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पेट्रोल पंप खोलवाना चाहते थे स्वामी आनंद गिरि, गुरु की असहमति पर हुआ विवाद

निरंजनी अखाड़े सेनिष्कासन के बाद योगगुरु स्वामी आनंद गिरि और उनके गुरु अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के बीच विवाद और तीखा हो गया है। महंत नरेंद्र गिरि ने जहां एक ओर वित्तीय अनियमितता समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं दूसरी ओर आनंद गिरि सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बचते रहे लेकिन, इशारों-इशारों में उन्होंने गुरु पर हमला बोला। कहा, समय आने पर वह इसका खुलासा करेंगे। बड़ी वजह मठ बाघंबरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरि के नाम से पेट्रोल पंप खोलने को लेकर विवाद बताया जा रहा है।
निष्कासन के मुद्दे पर आनंद गिरि ने शनिवार की शाम कहा, मेरे साथ बड़ी साजिश रची गई है। कहने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन अभी इस प्रकरण या गुरु महंत नरेंद्र गिरि के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहते। फिलहाल इस घटनाक्त्रस्म से बहुत भयभीत हूं। अभी तो मुझे अपने प्राण बचाने हैं। बाद में साजिशों का खुलासा करेंगे। जबकि, सुबह आनंद गिरि ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। फिलहाल इसके पीछे एक पेट्रोल पंप के विवाद का मामला सामने आया है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया में आनंद गिरि की गिरफ्तारी के दौरान उनके चार करोड़ रुपये डकारे जाने का भी मामला गुरु-शिष्य के बीच झगड़े का कारण बताया जा रहा है।
वहीं महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, आनंद गिरि के नाम से पेट्रोल पंप पास कराने के लिए अधिकारियों से कहा गया था। उनके नाम से ही 1200 वर्ग गज भूमि का एग्रीमेंट किराएदारी के आधार पर किया गया था। एनओसी भी मिल गई थी। इसके बाद जब मुझे फीडबैक मिला कि वहां पेट्रोल पंप नहीं चल पाएगा, तब मैंने उस एग्रीमेंट को निरस्त कराने के लिए रजिस्ट्रार को लिखा, लेकिन आनंद गिरि उस जमीन पर किराएदारी का हवाला देते हुए छोडऩे के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। वह एग्रीमेंट निरस्त कराने की बात आने पर वृंदावन चले गए। मैं चाहता था कि उस जमीन पर मार्केट बसा दिया जाए, जिससे मठ को आमदनी हो सके, लेकिन आनंद गिरि इस पर तैयार होने की बजाए अनर्गल बातें करने लगे।महंत नरेंद्र गिरि ने विदेशी शिष्याओं के साथ मारपीट और बदसुलूकी के आरोप में आस्ट्रेलिया में आनंद गिरि की गिरफ्तारी के दौरान चार करोड़ रुपये हजम करने संबंधी बात को भी खारिज किया है। उन्होंने बताया कि विदेशी लडक़ी बयान न बदलती तो आनंद गिरि रिहा नहीं हो सकते थे। उस लडक़ी ने बयान कैसे बदला यह पता नहीं, वैसे इसे अभी राज ही रहने दिया जाए तो ठीक होगा।
स्वामी अमर गिरि को मिली मठ, बड़े हनुमान मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी
योगगुरु स्वामी आनंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा और मठ बाघंबरी गद्दी से निष्कासित किए जाने के बाद शनिवार को मठ के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी बदल दी गई। बड़े हनुमान मंदिर के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने बदलाव करते हुए बाघंबरी गद्दी मठ और संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के प्रबंधन का दायित्व स्वामी अमर गिरि को सौंप दिया। अब अमर गिरि की देखरेख में बड़े हनुमान मंदिर की समस्त व्यवस्थाएं चलेंगी।
उधर, मठ और मंदिर में आनंद गिरि की सेवा में रहने वाले करीबियों पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। कहा जा रहा है कि श्रीमहंत विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय में पढ़ने वाले कई छात्र स्वामी आनंद गिरि की सेवा में लगे रहते थे। वे उनके प्रवचन और योग के कार्यक्रमों का प्रबंधन और उसकी तैयारियां कराते थे। ऐसे करीबियों को भी आशंका है कि कहीं उन्हें भी बाहर  का रास्ता न दिखा दिया जाए।
मठ की एक इंच जमीन न बिकी है, न बिकने दी जाएगी: महंत नरेंद्र गिरि
बाघंबरी गद्दी मठ की एक इंच जमीन न तो बिकी है और न ही बिकने दी जाएगी। स्वार्थपूर्ति न होने पर इस तरह की बातें निराधार और मनगढ़ंत रूप से कही जा रही हैं। शनिवार को बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि मठ की जमीन बेचने का सवाल ही नहीं उठता। वह ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकते हैं। ऐसी बात अगर कोई करता है, तो वह मठ का हितैषी नहीं है।