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Black fungus infection: कोरोना संक्रमण के बाद मरीजों को ब्लैक फंगस दे रहा टेंशन, मेरठ में मिले दो मरीज

हाइलाइट्स:कोरोना संक्रमितों के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं हाईडोज स्टेरॉयड से अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मामले आ रहे हैंइसका सबसे ज्यादा खतरा डायबिटीज के मरीजों को है जो कोरोना की चपेट में आ गए हैंरिकवरी के दौरान और रिकवरी के बाद भी ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैंनोएडाकोरोना संक्रमितों के फेफड़ों का इंफेक्शन कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं हाईडोज स्टेरॉयड से शहर के अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस ( म्यूकरमायकोसिस) के मामले आ रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा डायबिटीज के मरीजों को है जो कोरोना की चपेट में आ गए हैं। रिकवरी के दौरान और रिकवरी के बाद भी ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआती स्टेज में ही बीमारी पकड़ में आ जाती है तो मरीज का पूरी तरह इलाज किया जा सकता है। यदि नाक में ही फैली है और ब्रेन व फेफड़ों तक नहीं पहुंची है तो भी मरीज के बचने के चांस 50-50 हैं। यदि फेफड़ों तक फैल गई तो मरीज के बचने के चांस 25 प्रतिशत रह जाते हैं और यदि म्यूकरमायकोसिस ब्लड में फैल गई है तो मरीज के बचने के चांस बहुत कम हो जाते हैं। इसलिए अलर्ट रहने के साथ ही शक होने पर नेजल एंडोस्कॉपी कराना बेहद जरूरी है।नई नहीं है यह बीमारीएनबीटी ने इस बीमारी को लेकर यथार्थ अस्पताल के सीनियर ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बी वागीश पडियार और शहर में डायबिटीज के जाने माने एक्सपर्ट डॉ. जीसी वैष्णव से बातचीत की। उन्होंने बताया कि शहर के मरीजों में ऐसे मामले बढ़ गए हैं। ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है। यह पहले से हमारे देश में लोगों को होती रही है लेकिन अब कोरोना के दौरान इस्तेमाल हो रहे हैं स्टेरॉयड की वजह से इसके मामले तेजी से बढ़े हैं। डॉ. बी वागीश ने बताया कि वह पिछले एक महीने में ब्लैक फंगस वाले 7 मरीजों का यथार्थ अस्पताल में ऑपरेशन कर चुके हैं।क्या होता है म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फंगस)डॉक्टरों के अनुसार म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) घातक इंफेक्शन होता है कि जो कि हमारे शरीर में ब्लड सप्लाई को प्रभावित करता है। जहां पर यह ब्लैक फंगस हो जाता है वहां से आगे की ब्लड सप्लाई रुक जाती है और एक प्रकार से यह जितनी दूरी तक फैल चुका होता है वहां के नर्व सिस्टम में ब्लड की सप्लाई को डैमेज कर देता है। सर्जरी के बाद ही उतने हिस्से से ब्लैक फंगस हटाकर मरीज को बचाया जाता है। इस समय कोरोना वाले मरीजों में नाक में मरीजों को ब्लैक फंगस हो रहा है।डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा खतराडॉक्टरों के अनुसार सबसे ज्यादा इसका खतरा डायबिटीज के मरीजों में है। इसके अलावा ऐसे मरीज जिनका इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर है। इनमें एचआईवी, एड्स, कैंसर व दूसरे गंभीर मरीज भी शामिल हैं। वहीं, आम मरीजों में देखने आ रहा है कि जिन्होंने कोरोना से बचाव के लिए स्टोरॉयड की हाईडोज इस्तेमाल कर ली हैं उन्हें भी समस्या हो रही है। डायबिटीज के मरीजों का इम्यून सिस्टम पहले से ही कमजोर होता है साथ ही लंग्स इंफेक्शन को कंट्रोल करने के लिए उन्हें स्टेरॉयड देना ही पड़ता है जिससे उनमें इस इफेक्शन के चांस ज्यादा बढ़ जाते हैं।मेरठ और बिजनौर में मिले मरीज मुंबई और गुजरात के बाद मेरठ में भी ब्लैक फंगस के 2 मरीज पाए गए हैं, जिन्हें एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया है। दोनों मरीज बिजनौर और मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। जिनको मेरठ के एक निजी अस्पताल न्यूट्रिमा में भर्ती करा दिया गया है।ये हैं ब्लैक फंगस के लक्षण-नेजल ड्राइनेस-नाक बंद होना-नाक से अजीब से कलर या काले खून का डिस्चार्ज होना- आंख खोलने में दिक्कत होना- अचानक से दोनों आंख या एक आंख से कम दिखाई देना, आंख में सूजन होना।ऐसे रहें अलर्ट-कोरोना होने पर स्टोरॉयड की डोज अपने मन से या किसी के बताए अनुसार न लें। डॉक्टर की सलाह के बाद ही तय मात्रा में स्टोरॉयड का इस्तेमाल करें।-डायबिटीज के मरीज हैं तो कोरोना रिकवरी के बाद कई महीने तक अलर्ट रहने की जरूरत है।-जरा सा भी लक्षण होने पर सीधे डॉक्टर के पास जाएं। नेजल एंडोस्कॉपी या जरूरत के अनुसार नेजल बायोप्सी से इसका पता लगाया जाता है।-जितनी जल्दी बीमारी पकड़ में आएगी उतनी ही बेहतर रिकवरी होगी।सांकेतिक तस्‍वीर