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वैक्सीन लगने के बाद भी न समझें सुरक्षित, संक्रमण से बचाव जरूरी

prayagraj news : कोविड टीकाकरण।
– फोटो : prayagraj

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यह खबर हैरान करने वाली लेकिन सच है कि अगर आपको कोरोना की वैक्सीन लगी है, तब भी अपने आपको सुरक्षित न समझें। कोरोना वैक्सीन लगने के बावजूद बहुत से लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि डॉक्टर इसके कई मायने लगा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि वैक्सीन 100 फीसदी सुरक्षित नहीं है। अगर आप लापरवाही करते हैं तो आप इसकी चपेट में आ सकते हैं। कोरोना वैक्सीन लगने के बावजूद सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.पीसी मिश्रा, वरिष्ठ फिजिशियन प्रो. जेके मिश्रा एवं वरिष्ठ माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट प्रो.आरसी पांडेय की मौत हो चुकी है। इन तीनों वरिष्ठ चिकित्सकों को कोरोना वैक्सीन की दानों डोज लग चुकी थी। इसके बावजूद उनकी मौत हो गई। उनके परिजनों के मुताबिक डॉ.पीसी मिश्रा को और कोई बीमारी भी नहीं थी। 
चाइल्ड फिजिशियन डॉ.युगांतर पांडेय कहते हैं, कोई भी टीका 100 फीसदी असरकारक नहीं हो सकता है। लेकिन, जिन लोगों को लगा है, कम से कम उनमें संक्रमण उतना असर नहीं दिखा पा रहा है, जितना कि गैर वैक्सीन लगवाए लोगों पर कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं है कि वैक्सीन का असर तो है। वरिष्ठ माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ.उपमा नारायण कहती हैं, वैक्सीन लगने के बाद जिन तीनों चिकित्सकों की मौत हुई है, वे सभी ओल्ड एज के थे। हो सकता है उनमें वैक्सीन उतनी असरकारक न हुई हो। एंटीबॉडी पूरी तरह से न बन सकी हो। ओल्डएज होना भी मौत होने की मुख्य वजह हो सकती है। बाकी, सामान्य तौर पर वैक्सीन से लोगों की सुरक्षा तो हो ही रही है नहीं तो आईसीयू या अन्य वार्डों में कोविड की ड्यूटी कर रहे चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टॉफ का काम करना मुश्किल हो जाता।
स्वास्थ्य विभाग के जिला प्रतिरक्षण नियंत्रण अधिकारी एसीएमओ डॉ.तीरथलाल कहते हैं, टीके के परिणाम को लेकर अभी कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं है, जिससे इस पर सवाल खड़े किए जा सकें। फिलहाल इसके बेहतर परिणाम सामने देखने को मिल रहे हैं। उधर, मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कोरोना प्रभारी डॉ.सुजीत कुमार कहते हैं कि कॉलेज के तकरीबन 70 फीसदी लोग संक्रमित हुए लेकिन किसी को भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी। इससे इसका असर तो बेहतर दिख रहा है। अब टीकाकरण के बाद जिन लोगों की मौत हुई है, उनके बारे में अध्ययन करने की जरूरत है। उधर, शहर के चिकित्सकों के एक ग्रुप का यह मानना है कि वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडी तो खूब बन रही है लेकिन वह कोरोना के संक्रमण को पूरी तरह से प्रोटेक्ट नहीं कर पा रही है। इसलिए टीके को लेकर जो भी डाटा प्रस्तुत किया गया है, उस पर फिर से काम करने की जरूरत है। वैसे टीके के बावजूद लोगों को कोविड गाइड लाइन का पालन को करना ही चाहिए ताकि सुरक्षा कवच बना रहे।

विस्तार

यह खबर हैरान करने वाली लेकिन सच है कि अगर आपको कोरोना की वैक्सीन लगी है, तब भी अपने आपको सुरक्षित न समझें। कोरोना वैक्सीन लगने के बावजूद बहुत से लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि डॉक्टर इसके कई मायने लगा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि वैक्सीन 100 फीसदी सुरक्षित नहीं है। अगर आप लापरवाही करते हैं तो आप इसकी चपेट में आ सकते हैं। कोरोना वैक्सीन लगने के बावजूद सरोजिनी नायडू बाल चिकित्सालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.पीसी मिश्रा, वरिष्ठ फिजिशियन प्रो. जेके मिश्रा एवं वरिष्ठ माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट प्रो.आरसी पांडेय की मौत हो चुकी है। इन तीनों वरिष्ठ चिकित्सकों को कोरोना वैक्सीन की दानों डोज लग चुकी थी। इसके बावजूद उनकी मौत हो गई। उनके परिजनों के मुताबिक डॉ.पीसी मिश्रा को और कोई बीमारी भी नहीं थी। 

prayagraj news
– फोटो : prayagraj

चाइल्ड फिजिशियन डॉ.युगांतर पांडेय कहते हैं, कोई भी टीका 100 फीसदी असरकारक नहीं हो सकता है। लेकिन, जिन लोगों को लगा है, कम से कम उनमें संक्रमण उतना असर नहीं दिखा पा रहा है, जितना कि गैर वैक्सीन लगवाए लोगों पर कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं है कि वैक्सीन का असर तो है। वरिष्ठ माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ.उपमा नारायण कहती हैं, वैक्सीन लगने के बाद जिन तीनों चिकित्सकों की मौत हुई है, वे सभी ओल्ड एज के थे। हो सकता है उनमें वैक्सीन उतनी असरकारक न हुई हो। एंटीबॉडी पूरी तरह से न बन सकी हो। ओल्डएज होना भी मौत होने की मुख्य वजह हो सकती है। बाकी, सामान्य तौर पर वैक्सीन से लोगों की सुरक्षा तो हो ही रही है नहीं तो आईसीयू या अन्य वार्डों में कोविड की ड्यूटी कर रहे चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टॉफ का काम करना मुश्किल हो जाता।

कोरोना टीका
– फोटो : पीटीआई

स्वास्थ्य विभाग के जिला प्रतिरक्षण नियंत्रण अधिकारी एसीएमओ डॉ.तीरथलाल कहते हैं, टीके के परिणाम को लेकर अभी कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं है, जिससे इस पर सवाल खड़े किए जा सकें। फिलहाल इसके बेहतर परिणाम सामने देखने को मिल रहे हैं। उधर, मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कोरोना प्रभारी डॉ.सुजीत कुमार कहते हैं कि कॉलेज के तकरीबन 70 फीसदी लोग संक्रमित हुए लेकिन किसी को भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी। इससे इसका असर तो बेहतर दिख रहा है। अब टीकाकरण के बाद जिन लोगों की मौत हुई है, उनके बारे में अध्ययन करने की जरूरत है। उधर, शहर के चिकित्सकों के एक ग्रुप का यह मानना है कि वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडी तो खूब बन रही है लेकिन वह कोरोना के संक्रमण को पूरी तरह से प्रोटेक्ट नहीं कर पा रही है। इसलिए टीके को लेकर जो भी डाटा प्रस्तुत किया गया है, उस पर फिर से काम करने की जरूरत है। वैसे टीके के बावजूद लोगों को कोविड गाइड लाइन का पालन को करना ही चाहिए ताकि सुरक्षा कवच बना रहे।