्म दंगल से की शैतानतनडीम-श्रवण ने 70 के दशक में की थी। भोजपुरी फिल्म ‘दंगल’ से एक राष्ट्रीय जोड़ी के तौर पर अपनी शुरुआत की थी। इसके बाद 1981 में आई ‘मैं जीना सीख लिया’ करनेौर संग नदीम-श्रवण की पहली हिंदी फिल्म थी।आपको श्रवण की कौन सी बात सबसे ज्यादा याद आई? एबीपी न्यूज के इस सवाल पर नदीम ने कहा, “ऐसी कोई बात नहीं है श्रवण की जो मैं कभी भुला पाऊंगा। उसकी हरेक बात मेरे जेहन में चस्पां है। जीवन में ऐसा कभी नहीं हुआ जब मैंने उसे कोई रिक्स्टस्ट की हो, उसे कुछ कहा। हो और उसने मेरी बात को टाल दिया हो। वह एक छोटे भाई की तरह मेरी हर बात को गौर से सुनता था और हमेशा से मेरी हर बात को माना करता था। उसने कभी मुझे भी किसी बात के लिए इनकार नहीं किया। ” ये कहते-कहते नदीम एक बार फिर से भावुक होकर रोने लगे ।90 के दशक में था 90 के दशक में नदीम के साथ मिलकर श्रवण ने सबसे प्रबंधित संगीत जोड़ी के तौर पर कई फिल्मों का हिट संगीत और सैंकड़ों लोकप्रिय गीतों को सुना जो अब लोगों को भी भाता है। की जुबां पर है। 90 के दशक में संग के तौर पर नदीम-श्रवण की बॉलीवुड में इस कदर तूती बोलती थी कि हर दूसरी-तीसरी फिल्म में दोनों का संगीत हुआ करता था। हर सेकंड निर्माता और निर्देशक उनके संगीत के जादू से अपनी फिल्मों को हिट बनाने के ख्वाहिश पाला करता था। दोनों के संगीत का का संगीत कुछ ऐसा था कि उस दौर में उनके संगीत की वजह से ही कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर खूब धमाल मचाया था। 1990 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘आशिकी’ के सुपरहिट गानों ने हमेशा के लिए नदीम-श्रवण की किस्मत को बदलकर रख दिया और फिर दोनों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।इन फिल्मों में हिट संगीतनदीम-श्रवण की जोड़ी ने ‘आशिकी’, ‘ साजन ‘,’ सड़क ‘,’ दिल है कि मानता नहीं ‘,’ साथी ‘,’ दीवाना ‘,’ फूल और कांटे ‘,’ हम हैं राही प्यार के ‘,’ राजा हिंदुस्तानी ‘,’ जान तेरे नाम ” रंग ‘ , ‘राजा’, ‘धड़कन’, ‘परदेस’, ‘दिलवाले’, ‘राज’, ‘अंदाज’, ‘बरसात’, ‘सिर्फ तुम’, ‘कसूर’, ‘बेवफा’ जैसी तमाम फिल्में: संगीत को अपनी पहचान देती हैं सबसे प्रबंधित और उस दौर के सबसे गंध राष्ट्र जोड़ी के तौर पर बनाई गई थी। नदीम ने एबीपी न्यूज को बताया कि कई सालों तक लंदन में रहते हुए भी वे श्रवण से टच में थे और वे अक्सर उन्हें फोन करते थे। नदीम ने बताया, “20-25 दिन पहले मेरे श्रवण से फोन पर बात हुई थी। उस वक्त हमने ढेर सारी बातें की थीं। हमारे बीच जल्द ही अमेरिका में कंसर्ट करने को लेकर भी तमाम बातें हुई थीं। इस पर लंबी चली बातचीत। इस दौरान हम दोनों ने फैसला किया था कि को विभाजित का असर कम होते ही और माहौल के सामान्य होने पर हम दोनों कंसर्ट को लेकर तमाम बातें अंतिम करेंगे, लेकिन हम एक बार फिर से मिलते और साथ में काम करते पहले ही वह मुझे छोड़कर हमेश हमेशा के लिए के लिए चला गया। ” ये कहकर एक बार से नदीम का गला रुंध आया और वो फिर से रोने लगे।ये भी पढ़ें: नदीम-श्रवण फेम संघ श्रवण राठौड़ का मुंबई में निधन, कोरोना से थे स्वार्थसुमिति महाजन के निधन की खबर निकली अफवाह, फजीहत के बाद शशि थरूर मैसेट ने किया ट्वीट।